कोविड-19 के इलाज में गोबर के प्रयोग पर डॉक्टरों ने चेताया, कहा- बढ़ेगा और रोगों का जोखिम

गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र के शरीर पर लेप के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.

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People pray after applying cow dung on their bodies during "cow dung therapy", believing it will boost their immunity to defend against the coronavirus disease (COVID-19) at the Shree Swaminarayan Gurukul Vishwavidya Pratishthanam Gaushala or cow shelter on the outskirts of Ahmedabad, India, May 9, 2021. REUTERS/Amit Dave

गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र के शरीर पर लेप के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं. उनका ऐसा मानना है कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा. हालांकि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है.

People pray after applying cow dung on their bodies during "cow dung therapy", believing it will boost their immunity to defend against the coronavirus disease (COVID-19) at the Shree Swaminarayan Gurukul Vishwavidya Pratishthanam Gaushala or cow shelter on the outskirts of Ahmedabad, India, May 9, 2021. REUTERS/Amit Dave
गुजरात के श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान में कोविड-19 का इलाज मानकर गोबर मिश्रण लगाकर प्रार्थना करते लोग. (फोटो: रॉयटर्स)

अहमदाबाद/नई दिल्ली: देश के डॉक्टरों ने कोविड-19 के खात्मे के लिए गोबर के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है और कहा है कि इसके प्रभाव को लेकर कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है बल्कि यह दूसरे रोगों का खतरा बढ़ाता है.

कोविड-19 महामारी के कारण भारत में संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़कर 22,992,517 हो गई है, जबकि 249,992 लोग इस महामारी से जान गंवा चुके हैं.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण और मौतों का आंकड़ा 10 गुना अधिक हो सकता है. इस दौरान देश में लोग अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवाओं और अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण संघर्ष कर रहे हैं और इलाज के अभाव में लोगों की मौतें भी हो रही हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, इस पर विश्वास करने वाले गुजरात के कुछ लोग गाय के गोबर और मूत्र में अपने शरीर को ढकने के लिए सप्ताह में एक बार गौ आश्रमों में जा रहे हैं, इस उम्मीद में कि यह उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देगा या कोविड-19 से उबरने में मदद करेगा.

हिंदू धर्म में गाय जीवन और पृथ्वी का एक पवित्र प्रतीक है और सदियों से हिंदुओं ने यह विश्वास करते हुए कि इसमें चिकित्सीय और एंटीसेप्टिक गुण हैं, अपने घरों को साफ करने और प्रार्थना अनुष्ठानों के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया है.

एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के एसोसिएट मैनेजर गौतम मणिलाल बोरिसा कहते हैं कि इससे पिछले साल उन्हें कोविड-19 से उबरने में मदद मिली थी.

वह कहते हैं, ‘हमने देखा है कि डॉक्टर तक यहां आते हैं. उनका मानना है कि इस थेरेपी से उनकी प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है और वे बिना किसी डर के मरीजों के पास जा सकते हैं.’

वे तब से हिंदू संतों द्वारा संचालित एक स्कूल श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान में नियमित जाते हैं जो कि कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने वाली जाइडस कैडिला के भारतीय मुख्यालय के दूसरी तरफ है.

जब यहां आने वाले अपने शरीर पर गोबर और मूत्र के मिश्रण के सूखने का इंतजार करते रहते हैं तब तक वे अपना उर्जा स्तर बढ़ाने के लिए गायों को गले लगाते हैं और योग करते हैं. इसके बाद मिश्रण को दूध या छाछ से धोया जाता है.

भारत और दुनिया भर में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने कोविड-19 के लिए वैकल्पिक उपचार का अभ्यास करने के खिलाफ बार-बार चेतावनी देते हुए कहा है कि वे सुरक्षा की झूठी भावना पैदा कर सकते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को जटिल कर सकते हैं.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जेए जयलाल कहते हैं, ‘कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि गाय का गोबर या मूत्र कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, यह पूरी तरह से विश्वास पर आधारित है.’

वह कहते हैं, ‘इन उत्पादों को सूंघने या सेवन करने में स्वास्थ्य जोखिम भी शामिल हैं क्योंकि अन्य बीमारियां पशु से मनुष्यों में फैल सकती हैं.’

यह भी चिंता है कि इस अभ्यास से वायरस को फैलने में मदद मिल सककी है क्योंकि इसमें समूहों में लोगों को इकट्ठा करना शामिल था. अहमदाबाद में एक अन्य गाय आश्रय के प्रभारी मधुचरण दास ने कहा कि वे प्रतिभागियों की संख्या को सीमित कर रहे थे.

गौरताब है कि बीते 5 मई को गुजरात के ही बनासकांठा जिले के एक गांव में एक गौशाला में ‘वेदालक्षणा पंचगव्य आयुर्वेद कोविड आइसोलेशन सेंटर’ शुरू हुआ है, जहां हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीज़ों का दूध, घी और गोमूत्र से बनी दवाइयों से इलाज करने का दावा किया गया है.

बता दें कि केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के नेता अक्सर कोविड-19 से लड़ाई में गाय के अपशिष्टों के योगदान के दावे करते रहते हैं. द वायर  ने अपनी एक रिपोर्ट में ऐसे ही भाजपा नेताओं की एक सूची बनाई थी जो गाय के गोबर से कोविड-19 के इलाज का दावा कर रहे थे.

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 4 मार्च को उत्तर प्रदेश के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने दावा किया था, ‘कोरोना मेरी विधानसभा में नहीं घुस सकता क्योंकि लोनी शहर में गायों की संख्या सबसे ज्यादा है. जहां गाय होती है, वहां किसी भी तरह का वायरस नहीं आ सकता. गाय एक चलती-फिरती डॉक्टर है.’

उनसे पहले भाजपा विधायक सुमन हरिप्रिया भी गोमूत्र और गाय के गोबर में कोरोना का इलाज खोज चुकी थीं. उन्होंने असम विधानसभा के अंदर कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि गाय का गोबर काफी फायदेमंद होता है. जैसै गोमूत्र के छिड़काव से कोई जगह शुद्ध हो जाती है… मुझे लगता है कि इसी तरह गोमूत्र और गाय के गोबर से कोरोना वायरस भी ठीक हो सकता है.’

उस दौरान कुछ ऐसे ही उद्गार उत्तराखंड के भाजपा विधायक संजय गुप्ता ने भी व्यक्त किए थे. उनका दावा था कि हवन-यज्ञ और गोमूत्र-गोबर का प्रयोग कोरोना का इलाज है.

उन्होंने कहा था, ‘हमारी हिंदू संस्कृति विश्व की महान संस्कृति है. हवन-पूजन में जिस सामग्री का उपयोग होता है, वह वातावरण से हानिकारक तत्वों को चुटकियों में नष्ट करने की ताकत रखती है. इसी प्रकार गोमूत्र सेवन और प्रभावित स्थान पर गोबर के प्रयोग से भी कोरोना वायरस को खत्म किया जा सकता है. गाय पृथ्वी का सबसे पवित्र और चमत्कारिक जीव है. उसके हर अंश में अमृतमयी औषधियां बसी हैं.’

इसके साथ ही उत्तराखंड के भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट ने दावा किया था, ‘यदि कोरोना से बचना है तो रोज सुबह दो चम्मच गोमूत्र पिएं. साथ ही गाय के गोबर की राख को पानी में मिलाकर उसे छानकर तैयार किए गए पानी से नहाएं.’

बीते साल देश में इस महामारी के आने के बाद पश्चिम बंगाल में एक भाजपा कार्यकर्ता ने दावा किया था कि गोमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है और पहले से संक्रमित लोग भी इससे ठीक हो जाएंगे.

उन्होंने एक गोमूत्र सेवन कार्यक्रम भी आयोजित किया था, आयोजित हालांकि गोमूत्र के सेवन के बाद एक स्वयंसेवी ही बीमार पड़ गया था. पीड़ित की शिकायत के बाद आयोजक भाजपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया गया था.

इसी समय भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा था कि गोमूत्र पीने में कोई नुकसान नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें यह स्वीकार करने में कोई पछतावा नहीं कि वह इसका सेवन करते हैं.

इससे पहले मार्च महीने में ही दिल्ली में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से गोमूत्र पार्टी का आयोजन किया गया था. बताया गया था कि करीब 200 लोग इस पार्टी में शामिल हुए और गोमूत्र पिया.

इस पार्टी के आयोजकों ने भी कोरोना वायरस को भगाने के लिए पार्टी के आयोजन का दावा किया था और यह भी कहा था कि ऐसी ही पार्टियों का आयोजन वो पूरे देश में करेंगे.

इसके अलावा बीते हफ्ते उत्तर प्रदेश के बलिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया था कि हर सुबह खाली पेट गोमूत्र पीने से कोरोना वायरस बिल्कुल खत्म हो जाएगा.

सिंह ने दावा किया था कि इस महामारी के समय वे 18 घंटे लोगों के बीच रहते हैं, लेकिन ऐसा करने के चलते वे बिल्कुल स्वस्थ और सुरक्षित हैं.

हालांकि इस बात का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि गोमूत्र से कोरोना मरीज ठीक हो सकते हैं. वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों ने बार-बार कहा है कि लोग इस तरह के बातों में न आएं और प्रामाणिक दवाओं का ही सेवन करें.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)