आईटी नियमों के विरोध में 13 मीडिया संगठन और पत्रकार मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे, केंद्र को नोटिस

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.

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मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज़ पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)
मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

नई दिल्लीः मद्रास हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली 13 मीडिया संगठनों और एक पत्रकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस सेंथीलकुमार राममूर्ति की पीठ ने डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया.

इसके साथ ही संगीतकार टीएम कृष्णा की लंबित याचिका में भी इन नियमों का चुनौती दी गई है.

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कृष्णा की दलील इन नियमों से जुड़ी हुई है, जो निजता के अधिकार का उल्लंघन है जबकि ताजा याचिका आईटी नियमों के चुनिंदा नियमों से जुड़ी हुई है.

डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन में एबीपी नेटवर्क प्रा. लिमिटेड, अमर उजाला लिमिटेड, डीबी कॉर्प लिमिटेड, एक्सप्रेस नेटवर्क प्रा. लिमिटेड, एचटी डिजिटल स्ट्रीम्स लिमिटेड, आईई ऑनलाइन मीडिया सर्विसेज प्रा. लिमिटेड, जागरण प्रकाशन लिमिटेड, लोकमत मीडिया प्रा. लिमिटेड, एनडीटीवी कंवर्जेंस लिमिटेड, टीवी टुडे नेटर्वक लिमिटेड, द मलयाला मनोरमा कंपनी प्रा. लिमिटेड, टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड और उषोदया इंटरप्राइजेज प्रा. लिमिटेड शामिल हैं.

याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि डिजिटल मीडिया को आईटी नियमों के तहत लाना गलत और मीडिया घरानों का मनमाना वर्गीकरण है क्योंकि बिना उनसे चर्चा किए इन्हें लागू किया गया है और यह उनके कामकाज पर अनुचित प्रभाव डालेगा.

याचिका में कहा गया, ‘आईटी नियम 2021 निगरानी और भय के युग की शुरुआत है, जिसके परिणामस्वरूप स्व-सेंसरशिप का खतरा है और जो भारत के संविधान के तहत मौलिक अधिकारों को सीमित करता है.’

पीठ ने याचिकाकर्ताओं को नियम 12, 14 और 16 के दायरे में दंडात्मक कार्रवाई का सामना करने पर अंतरिम राहत के लिए अदालत जाने की छूट दी है.

इससे पहले द न्यूज मिनट की धन्या राजेंद्रन, द वायर के एमके वेणु, द क्विंट, प्रतिध्वनि और लाइव लॉ सहित कई डिजिटल मीडिया प्रकाशकों ने डिजिटल मीडिया पब्लिकेशंस पर आईटी नियम लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को कानूनी रूप से चुनौती दी है.

द वायर के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तीसरे हिस्से के तहत डिजिटल न्यूज पोर्टल को रेगुलेट करने पर जोर है. इसके तहत सरकार डिजिटल न्यूज पोर्टल पर निगरानी रखने के साथ उन्हें कोड ऑफ एथिक्स के तहत लाना चाहती है.

संयुक्त राष्ट्र के तीन विशेष विशेषज्ञों ने भी चिंता जताते हुए कहा कि ये नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकर कानूनों के खिलाफ है, जिस पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं.

बार एंड बेंच के मुताबिक, अधिवक्ता रमन ने नियम 16 (आपातकाल की स्थिति में सूचनाओं को अवरुद्ध करना) को भी उठाते हुए कहा कि यह हेनरी आठ प्रावधान का उल्लेख किया.

दरअसल हेनरी अष्ठम कथित तौर पर कानून के लिए वेस्टमिंस्टर की आमबोलचाल की भाषा है, जिसमें मंत्रियों को रेगुलेशन के जरिये संसद के अधिनियमों में संशोधन का अधिकार दिया गया था. ऐसे आरोप हैं कि इसी तरह के अधिकार सरकार के पास आईटी नियमों में भी हैं.

अदालत ने किसी भी तरह की राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि इस नियम के तहत अभी तक किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है.

आदेश में कहा गया, हालांकि अगर इस तरह के प्रावधानों को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ इस्तेमाल में लाया जाता है तो याचिकाकर्ताओं के पास अंतरिम राहत पाने के लिए आवेदन करने की छूट है.

इस मामले पर अब अगले तीन हफ्तों मे सुनवाई होगी.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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