मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाली निगरानी तकनीकों पर लगाम लगाएं सरकारें: मानवाधिकार प्रमुख

पत्रकारों, नेताओं और अन्य की जासूसी किए जाने की द वायर और 16 अन्य मीडिया सहयोगियों के खुलासे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक हमारे समाज में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं और जब उन्हें चुप कराया जाता है, तो हम सभी पीड़ित होते हैं.

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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत. (फोटो: रॉयटर्स)

पत्रकारों, नेताओं और अन्य की जासूसी किए जाने की द वायर और 16 अन्य मीडिया सहयोगियों के खुलासे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक हमारे समाज में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं और जब उन्हें चुप कराया जाता है, तो हम सभी पीड़ित होते हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेत. (फोटो: रॉयटर्स)

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने दुनियाभर में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पायवेयर के उपयोग को ‘बेहद चिंताजनक’ बताते हुए सोमवार को सरकारों से उनकी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने का आह्वान किया, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने एक बयान में कहा, ‘विभिन्न देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, राजनेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पायवेयर के उपयोग के बारे में खुलासे बेहद चिंताजनक हैं और लोगों के मानवाधिकारों को अवैध रूप से कमजोर करने के लिए निगरानी तकनीक के संभावित दुरुपयोग के बारे में कुछ सबसे खराब आशंकाओं की पुष्टि करते प्रतीत होते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे अपने कार्यालय सहित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रणाली के विभिन्न हिस्सों ने वैध पत्रकारिता गतिविधियों का संचालन करने वाले, मानवाधिकारों की निगरानी या असहमति या राजनीतिक विरोध व्यक्त करने वाले लोगों के फोन और कंप्यूटर को हैक करने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले विभिन्न स्रोतों से निगरानी उपकरणों का उपयोग करने वाले अधिकारियों के खतरों के बारे में बार-बार गंभीर चिंता जताई है.’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि पत्रकार और मानवाधिकार रक्षक हमारे समाज में एक अनिवार्य भूमिका निभाते हैं और जब उन्हें चुप कराया जाता है, तो हम सभी पीड़ित होते हैं.

बैचलेट ने यह भी कहा कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप जैसी कंपनियों की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि उनके स्पायवेयर (पेगासस) का इस्तेमाल मानवाधिकारों को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘निगरानी प्रौद्योगिकियों के विकास और वितरण में शामिल कंपनियां मानवाधिकारों को नुकसान से बचाने के लिए जिम्मेदार हैं. उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है कि उनके उत्पादों से होने वाले नुकसान को कम करने और उन्हें दूर करने के लिए या मानवाधिकारों के लिए उचित परिश्रम किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे अब ऐसे विनाशकारी परिणामों में भाग नहीं लेते हैं और भविष्य के समान परिदृश्यों में शामिल होने से बचते हैं.’

बैचलेट ने कहा, ‘ये रिपोर्ट निगरानी तकनीक की बिक्री, हस्तांतरण और उपयोग को बेहतर ढंग से विनियमित करने और सख्त निगरानी और प्राधिकरण सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता की पुष्टि करती हैं. मानवाधिकारों के अनुरूप नियामक ढांचे के बिना आलोचकों को डराने और असंतोष को शांत करने के लिए इन उपकरणों का दुरुपयोग करने के लिए बहुत अधिक जोखिम हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सरकारों को निगरानी प्रौद्योगिकियों के अपने स्वयं के उपयोग को तुरंत बंद कर देना चाहिए जो मानवाधिकारों का उल्लंघन करते हैं और दूसरों द्वारा बनाई गई निगरानी प्रौद्योगिकी के वितरण, उपयोग और निर्यात को विनियमित करके गोपनीयता के ऐसे आक्रमणों से बचाने के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए.’

बता दें कि, द वायर  और 16 मीडिया सहयोगियों की एक पड़ताल के मुताबिक, इजराइल की एक सर्विलांस तकनीक कंपनी एनएसओ ग्रुप के कई सरकारों के क्लाइंट्स की दिलचस्पी वाले ऐसे लोगों के हजारों टेलीफोन नंबरों की लीक हुई एक सूची में 300 सत्यापित भारतीय नंबर हैं, जिन्हें मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है.

निशाना बनाने के लिए चुने गए नामों में 40 से ज्यादा पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक प्राधिकारी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख एवं अधिकारी और बड़ी संख्या में कारोबारियों के नाम शामिल हैं.

दुनियाभर में पेगासस की बिक्री करने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का कहना है कि इसके ग्राहक ‘प्रमाणित सरकारों’ तक सीमित हैं.