केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म प्रदर्शित करने का आदेश दिया. फिल्म के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने कहा, सिनेमा और लोकतंत्र की जीत हुई.

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (आईएफएफआई) में मलयाली फिल्म एस. दुर्गा प्रदर्शित करने का मंगलवार को आदेश दिया.
कुछ दिन पहले ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फिल्म को समारोह में प्रदर्शित की जाने वाली सूची से हटा दिया था, जबकि समारोह ने इसका चयन प्रदर्शन के लिए कर लिया था.
न्यायमूर्ति बी. विनोद चंद्रन ने फिल्म निर्देशक सनल कुमार शशिधरन की याचिका स्वीकार करते हुए मंत्रालय को फिल्म को आईएफएफआई के 48वें संस्करण में प्रदर्शित करने का निर्देश दिया.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि फिल्म की प्रमाणित प्रति सोमवार को शुरू हुए महोत्सव में प्रदर्शित की जा सकती है.
फिल्म को महोत्सव के पैनोरामा वर्ग से हटाने के बाद शशिधरन ने यह कहते हुए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था कि निर्णय असंवैधानिक है.
13 सदस्यीय जूरी की सिफारिशों के विपरीत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मलयाली फिल्म एस. दुर्गा और मराठी फिल्म न्यूड को महोत्सव से हटा दिया था. यह फिल्मोत्सव 28 नवंबर तक चलेगा.
याचिकाकर्ता ने कहा कि मंत्रालय ने बिना किसी कानूनी प्राधिकार के मनमाने तरीके से जूरी के निर्णय पर रोक लगा दी और उन्हें कोई नोटिस और बिना कोई कारण बताए फिल्म को भारतीय पैनोरामा वर्ग से बाहर कर दिया.
सिनेमा और लोकतंत्र की जीत हुई: एस. दुर्गा के निर्देशक
पणजी: फिल्म निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने मंगलवार को अपनी मलयालम फिल्म एस. दुर्गा के पक्ष में दिए गए केरल उच्च न्यायालय के फैसले की तारीफ की.
अदालत ने गोवा में चल रहे भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव आईएफएफआई में इस फिल्म को प्रदर्शित करने के आदेश दिए हैं.
समारोह से बाहर की गई इस फिल्म के निर्देशक ने इस संबंध में अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था और भारतीय पैनोरमा खंड 2017 की सूची से फिल्म को हटाए जाने वाले मंत्रालय के फैसले को चुनौती दी थी.
मंत्रालय ने निर्णायक समिति के फैसले को पलटते हुए एस. दुर्गा और रवि जाधव की न्यूड को सूची से हटा लिया था जिससे विवाद गहरा गया था.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फैसले पर निर्णायक समिति के प्रमुख सुजॉय घोष और सदस्य अपूर्व असरानी और ज्ञान कोरिया ने इस्तीफा दे दिया था.
सनल ने समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ साक्षात्कार में बताया, ‘मैं बेहद खुश हूं. यह सिनेमा और लोकतंत्र की जीत है. लोग हमारे साथ खड़े रहे और हम पर भरोसा दिखाया और इसका परिणाम सामने है. अध्यक्ष ने इस्तीफा दिया, अन्य सदस्यों ने भी इस्तीफा दिया.’
उन्होंने कहा, ‘यह हम सबकी जीत है. यह साबित करता है कि लोकतंत्र की हत्या नहीं की जा सकती और कानून लोगों के लिए ही है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)