विवादित तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद कृषि संगठन मांग कर रहे हैं कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 से अधिक किसानों को उचित मुआवज़ा प्रदान किया जाएगा, जिनका विस्तृत ब्यौरा उनके पास उपलब्ध है.
नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बुधवार को संसद को बताया कि उनके पास किसान आंदोलन के दौरान हुई मौतों का ‘कोई रिकॉर्ड’ नहीं है, इसलिए मुआवजा देने का कोई सवाल नहीं उठता है.
मालूम हो कि देश के विभिन्न हिस्सों में एक साल लंबे चले किसान आंदोलन के चलते मोदी सरकार ने बीते सोमवार को संसद में तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित कराया था.
अब कृषि संगठनों की मांग है कि कि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी देने वाला कानून बनाए और आंदोलन के दौरान शहीद हुए 700 से अधिक किसानों को उचित मुआवजा प्रदान करे. संगठन के पास मृतक किसानों का विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध है.
हालांकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा को बताया, ‘कृषि मंत्रालय के पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, इसलिए मुआवजे का सवाल नहीं उठता है.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी छह मांगों को दोहराते हुए कहा था कि इन्हें अभी पूरा नहीं किया गया है.
इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी कि एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करने, मृतक किसानों के लिए मेमोरियल बनाने और उनके परिजनों को मुआवजा देने जैसी मांगे शामिल थीं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कई बार कहा है कि बिल वापसी पर्याप्त नहीं है, इन मांगों को पूरा किए बिना किसान वापस नहीं जाएंगे.
द वायर ने पूर्व में रिपोर्ट कर दर्शाया था कि किस तरह मृतकों के परिजनों को अभी तक न्याय का इंतजार है. कई लोगों ने यह भी कहा है कि यदि सरकार ने पहले ही किसानों की मांगें स्वीकार कर ली होती तो इतनी जिंदगियां बचाई जा सकती थीं.
अभी तक केवल तेलंगाना सरकार ने विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनों को खोने वाले किसानों के परिवारों को 3 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. समाजवादी पार्टी ने अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में जीत हासिल कर सत्ता में आने के बाद ऐसे परिवारों को 25 लाख रुपये देने का वादा किया है.