असम: सांप्रदायिक टिप्पणी के आरोप में कांग्रेस सांसद ने मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ शिकायत की

कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने 10 दिसंबर को कहा था कि दरांग ज़िले के गोरुखुटी में बेदख़ली अभियान 1983 की घटनाओं (असम आंदोलन के दौरान वहां कुछ युवाओं की हत्या) का बदला था. बीते सितंबर में गोरुखुटी में अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए लगभग 1,200-1,400 घरों को ढहा दिया गया था.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा (फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने 10 दिसंबर को कहा था कि दरांग ज़िले के गोरुखुटी में बेदख़ली अभियान 1983 की घटनाओं (असम आंदोलन के दौरान वहां कुछ युवाओं की हत्या) का बदला था. बीते सितंबर में गोरुखुटी में अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए लगभग 1,200-1,400 घरों को ढहा दिया गया था.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: कांग्रेस के लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के खिलाफ दरांग जिले के गोरुखुटी में सितंबर के बेदखली अभियान को सही ठहराते हुए मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित तौर पर सांप्रदायिक बयान देने के लिए बीते बुधवार को पुलिस शिकायत दर्ज कराई है .

खालेक ने शर्मा के खिलाफ दिसपुर थाने में दी गई शिकायत में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा करवाने के मकसद से उकसाना), 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) समेत अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है, लेकिन अभी प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है, क्योंकि यह अभी जांच के चरण में है.

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने 10 दिसंबर को कहा था कि गोरुखुटी में बेदखली अभियान 1983 की घटनाओं (असम आंदोलन के दौरान वहां कुछ युवाओं की हत्या) का बदला था.

शिकायत में कहा गया, ‘संविधान पर अपनी शपथ को धोखा देकर माननीय मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने दुर्भावनापूर्ण रूप से एक सांप्रदायिक रंग दिया है, जिसे एक कार्यकारी कवायद माना जाता था.’

मालूम हो कि गोरुखुटी के धालपुर 1, 2 और 3 गांवों में 20 और 23 सितंबर को लगभग 1,200-1,400 घरों को ढहा दिया गया था, जिससे 7,000 से अधिक लोग बेघर हो गए. इसके साथ ही गांव के बाजारों, मस्जिदों, कब्रिस्तानों, मदरसों और मकतबों (पढ़ने-लिखने की जगह) पर भी बुलडोजर चलाया गया था.

यहां ज़्यादातर पूर्वी बंगाल मूल के मुसलमान रहते थे.

अतिक्रमण विरोधी अभियान पहले दिन शांतिपूर्वक संपन्न हुई, हालांकि दूसरे दिन इसे स्थानीय लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और इस दौरान 23 सितंबर को धालपुर-3 गांव में बेदखली अभियान हिंसक हो गया था और पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के एक बच्चे समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. इस दौरान पुलिसकर्मियों समेत 20 लोग घायल भी हुए थे.

अतिक्रमण हटाने का पहला अभियान जून में हुआ था, जिसके बाद हिमंता बिस्वा की कैबिनेट ने एक समिति के गठन को मंजूरी दी थी, जिसका काम ‘दरांग में सिपाझार के गोरुखुटी में अतिक्रमण से खाली कराई गई 77 हजार बीघा सरकारी भूमि का कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग करना है.’

कांग्रेस नेता की शिकायत में कहा गया है, ‘इस तरह के जघन्य कृत्यों को प्रतिशोध कहते हुए हिमंता बिस्वा शर्मा ने न केवल वहां हुई हत्याओं और आगजनी को न्यायोचित ठहराया है, जिसकी वैधता माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, बल्कि वह इससे भी आगे बढ़ गए और उन्होंने इस पूरी कवायद को सांप्रदायिक रूप दिया- जिसका निशाना वहां रहने वाली मुस्लिम आबादी थी.’

खालेक ने आरोप लगाया कि गोरुखुटी में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन शर्मा के कई बयानों से पहले भी हुआ था. उन्होंने कहा, ‘माननीय मुख्यमंत्री द्वारा मुस्लिम समुदाय की लगातार बदनामी से पैदा हुई नफरत एक नागरिक के घिनौने कृत्यों में प्रकट हुई.’

सांसद ने कहा कि एक सरकारी फोटोग्राफर ने पुलिस की गोली लगने के बाद अपनी अंतिम सांस लेते एक व्यक्ति के शरीर पर कूदकर आक्रामकता दर्शायी थी.

शिकायत में उन्होंने कहा, ‘और गोरुखुटी में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को 1983 के लिए ‘बदला’ बताकर माननीय मुख्यमंत्री लोगों को राज्य के समुदाय विशेष के खिलाफ उकसा रहे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)