69 वर्षीय गायक और संगीतकार बप्पी लाहिड़ी को स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थीं. वह भारत में 80 और 90 के दशक में मुख्य रूप से डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं. इस दशक में कई फिल्मों में उन्होंने गाने गाए, जो काफी हिट रहे. इन फिल्मों में ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘शराबी’ शामिल हैं.
मुंबई: गायिका लता मंगेशकर के निधन के बाद हिंदी सिनेमा की एक और मशहूर हस्ती गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी का स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतों के बाद निधन हो गया है. बप्पी भारत में 80 और 90 के दशक में मुख्य रूप से डिस्को संगीत को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं.
उनका इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने बुधवार को यह जानकारी दी कि लाहिड़ी का जुहू के क्रिटिकेयर हॉस्पिटल में मंगलवार रात को निधन हो गया. वह 69 वर्ष के थे.
अस्पताल के निदेशक डॉ. दीपक नमजोशी ने कहा, ‘लाहिड़ी करीब एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें सोमवार को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन उनकी सेहत मंगलवार को बिगड़ गई और उनके परिवार ने एक डॉक्टर को घर बुलाया. उन्हें अस्पताल लाया गया. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें थीं. उनकी देर रात ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया) के कारण मौत हो गई.’
अस्पताल की ओर से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘बप्पी लाहिड़ी ओएसए- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और बार-बार होने वाले सीने में संक्रमण से पीड़ित थे. उनका इलाज डॉ. दीपक नामजोशी ने किया था. वह 29 दिनों तक जुहू के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती थे. वह ठीक हो गए थे और 15 फरवरी को छुट्टी दे दी गई थी. हालांकि घर पर एक दिन के बाद ही उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई और उन्हें गंभीर अवस्था में क्रिटिकेयर अस्पताल में वापस लाया गया और लगभग मंगलवार रात 11:45 बजे उनकी बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई.’
बयान के अनुसार, ‘वह पिछले साल कोविड संक्रमण से पीड़ित थे. उन्हें पिछले एक साल से ओएसए था. कई मौकों पर क्रिटिकेयर अस्पताल में डॉ. दीपक नामजोशी ने उनका इलाज किया था और हर बार वो ठीक हो गए थे.’
सोने की मोटी चेन और चश्मा पहनने के लिए पहचाने जाने वाले गायक-संगीतकार ने 80-90 के दशक में कई फिल्मों में गाने गाए, जो काफी हिट रहे.
इन फिल्मों में ‘चलते-चलते’, ‘डिस्को डांसर’ और ‘शराबी’ शामिल हैं. इस संगीतकार ने आखिरी बार सितंबर 2021 में ‘गणपति बप्पा मोरया’ पर काम किया था. उन्होंने इस भक्ति गीत को संगीत दिया, जिसे भारतीय अमेरिकी गायक अनुराधा जुजू पालकुर्थी ने आवाज दी थी.
उनका आखिरी बॉलीवुड गीत 2020 में आई फिल्म ‘बागी 3’ के लिए ‘भंकस’ था.
बप्पी लाहिड़ी के परिवार के सदस्यों द्वारा एक आधिकारिक बयान जारी किया गया है. इस बयान के अनुसार, ‘यह हमारे लिए एक गहरा दुखद क्षण है. कल सुबह लॉस एंजिलिस से बप्पा के आगमन पर उनका अंतिम संस्कार होगा. हम उनकी आत्मा के लिए प्यार और आशीर्वाद मांग रहे हैं.’
इस बयान पर उनकी पत्नी गोबिंद बंसल, बप्पा लाहिड़ी और रीमा लाहिरी ने हस्ताक्षर किए हैं.
बप्पी लाहिड़ी का अंतिम संस्कार गुरुवार को जुहू के पवन हंस शवदाहगृह में होगा. परिवार उनके बेटे बप्पा लाहिड़ी का इंतजार कर रहा है, जो अमेरिका में हैं. उनके आज (बुधवार) किसी समय भारत पहुंचने की उम्मीद है.
‘अमर प्रेम’, ‘अमार संगी’, ‘मंदिरा’, ‘बदनाम’, ‘अमार तुमी’, ‘आशा ओ भालोबाशा’, ‘रक्तेलेखा’, ‘प्रिया’ जैसी बंगाली फिल्मों के साथ अपनी सफलता के लिए जाने जाने वाले लाहिड़ी ने 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड फिल्मों के साउंडट्रैक में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.
इस दशक में वह ‘वारदात’, ‘डिस्को डांसर’, ‘नमक हलाल’, ‘शराबी’, ‘नया कदम’, ‘मास्टरजी’, ‘हिम्मतवाला’, ‘बेवफाई’, ‘मकसद’, ‘सुराग’, ‘इंसाफ मैं करूंगा’, ‘कमांडो’, ‘साहेब’, ‘गैंग लीडर’, ‘सैलाब’ जैसे फिल्मों के संगीत के लिए लोकप्रिय हुए.
लाहिड़ी को 1970 से लेकर 1990 के दौरान भारतीय सिनेमा में ‘आय एम अ डिस्को डांसर’, ‘जिम्मी जिम्मी’, ‘पग घुंघरु’, ‘इंतेहा हो गई’, ‘तम्मा तम्मा लोगे’, ‘यार बिना चैन कहां रे’, ‘आज रपट जाए तो’ तथा ‘चलते चलते’ जैसे गीतों से डिस्को संगीत का दौर शुरू करने का श्रेय दिया जाता है.
उन्होंने 2000 के दशक में ‘टैक्सी नंबर 9211’ का ‘बम्बई नगरिया’ और द डर्टी पिक्चर (2011) के ‘ऊ ला ला’ जैसे हिट गीतों को भी अपनी आवाज दी थी. वह उन गायकों में से एक हैं, जिन्होंने 2014 में आई फिल्म ‘गुंडे’ का ‘तूने मारी एंट्रियां’ गीत भी गाया था.
उन्होंने बंगाली, तेलुगू, तमिल, कन्नड और गुजराती फिल्मों में भी संगीत दिया.
बप्पी लाहिड़ी का जन्म 27 नवंबर 1952 को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता – अपरेश लाहिड़ी और बांसुरी लाहिड़ी – शास्त्रीय संगीत और श्यामा संगीत में बंगाली गायक और संगीतकार थे. वह उनकी एकमात्र संतान थे. गायक किशोर कुमार उनके मामा थे.
लाहिड़ी ने तीन साल की उम्र में तबला बजाना शुरू किया था. शुरुआत में उन्हें उनके माता-पिता ने प्रशिक्षित किया था. न केवल हिंदी फिल्मों में बल्कि लाहिड़ी बंगाली सिनेमा में भी लोकप्रिय नाम थे, जहां उन्होंने 1972 में आई फिल्म ‘दादू’ से अपने करिअर की शुरुआत की.
बतौर संगीतकार हिंदी फिल्म उद्योग में अपना पहला ब्रेक 1973 की फिल्म ‘नन्हा शिकारी’ के माध्यम से मिला था. ‘जख्मी’ फिल्म के लिए गाना गाने और संगीत देने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
‘जख्मी’ के बाद उन्होंने ‘चलते चलते’, ‘सुरक्षा’ और अन्य फिल्मों में काम किया और उनका डिस्को संगीत युवाओं के बीच इतना लोकप्रिय हुआ कि उन्हें भारत के ‘डिस्को किंग’ की उपाधि दे दी गई.
गायक ने 2019 में समाचार एजेंसी ‘पीटीआई/भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अपने युग के कुछ बड़े सितारों के लिए गाना गाने को लेकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं.
उन्होंने कहा था, ‘मुझे यह सफर तय करके और इंडस्ट्री में अत्यधिक प्रतिभाशाली लोगों के साथ काम करके काफी गर्व महसूस होता है. मैंने दिलीप कुमार से लेकर रणवीर सिंह तक के लिए काम किया. ‘धर्म अधिकारी’ से लेकर ‘गुंडे’ तक में काम किया है.’
1983 में आई फिल्म ‘हिम्मतवाला’ की सफलता के बाद बप्पी ने ‘जस्टिस चौधरी’, ‘जानी दोस्त’, ‘मवाली’, ‘हैसियत’, ‘तोहफा’, ‘बलिदान’, ‘कैदी’, ‘होशियार’, ‘सिंहासन’, ‘सुहागन’, ‘मजाल’, ‘तमाशा’, ‘सोने पे सुहागा’, ‘धर्म अधिकारी’ जैसी फिल्मों के लिए किशोर कुमार द्वारा गाए गए युगल गीतों की रचना की.
बप्पी लाहिरी ने 1983-1985 की अवधि में मुख्य नायक के रूप में जितेंद्र अभिनीत 12 सुपरहिट सिल्वर जुबली फिल्मों के लिए संगीत देने का एक रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने 1986 में 33 फिल्मों के लिए 180 से अधिक गाने रिकॉर्ड करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया था.
2016 के आखिर में लाहिड़ी ने डिज्नी की 3डी कंप्यूटर-एनिमेटेड फैंटसी फिल्म ‘मोआना’ के हिंदी-डब संस्करण में ‘तमातोआ’ के चरित्र को आवाज दी थी. उन्होंने ‘शाइनी’ के हिंदी संस्करण ‘शोना’ (गोल्ड) की रचना और गायन भी किया था. एक एनिमेटेड चरित्र के लिए उन्होंने पहली बार डबिंग की थी.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल सितंबर में बप्पी ने इस तरह की अफवाहों को निराशाजनक बताते हुए अपनी आवाज खो देने की खबरों को खारिज कर दिया था.
लाहिड़ी कुछ समय के लिए राजनीति में भी उतरे थे. साल 2014 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे. भाजपा ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया था, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
इससे पहले बीते छह फरवरी को प्रख्यात भारतीय गायिका लता मंगेशकर का निधन मुंबई के एक अस्पताल में हो गया. वह 92 वर्ष की थीं. बहुमुखी प्रतिभा की धनी लता ने लगभग आठ दशकों के अपने करिअर में 36 भाषाओं में हजारों गीतों को अपनी आवाज दी थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)