एथलीट और ‘महाभारत’ में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता प्रवीण कुमार सोबती का निधन

प्रवीण कुमार सोबती 20 साल की उम्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती हुए थे, जहां पहली बार उनके एथलेटिक कौशल के लिए उनकी सराहना की गई. इसके बाद उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई खेलों में चार पदक भी जीते. प्रवीण ने 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.

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प्रवीण कुमार सोबती. (फोटो साभार: फेसबुक)

प्रवीण कुमार सोबती 20 साल की उम्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती हुए थे, जहां पहली बार उनके एथलेटिक कौशल के लिए उनकी सराहना की गई. इसके बाद उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई खेलों में चार पदक भी जीते. प्रवीण ने 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.

प्रवीण कुमार सोबती. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक ‘महाभारत’ में भीम का किरदार निभाने वाले अभिनेता एवं एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी प्रवीण कुमार सोबती का हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया. वह 74 वर्ष के थे.

अभिनेता ने सोमवार देर रात को दिल्ली में अशोक विहार स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी, बेटी, दो छोटे भाई और एक बहन है.

प्रवीण कुमार के एक रिश्तेदार ने बताया, ‘उन्हें छाती में संक्रमण की समस्या थी. सोमवार की रात को जब उन्हें बेचैनी होने लगी, तो हमने डॉक्टर को घर पर बुलाया. हृदय गति रुक जाने के कारण रात सवा दस बजे से साढ़े दस बजे के बीच उनका निधन हो गया.’

प्रवीण कुमार 20 साल की उम्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में भर्ती हुए थे. जहां पहली बार उनके एथलेटिक कौशल के लिए उनकी सराहना की गई.

इसके बाद प्रवीण ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक प्रतियोगिताओं में हैमर थ्रो और डिस्कस थ्रो स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई खेलों में चार पदक भी जीते. प्रवीण ने 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था.

उन्होंने 1966 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हैमर थ्रो में रजत पदक भी जीता था.

एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से जारी एक विज्ञप्ति ​के अनुसार, ‘पंजाब में अमृतसर से 50 किलोमीटर दक्षिण में सरहली कलां गांव के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रवीण कुमार सोबती ने किंग्सटन में 1966 के कॉमनवेल्थ गेम्स हैमर थ्रो में रजत पदक जीता था. यह राष्ट्रमंडल खेलों में एक फील्ड स्पर्धा में भारत का पहला पदक था और 1958 में मिल्खा सिंह के 440 गज के स्वर्ण के बाद एथलेटिक्स में दूसरा पदक था.’

इसके अनुसार, ‘उन्होंने 1966 और 1970 में बैंकॉक में एशियाई खेलों में डिस्कस थ्रो स्वर्ण जीता, 1966 में हैमर थ्रो कांस्य और 1974 में तेहरान में डिस्कस थ्रो सिल्वर जीता. 1968 में मैक्सिको सिटी और 1972 में म्यूनिख में ओलंपिक खेलों की प्रतियोगिता में उन्होंने क्रमशः अपने करिअर का सर्वश्रेष्ठ हैमर थ्रो (60.84 मीटर) और डिस्कस थ्रो (53.12 मीटर) का प्रदर्शन किया.’

निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा के लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक ‘महाभारत’ में भीम के किरदार से उन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली. ‘महाभारत’ 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था.

प्रवीण कुमार ने ‘युद्ध’, ‘अधिकार’, ‘हुकूमत’, ‘शहंशाह’, ‘घायल’, ‘अजूबा’, ‘लोहा’ और ‘आज का अर्जुन’ समेत करीब 50 फिल्मों में काम भी किया था.

उन्होंने 2013 में राजनीति में कदम रखा और आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हो गए. प्रवीण कुमार ने आप के टिकट पर दिल्ली विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार महेंद्र नागपाल से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए.

बीएसएफ के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से ट्वीट कर प्रवीण कुमार को श्रद्धांजलि दी गई है.

बीएसएफ ने ट्वीट किया, ‘बीएसएफ के महानिदेशक और सभी रैंकों के अधिकारियों ने पूर्व डिप्टी कमांडेंट, अर्जुन पुरस्कार विजेता, दो बार के ओलंपियन (1968 मैक्सिको गेम्स और 1972 म्यूनिख गेम्स) और चार बार के एशियाई खेलों के पदक विजेता (2 स्वर्ण, 1 रजत) प्रवीण कुमार सोबती के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त किया है.’

उनके निधन पर महाभारत में कृ​ष्ण का किरदार निभा चुके नीतीश भारद्वाज ने फेसबुक पर लिखा, ‘प्रवीण कुमार सोबती नहीं रहे. एशियाई खेलों के चैंपियन, लेकिन महाभारत में भीम का किरदार निभाने के लिए भी जाने जाते थे. इस समय मेरे दिमाग में कई यादें तैर रही हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कई घटनाएं; पर मैं उन्हें किस रूप में याद करता हूं? एक सच्चे खिलाड़ी के रूप में, जो कभी भी क्षुद्र राजनीति में, पीठ के पीछे किसी की भी आलोचना करने में लिप्त नहीं रहा.’

उन्होंने कहा, ‘और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने अपने पंजाबी हास्य के माध्यम से जीवन पर हंसना और अपनी हंसी और खुशी दूसरों तक फैलाना सीख लिया था. वह पंजाब के एक ‘पिंड’ (गांव) के एक शुद्ध और सरल आत्मा थे. उनकी आत्मा को सद्गति और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिले. मैं उनकी आत्मा के लिए अपनी मौन प्रार्थना करता हूं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)