कार्टूनिस्ट मंजुल को ट्विटर का नोटिस, कहा- सरकार ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़ चाहती है कार्रवाई

ट्विटर इंडिया ने कार्टूनिस्ट मंजुल को ईमेल भेजकर कहा है कि भारतीय क़ानून प्रवर्तन ने शिकायत की है कि उनके ट्विटर हैंडल का कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन करता है. हालांकि, ट्विटर ने कहा कि उन्होंने कंटेंट को लेकर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

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कार्टूनिस्ट मंजुल (फोटो साभारः ट्विटर)

ट्विटर इंडिया ने कार्टूनिस्ट मंजुल को ईमेल भेजकर कहा है कि भारतीय क़ानून प्रवर्तन ने शिकायत की है कि उनके ट्विटर हैंडल का कंटेंट भारतीय कानून का उल्लंघन करता है. हालांकि, ट्विटर ने कहा कि उन्होंने कंटेंट को लेकर कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है.

कार्टूनिस्ट मंजुल (फोटो साभारः ट्विटर)
कार्टूनिस्ट मंजुल (फोटो साभारः ट्विटर)

नई दिल्लीः ट्विटर ने लोकप्रिय कार्टूनिस्ट मंजुल को एक ईमेल भेजा है, जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार का मानना है कि उनके ट्विटर एकाउंट का कंटेंट भारत के कानूनों का उल्लंघन करता है.

ट्विटर इंडिया ने कहा कि भारतीय कानून प्रवर्तन ने आग्रह किया है कि इस मामले पर कार्रवाई की जाए.

ट्विटर से मिला ईमेल असामान्य है, क्योंकि सरकार ने ट्विटर हैंडल के कंटेंट को लेकर आरोप लगाया है कि यह भारत के कानून का उल्लंघन करता है न कि किसी विशेष ट्वीट को लेकर.


कार्टूनिस्ट मंजुल ने इस ईमेल को ट्वीट किया है, जिसमें कहा गया है कि वह (ट्विटर) सरकारी एजेंसी की ओर से किए गए आग्रह के बारे में यूजर को सूचित कर रहे हैं और इस संबंध में वह कोई कार्रवाई शुरू नहीं कर रहे.

वहीं, मंजुल ने ट्वीट कर कहा, ‘जय हो मोदी जी की सरकार की!’

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘शुक्र है मोदी सरकार ने ट्विटर को ये नहीं लिखा कि ये ट्विटर हैंडल बंद करो. ये कार्टूनिस्ट अधर्मी है, नास्तिक है. मोदी जी को भगवान नहीं मानता.’

उन्होंने कहा,’वैसे अगर सरकार बता देती की दिक्कत किस ट्वीट से है तो अच्छा रहता. दोबारा वैसा ही काम किया जा सकता था और लोगों को भी सुविधा हो जाती.’

हालांकि, ट्विटर ने मंजुल को चार विकल्प सुझाए हैं, जिसमें पहला सरकार के आग्रह को अदालत में चुनौती देना. दूसरा, किसी तरह के निवारण के लिए सामाजिक संगठनों से संपर्क करना, तीसरा स्वैच्छिक रूप से कंटेंट को डिलीट करना (अगर लागू हो) और चौथा कोई अन्य समाधान खोजना है.

बता दें कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब केंद्र सरकार सोशल मीडिया को नियमित करने के लए नए आईटी नियमों को लेकर आई है. इन्हें लेकर कई लोगों का मानना है कि ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं.

बीते फरवरी में जब किसान आंदोलन चरम पर था, ट्विटर ने केंद्र के आग्रह पर ऐसे 250 ट्विटर एकाउंट हटा दिए थे, जो किसान आंदोलन से जुड़ी जानकारियों को साझा कर रहे थे. ये एकाउंट कारवां पत्रिका, किसान एकता मोर्चा, कई अन्य स्वतंत्र पत्रकारों और कार्यकर्ताओं सहित व्यक्तिगत, समूहों और मीडिया संगठनों के थे.

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय द्वारा एक फरवरी को ट्विटर को जारी किए गए आदेश में ट्विटर को ऐसे एकाउंट हटाने को कहा गया, जो केंद्र के अनुरूप ऐसी जानकारी ट्वीट कर रहे थे, जिनसे संभावित रूप से देश में अशांति फैल सकती थी.

इसके साथ ही इसका पालन न करने पर ट्विटर को आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत कानूनी परिणामों की चेतावनी दी गई.

हालांकि, दो दिन बाद तीन फरवरी को ट्विटर ने ब्लॉक एकाउंट बहाल कर दिए थे, जिसका कारण पता नहीं चल सका.

इसके बाद मई के आखिरी हफ्ते में ट्विटर को कांग्रेस के कथित टूलकिट से संबंधित भाजपा के मुख्य प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को तोड़ मरोड़कर पेश किए गए (मैनिपुलेटेड) मीडिया की श्रेणी में टैग करने पर एक और नोटिस मिला था. इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ट्विटर इंडिया के दिल्ली और गुड़गांव स्थित कार्यालयों में छापेमारी की थी.

केंद्र सरकार द्वारा फरवरी में नए आईटी नियम तैयार करने के बाद से ही इसके अनुपालन को लेकर ट्विटर और भारत सरकार के बीच खुला टकराव देखने को मिला है.

नए आईटी नियमों के संबंध में मामला दिल्ली हाईकोर्ट भी पहुंच गया है, जहां केंद्र ने ट्विटर पर नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है. हालांकि, ट्विटर ने अदालत के समक्ष कहा कि उसने नियमों का पालन किया है और एक शिकायत निवारण अधिकारी को नियुक्त किया है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)