असम के शिवसागर से निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई बीते 25 जून की दोपहर को पैरोल मिलने के बाद देर रात गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से बाहर निकले, जहां उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने गुवाहाटी में पत्नी और बेटे के साथ किराये के मकान में रात बिताई और शनिवार को अपनी मां से मुलाकात की. उन्हे सीएए विरोधी प्रदर्शनों के वक्त जोरहाट से दिसंबर 2019 में गिरफ़्तार किया गया था.
गुवाहाटी: एनआईए अदालत से दो दिन के पैरोल पर रिहा किए गए विधायक अखिल गोगोई रात को पत्नी और बेटे के साथ रुकने के बाद बीमार मां से मिलने शनिवार को जोरहाट के लिए रवाना हो गए. जोरहाट के सेलेनघाट गांव में बीते शनिवार को उन्होंने अपनी मां से मुलाकात की.
गोगाई ने शनिवार को आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा उन्हें सलाखों के पीछे रखने के लिए साजिश रच रहे हैं और ऐसा करने के लिए एनआईए पर ‘जबरदस्त दबाव’ डाल रहे हैं.
गोगोई ने जोरहाट जिले के सेलेनघाट गांव के आवास पर संवाददाताओं से कहा कि वह उन सभी साजिशों के बारे में जानते हैं, जो कि उनके खिलाफ रची जा रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री से मेरा अनुरोध है कि उन्हें उत्तर प्रदेश जैसी राजनीति यहां नहीं करनी चाहिए. असम में लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित राजनीति को सांप्रदायिकता में तब्दील नहीं करना चाहिए.’
राइजोर दल के अध्यक्ष गोगोई ने कहा कि अगर सरमा लोकतंत्र में भरोसा करते हैं तो उनके विधायक चुने जाने के बाद मंत्रिमंडल को उन्हें रिहा करने का फैसला लेना चाहिए.
इससे पहले गोगोई शुक्रवार दोपहर को पैरोल मिलने के बाद देर रात गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल से बाहर निकले जहां उनका इलाज चल रहा है. उन्होंने गुवाहाटी में पत्नी और बेटे के साथ किराये के मकान में रात बिताई. गोगोई का बेटा हाल ही में कोविड-19 से स्वस्थ हुआ है.
शिवसागर से निर्दलीय विधायक गोगोई ने गुवाहाटी से करीब 300 किलोमीटर दूर जोरहाट रवाना होने से पहले अपने आवास के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘मैं पूरी रात सो नहीं पाया. मेरा बेटा बहुत दुखी और परेशान है. मैंने पूरी रात उसके साथ बिताई. मैं उसे अपने साथ लेकर नहीं जा सकता, क्योंकि मैं पुलिस सुरक्षा में जा रहा हूं.’
दिसंबर 2019 में गिरफ्तारी के बाद तकरीबन डेढ़ साल बाद वह घर लौटे हैं.
आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी 84 वर्षीय मां प्रियदा गोगाई को कसकर गले लगाते हुए अखिल ने कहा, ‘मैं बस अपनी मां के सीने पर अपना सिर रखना चाहता हूं और लंबी सांस लेना चाहता हूं.’
इस दौरान मोतियाबिंद से पीड़ित उनकी मां की आंखों से आंसू बह रहे थे. ‘क्यों रो रही हो’, अखिल गोगोई ने पूछा. उनकी मां ने उनके लिए सड़क पर उतरकर प्रचार किया था, क्योंकि वे जेल में रहे.
गोगोई ने कहा, ‘यहां मैं अपनी मां को छूकर वादा करता हूं कि मैं कभी भ्रष्ट विधायक नहीं बनूंगा. मैं लोगों के लिए काम करता रहूंगा. मैंने देखा है कि संघर्ष क्या होता है और मैं यह देखने का प्रयास करूंगा कि किसी और को इसका अनुभव न हो.’
उन्होंने कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करना चाहते थे, लेकिन इस बार यह संभव नहीं था. उनके साथ निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा करने और उनसे मिलने के लिए शिवसागर से बड़ी संख्या में लोग आए थे.
गोगोई ने असम में जेल में बंद किसी नेता के पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है.
बीते मार्च-अप्रैल महीने में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय के तौर पर उतरे नव गठित रायजोर दल के संस्थापक अखिल गोगोई को 57,219 वोट मिले थे.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के विशेष न्यायाधीश प्रांजल दास ने गोगोई के वकीलों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें 48 घंटों के लिए पैरोल दी, जिसे वह अपनी सुविधा के अनुसार ले सकते हैं. याचिका में अनुरोध किया गया था कि गोगोई को गुवाहाटी और जोरहाट में अपने परिवार के सदस्यों तथा शिवसागर के लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए.
अदालत ने गोगोई को अपनी बीमार मां और बेटे से मिलने की अनुमति दी. अदालत ने मौजूदा महामारी के कारण उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से मिलने से मना कर दिया.
जेल से 19 महीनों बाद रिहा हुए रायजोर दल के अध्यक्ष ने कहा कि बीती रात उन्होंने लॉकडाउन के कारण लोगों के सामने आ रहीं आर्थिक दिक्कतों के बारे में भी सोचा.
उन्होंने कहा, ‘सभी को नौटंकी बंद करनी चाहिए और हमारी अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए काम करना चाहिए. सभी को यह पूछना चाहिए कि कैसे वे और अन्य लोग इस मुश्किल हालत में जी पा रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि सरकार को अगले तीन से छह महीने के लिए उन सभी परिवारों को आर्थिक मदद मुहैया करानी चाहिए जिनकी कोई तय आय नहीं है. उन्होंने कहा कि वह शनिवार की रात को जोरहाट जिले में अपने गांव के घर में अपनी मां के साथ रहेंगे.
गोगोई ने कहा कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र शिवसागर जाने की भी अनुमति मांगी थी लेकिन अदालत ने इसकी मंजूरी नहीं दी. उन्होंने कहा, ‘मैं हाथ जोड़कर शिवसागर के लोगों का आभार जताता हूं. आपने मुझे जेल में बंद रहने के बावजूद निर्वाचित किया और इतिहास बनाया. मुझे उम्मीद है कि मैं जल्द ही मुक्त जाऊंगा और आपकी सेवा करूंगा.’
गोगोई को मई में विधानसभा के तीन दिन के सत्र के दौरान विधायक के तौर पर शपथ लेने के लिए भी एक दिन के लिए रिहा किया गया था. उन्होंने कहा कि वह आगामी बजट सत्र में अपने निर्वाचन क्षेत्र की दिक्कतों को उठाएंगे.
अपने निजी जीवन के बारे में गोगोई ने बताया कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उनकी पत्नी गीताश्री तामुली को दो दिन पहले आईआईटी-गुवाहाटी से पीएचडी की डिग्री मिली है. उन्होंने कहा, ‘मैं इस अच्छी खबर के साथ घर आया. इतने मुश्किल वक्त में उनके अपनी पीएचडी पूरी करने से मैं बेहद खुश हूं.’
गोगोई को असम में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के वक्त जोरहाट से 12 दिसंबर 2019 को ‘एहतियाती कदम’ के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.
बाद में उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया. प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के कार्यकर्ता होने के आरोप में गोगोई के खिलाफ एनआईए द्वारा राजद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत केस दर्ज किया गया है. अखिल गोगोई और केएमएसएस ने पिछले साल दिसंबर में सीएए के खिलाफ असम में हुए प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
आरोप है कि गोगोई ने 2009 से अब तक भाकपा (माओवादी) के कैडर और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बैठकों की व्यवस्था की है और ‘इस संगठन की गतिविधियों के लिए’ देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है.
हालांकि साल 2010 में इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिल गोगोई में कहा था, ‘मैं मार्क्सवादी हूं, माओवादी नहीं’.
मालूम हो कि हाल ही में गोगोई को यूएपीए के तहत दर्ज दो मामलों में से एक में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था.
अदालत ने गोगोई के दो सहयोगियों- जगजीत गोहेन एवं भूपेन गोगोई- को भी मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के सभी आरोपों से बरी कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)