असम विधानसभा में गो- संरक्षण विधेयक पारित किया गया है, जिसके तहत हिंदू, जैन, सिख बाहुल्य इलाकों और गोमांस न खाने वाले अन्य समुदायों वाले क्षेत्रों में गोमांस की ख़रीद और बिक्री पर प्रतिबंध का प्रावधान है. साथ ही मंदिर या वैष्णव मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में गोमांस ख़रीदने-बेचने की मनाही है. इस विधेयक को पारित होने से न रोक पाने के लिए विधायक अखिल गोगोई ने असम के लोगों से माफ़ी मांगी है.
गुवाहाटी: गो-संरक्षण विधेयक को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर निशाना साधते हुए विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि उन्हें राज्य के इतिहास में ‘सबसे अधिक सांप्रदायिक और फूट डालने वाले मुख्यमंत्री’ के तौर पर याद किया जाएगा.
स्वतंत्रता दिवस पर गुवाहाटी में गोगोई ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इस विधेयक को पारित होने से न रोक पाने के लिए असम के लोगों से माफी मांगी, क्योंकि वह अपने रायजोर दल के अकेले विधायक हैं.
गोगोई ने आरोप लगाया, ‘जब 13 अगस्त को विधेयक पारित किया गया तो मैं उस रात सो नहीं सका. यह विध्वंसकारी कृत्य है, जिससे लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द खत्म हो जाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी. असम हिमंता बिस्वा शर्मा को सबसे अधिक सांप्रदायिक और विभाजनकारी मुख्यमंत्री के तौर पर याद रखेगा. वह सबसे खतरनाक मुख्यमंत्री हैं और उनके शासन में असम के लोग सुरक्षित नहीं हैं.’
उन्होंने विधेयक पारित करने की तुलना बाबरी मस्जिद विध्वंस से की और कहा कि देश की हिंदू-मुस्लिम एकता को खत्म करने की घटनाएं खतरनाक है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि शर्मा ने विधेयक पारित किए जाने के दौरान अपने भाषण में महात्मा गांधी को गलत तरीके से उद्घृत किया.
गोगोई ने कहा, ‘शर्मा ने सदन में महात्मा गांधी के बयानों का लेकर झूठ बोला? क्या उन्होंने इस तरह एक बार फिर महात्मा गांधी की हत्या नहीं की है? हमें उन्हें दूसरा नाथूराम गोडसे क्यों नहीं कहना चाहिए?’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 13 अगस्त को असम विधानसभा में असम गो-संरक्षण विधेयक 2021 को पारित किया गया. इस विधेयक के तहत हिंदुओं, जैन, सिख बाहुल्य इलाकों और गोमांस नहीं खाने वाले अन्य समुदायों वाले क्षेत्रों में गोमांस की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध का प्रावधान है.
इसके तहत मंदिर या वैष्णव मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में भी गोमांस की खरीद एवं बिक्री पर मनाही है.
विधायक गोगोई ने कहा कि बीफ पर प्रतिबंध लगाने से भोजन के चुनाव की स्वतंत्रता बाधित होगी. उन्होंने लोगों विशेष रूप से मुस्लिमों और ईसाइयों से विधेयक को पारित होने से नहीं रोक पाने को लेकर माफी मांगी.
उन्होंने कहा, ‘यह बिल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने जा रहा है और इससे महंगाई बढ़ेगी. सदन में विधेयक के पेश होने के बाद ही हम मांस, अंडों और मछली की कीमतें बढ़ते देख चुके हैं. सभी डेयरी किसानों पर इसका असर होगा, क्योंकि वे दूध नहीं देने वाली गायों को वध के लिए नहीं बेच पाएंगे.’
उन्होंने कहा, ‘गायों की खरीद और बिक्री बाजार इससे बुरी तरह प्रभावित होगा. यह बाजार 20,000 से 30,000 करोड़ मूल्य का है, जिनमें से अधिकतर ग्रामीण इलाकों में हैं.अब ये सभी प्रभावित होंगे.’
गोगई ने कहा कि भाजपा सरकार मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधते हुए यह बिल लेकर आई है. इससे राज्य के उन हिंदू लोगों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जो मवेशी अर्थव्यवस्था पर निर्भर है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)