हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए ताजमहल में घुसने की कोशिश कर रहे विहिप कार्यकर्ता रोके गए

कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के ख़िलाफ़ विरोध जताते हुए मंगलवार को आगरा में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने भगवा वस्त्र पहनकर हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए ताजमहल परिसर में घुसने का प्रयास किया. पुलिस ने उन्हें चुनाव आचार संहिता और धारा 144 लगने की वजह से बीच रास्ते में ही रोक लिया. बाद में विरोध स्वरूप कार्यकर्ताओं ने थाना हरीपर्वत में हनुमान चालीसा का पाठ किया.

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(फोटो: रॉयटर्स)

कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के ख़िलाफ़ विरोध जताते हुए मंगलवार को आगरा में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने भगवा वस्त्र पहनकर हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए ताजमहल परिसर में घुसने का प्रयास किया. पुलिस ने उन्हें चुनाव आचार संहिता और धारा 144 लगने की वजह से बीच रास्ते में ही रोक लिया. बाद में विरोध स्वरूप कार्यकर्ताओं ने थाना हरीपर्वत में हनुमान चालीसा का पाठ किया.

ताज महल (फोटो: रायटर्स)

आगरा: कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर जारी विवाद के बीच इसके खिलाफ विरोध जताते हुए बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए ताजमहल परिसर में घुसने का प्रयास किया, जिन्हें पुलिस ने रोक दिया.

इसके बाद विरोध स्वरूप विहिप कार्यकर्ताओं ने थाना हरीपर्वत में हनुमान चालीसा का पाठ किया.

इस संबंध में थाने के पुलिस निरीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि विहिप कार्यकर्ता ताजमहल की ओर जा रहे थे, जिन्हें चुनाव आचार संहिता और धारा 144 लगने की वजह से बीच रास्ते में ही रोक लिया गया.

उन्होंने बताया कि बाद में उक्त कार्यकर्ता एसीएम प्रथम को ज्ञापन देने के बाद वापस चले गए.

कर्नाटक के उडुपी में हुए हिजाब विवाद का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इस बीच आगरा में विश्व हिंदू परिषद द्वारा भगवा वस्त्र पहनकर ताजमहल में हनुमान चालीसा का पाठ करने की जब जानकारी सोशल मीडिया पर प्रसारित हुई तो इसको लेकर आगरा पुलिस सतर्क हो गई. मंगलवार सुबह से ही पुलिस हर चौराहे पर तैनात रही.

मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे विहिप के पदाधिकारी और कार्यकर्ता हरीपर्वत चौराहा पहुंचे तो यहां पर उन्हें पुलिस ने रोक लिया. इसमें विहिप के ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष आशीष आर्य के साथ अन्य संगठनों की महिलाएं और कार्यकर्ता भी शामिल थे.

पुलिस सभी को थाना हरीपर्वत ले आई. यहां पर पुलिस ने उनसे आगे जाने के लिए मना किया तो इस पर थाने में ही सभी ने विरोध स्वरूप हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विश्व हिंदू परिषद के ब्रज क्षेत्र के उपाध्यक्ष आशीष आर्य ने कहा, ‘हमने ताजमहल में भगवा वस्त्र पहनकर ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करने की घोषणा की थी क्योंकि हम इसे ‘तेजो महालय’ (शिव मंदिर) मानते हैं. लेकिन पुलिस हमें रोक.’

उन्होंने कहा, ‘आगरा में विभिन्न बिंदुओं पर विहिप, सेवा भारती और दुर्गा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोका. मैंने सेवा भारती और दुर्गा वाहिनी के सदस्यों के साथ हरिपर्वत थाने में पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ किया.’

सेवा भारती की भावना शर्मा ने कहा, ‘हम ताजमहल परिसर में शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते थे. हमने पुलिस से कहा कि हम टिकट खरीदेंगे, लेकिन हमें ताजमहल के आगे पार्किंग में रोक दिया गया.’

उन्होंने कहा, ‘इसका उद्देश्य मौजूदा हिजाब विवाद के खिलाफ विरोध दर्ज कराना था क्योंकि स्कूलों में एक ड्रेस कोड होता है और हर छात्र को इसका पालन करना चाहिए.’

गौरतलब है कि हिजाब का विवाद कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उनके जवाब में महाविद्यालय में हिंदू विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे.

धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का महौल पैदा हो गया और हिंसा हुई.

इस विवाद के बीच एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.

याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है.

हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 10 फरवरी को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था. इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

इस पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को कहा था कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)