कोविड-19 रोधी टीकों की ख़रीद पर स्पष्टता नहीं, उचित दिशानिर्देश जारी करें सरकार: निजी अस्पताल

देश के विभिन्न निजी अस्पतालों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित की गई नई नीति के तहत कोविड-19 रोधी टीकों की ख़रीद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. इसकी वजह से उनके केंद्रों पर टीकाकरण स्थगित करना पड़ा है. इन अस्पतालों ने टीकों की ख़रीद के लिए एक उचित तंत्र और एकल खिड़की प्रणाली स्थापित किए जाने की मांग की है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

देश के विभिन्न निजी अस्पतालों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित की गई नई नीति के तहत कोविड-19 रोधी टीकों की ख़रीद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. इसकी वजह से उनके केंद्रों पर टीकाकरण स्थगित करना पड़ा है. इन अस्पतालों ने टीकों की ख़रीद के लिए एक उचित तंत्र और एकल खिड़की प्रणाली स्थापित किए जाने की मांग की है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देशभर के विभिन्न निजी अस्पतालों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित की गई नई नीति के तहत कोविड-19 रोधी टीकों की खरीद को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है और इसकी वजह से उनके केंद्रों पर टीकाकरण स्थगित करना पड़ा है.

इन अस्पतालों ने टीकों की खरीद के लिए एक उचित तंत्र और एकल खिड़की प्रणाली स्थापित किए जाने की मांग की है.

अस्पतालों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने टीका विनिर्माताओं- सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक तथा राज्य सरकारों से संपर्क किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे एक पत्र में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में सरकार और नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने कहा, ‘आपके निर्देश के अनुसार, हम देश में किसी भी निजी अस्पताल से अब कोई ऑर्डर/भुगतान स्वीकार नहीं कर रहे. निजी अस्पतालों को भविष्य की आपूर्ति के लिए रोडमैप के संबंध में हमें आपके आगे के निर्देश की प्रतीक्षा है.’

निजी अस्पतालों के समक्ष आ रहीं समस्याओं का जिक्र करते हुए बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक एससीएल गुप्ता ने कहा, ‘समस्या यह है कि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि हम टीके किस तरह खरीदेंगे. जब हम राज्य सरकार के अधिकारियों से बात करते हैं तो वे कहते हैं कि 21 जून तक इंतजार करिए, क्योंकि नीति अभी स्पष्ट नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार ने भी हमसे इंतजार करने को कहा है. हमने कंपनियों से भी संपर्क किया है, लेकिन खरीद की प्रक्रिया पर वे भी स्पष्ट नहीं हैं.’

गुप्ता ने कहा कि इस सबकी वजह से टीकाकरण में देरी हो रही है.

उन्होंने कहा, ‘भारत में संभावित तीसरी लहर (महामारी की) की आशंका से हम अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण करना चाहते हैं. इसके अतिरिक्त पहली खुराक ले चुके अनेक लोग और हमारे अनेक स्वास्थ्यकर्मी भी अपनी दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं.’

सरोज अस्पताल के मुख्य कार्यकारी निदेशक एवं शल्य चिकित्सा विभाग के प्रमुख पीके भारद्वाज ने भी कहा कि निजी अस्पतालों के लिए टीका खरीद को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा गया है और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि प्रत्येक निजी अस्पताल को कितने टीके मिलेंगे.

अधिकतर अस्पतालों में टीकाकरण स्थगित हो गया है, खासकर उन लोगों के लिए दिक्कत हो रही है, जिन्हें दूसरी खुराक लगनी है, लेकिन लग नहीं पा रही है.

भारद्वाज दिल्ली वॉलंटरी हॉस्पिटल फोरम के सचिव भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को जल्द पारदर्शी और स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए जिससे कि घातक विषाणु के खिलाफ टीकाकरण की इस महत्वपूर्ण कवायद में आगे और देर न हो.’

राजस्थान डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सर्वेश सरन जोशी ने कहा, ‘हमने कोविशील्ड और कोवैक्सीन- दोनों के विनिर्माताओं से बात की है और उन्होंने बताया कि सरकार ने निजी अस्पतालों को सीधे टीका आपूर्ति न करने को कहा है. इसलिए मध्यम और लघु स्तर के अधिकतर अस्पतालों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है.’

सीता मेमोरियल मल्टीस्पेशलिटी डेंटल क्लिनिक के निदेशक जितेंद्र सराफ ने कहा कि जब उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें भी इस बारे में उचित दिशानिर्देश नहीं मिले हैं कि निजी अस्पताल किस तरह टीके खरीदेंगे.

इंडियन डेंटल एसोसिएशन के सदस्य सराफ ने कहा, ‘हम भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया दोनों को लिखते रहे हैं, लेकिन उनसे कोई जवाब नहीं मिला है.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, 21 जून से लागू होने वाले संशोधित दिशानिर्देशों के तहत केंद्र निर्माताओं द्वारा उत्पादित किए जा रहे कोविड-19 टीकों का 75 प्रतिशत खरीदेगा.

घरेलू वैक्सीन विनिर्माताओं को यह विकल्प दिया गया है कि वे सीधे निजी अस्पतालों को भी टीके उपलब्ध कराएं जो उनके मासिक उत्पादन के 25 प्रतिशत तक सीमित होगा.

दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बड़े और छोटे निजी अस्पतालों के बीच समान वितरण और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए निजी अस्पतालों की मांग को एकत्रित करेंगे.

इस समग्र मांग के आधार पर, केंद्र सरकार निजी अस्पतालों को टीकों की आपूर्ति और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनके भुगतान की सुविधा प्रदान करेगी.

बता दें कि टीकाकरण नीति की भारी आलोचना होने के बाद बीते सात जून को केंद्र सरकार उसमें बदलाव किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए 21 जून से राज्यों को कोरोना वायरस का टीका मुफ्त दिया जाएगा और कहा कि आगामी दिनों में देश में टीका आपूर्ति में पर्याप्त बढ़ोतरी होगी.

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘उम्मीद है कि 21 जून से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों को मुफ्त टीका देगी. किसी भी राज्य सरकार को टीके पर कुछ खर्च नहीं करना होगा.’

उन्होंने घोषणा की थी, ‘देश में बन रहे टीके में से 25 प्रतिशत, निजी क्षेत्र के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी. निजी अस्पताल, वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपये ही सेवा शुल्क ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.’

गौरतलब है कि बीते दिनों टीकाकरण नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की फटकार लगाई थी और इसे ‘मनमाना’ करार देते हुए समीक्षा करने को कहा था.

इससे पहले शीर्ष अदालत के 31 मई के आदेश में उदारीकृत टीकाकरण नीति, केंद्र एवं राज्यों तथा निजी अस्पतालों के लिए टीके के अलग-अलग दाम, उनके आधार, ग्रामीण एवं शहरी भारत के बीच विशाल डिजिटल अंतर के बाद भी टीके के स्लॉट बुक कराने के लिए कोविन ऐप पर अनिवार्य पंजीकरण आदि को लेकर केंद्र के फैसले की आलोचना की गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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