राकेश टिकैत ‘डकैत’ हैं, किसानों का प्रदर्शन ‘सिखिस्तान’ से प्रभावित है: भाजपा सांसद

यूपी के बहराइच से भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने कहा कि जो लोग कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, बल्कि 'सिखिस्तान' और 'पाकिस्तान' समर्थित राजनीतिक दलों के लोग हैं. इससे पहले सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी किसानों के विरोध-प्रदर्शन को 'प्रायोजित' बताया था.

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यूपी के बहराइच से भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने कहा कि जो लोग कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, बल्कि ‘सिखिस्तान’ और ‘पाकिस्तान’ समर्थित राजनीतिक दलों के लोग हैं. इससे पहले सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी किसानों के विरोध-प्रदर्शन को ‘प्रायोजित’ बताया था.

राकेश टिकैत और अक्षयवर लाल गोंड.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के बहराइच से भाजपा सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने बीते रविवार (19 सितंबर) को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को ‘डकैत’ कहा.

गोंड ने यूपी में भाजपा के साढ़े चार साल पूरे होने के मौके पर पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान ये टिप्पणी की.

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग सितंबर, 2020 में लागू किए जाने के बाद से विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे किसान नहीं हैं, बल्कि ‘सिखिस्तान’ और ‘पाकिस्तान’ समर्थित राजनीतिक दलों के लोग हैं.

उन्होंने कहा कि अगर ‘असली’ किसान विरोध कर रहे होते, तो देश में दूध, सब्जियां, खाद्यान्न और फलों जैसे खाद्य पदार्थों की कमी हो जाती.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसानों के विरोध को कनाडा जैसे विदेशों से धन प्राप्त हो रहा था. उन्होंने कहा, ‘पैसा आतंकी फंडिंग के लिए है और एजेंसियां ​​इसकी जांच कर रही हैं.’

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के कृषि से संबंधित तीन विधेयकों– किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को पिछले साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में आठ महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.

दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.

केंद्र ने विवादास्पद कानून को निरस्त करने से इनकार कर दिया है, जबकि किसान नेताओं ने कहा है कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी ‘घर वापसी’ सिर्फ कानून वापसी के बाद होगी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीते सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में किसानों के विरोध को ‘प्रायोजित’ बताया था.

मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि ये विरोध ‘विदेशी एजेंटों’ के साथ मिलकर कांग्रेस द्वारा प्रायोजित किया गया है. कांग्रेस के कई सदस्यों ने इन टिप्पणियों का विरोध किया और सदन में हंगामा हुआ.

कांग्रेस के कर्नाटक अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बोम्मई की टिप्पणी को ‘अपमान’ कहा और राज्य में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने इसे ‘सबसे गैर-जिम्मेदाराना’ बयान कहा.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)