हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ताओं में से एक हाज़रा शिफ़ा ने आरोप लगाया है कि भीड़ ने उनके भाई पर हमला किया और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इस संबंध में मालपे पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है.
उडुपी: हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ताओं में से एक हाज़रा शिफा ने आरोप लगाया है कि भीड़ ने उसके भाई पर हमला किया और उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इस सिलसिले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है.
खबरों के अनुसार, सोमवार (21 फरवरी) रात को हुई घटना में पास के मालपे क्षेत्र में याचिकाकर्ता के परिवार द्वारा चलाए जा रहे एक रेस्तरां की खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए थे. इस संबंध में मालपे पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया है और पुलिस जांच कर रही है.
पुलिस सूत्रों ने कहा, ‘रेस्तरां पर हमला करने और उसे निशाना बनाने के मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है.’
शिफा ने ट्वीट किया, ‘भीड़ ने मेरे भाई पर निर्ममता से हमला किया. केवल इसलिए क्योंकि मैं अपने हिजाब के लिए लड़ रही हूं, जो कि मेरा हक है. हमारी संपत्ति को भी नष्ट किया गया. क्यों? क्या मैं अपना अधिकार नहीं मांग सकती? उनका अगला निशाना कौन होगा? मैं संघ परिवार के गुंडों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती हूं.’
शिफा के अनुसार, उनका 20 वर्षीय भाई सैफ उडुपी के हाईटेक अस्पताल में भर्ती हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक पुलिस सूत्र ने कहा कि जांच से पता चला है कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वह एक क्षेत्रीय समाचार चैनल में हिजाब मुद्दे पर एक बहस में शामिल हुए थे. उन पर हमला करने वाली भीड़ ने बहस के दौरान उनके बयानों के बारे में उनसे सवाल किया.
एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें संदेह है कि एक हिंदुत्व समर्थक संगठन ने होटल पर हमला किया.’
पुलिस ने भीड़ के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143, 145, 147, 323, 504 और 506 के तहत मामला दर्ज किया है.
घटना के बाद याचिकाकर्ता ने ट्विटर पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस एम. काजी और जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की पूर्ण पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया है.
यह पीठ हिजाब पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए गठित की गई थी.
गौरतलब है कि हिजाब का विवाद कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में सबसे पहले तब शुरू हुआ था, जब छह लड़कियां पिछले साल दिसंबर में हिजाब पहनकर कक्षा में आईं और उनके जवाब में महाविद्यालय में हिंदू विद्यार्थी भगवा गमछा पहनकर आने लगे.
इन छात्राओं के कॉलेज में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई थी.
धीरे-धीरे यह विवाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया, जिससे कई स्थानों पर शिक्षण संस्थानों में तनाव का महौल पैदा हो गया और हिंसा हुई.
इस विवाद के बीच इन छह में से एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.
याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है.
हिजाब के मुद्दे पर सुनवाई कर रही कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने 10 फरवरी को मामले का निपटारा होने तक छात्रों से शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में धार्मिक कपड़े पहनने पर जोर नहीं देने के लिए कहा था. इस फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.
इस पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 11 फरवरी को कहा था कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और कर्नाटक हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर ‘उचित समय’ पर विचार करेगा, जिसमें विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थानों में किसी प्रकार के धार्मिक कपड़े नहीं पहनने के लिए कहा गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)