उत्तर प्रदेश: चुनाव ख़त्म होने के अगले दिन बिजली 12 प्रतिशत महंगी

सपा ने दाम में बढ़ोत्तरी को आम जनता के साथ विश्वासघात बताया, कांग्रेस ने कहा तानाशाहीपूर्ण कदम.

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योगी आदित्यनाथ. (फोटो: पीटीआई)

सपा ने दाम में बढ़ोत्तरी को आम जनता के साथ विश्वासघात बताया, कांग्रेस ने कहा तानाशाहीपूर्ण कदम.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. फोटो: पीटीआई

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को अब ज्यादा बिल देना होगा. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार को नई दरों का ऐलान किया. फैसला नगर निकाय चुनावों के एक दिन बाद आया है और विपक्ष इस बढ़ोत्तरी को तानाशाहीपूर्ण कदम बता रहा है.

घरेलू उपभोक्ताओं के लिए औसत बढ़ोत्तरी 12 फीसदी होगी और नई दरें जल्द लागू होंगी. उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष एसके अग्रवाल ने यहां संवाददाताओं को बताया कि शहरी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें नौ फीसदी तक बढ़ाई गई हैं. जिन ग्रामीण उपभोक्ताओं ने मीटर लगा रखा है, उन्हें 100 यूनिट तक तीन रुपये प्रति यूनिट और उसके बाद साढ़े चार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा.

प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि बिजली विभाग की ओर से प्रस्ताव था कि घाटे को कैसे पूरा किया जाए… बहुत मामूली वृद्धि हुई है. चुनाव से पहले जारी भाजपा के संकल्प पत्र में कहा गया था कि पहली 100 यूनिट तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि धीरे धीरे घाटे की भरपाई हो और हम चोरी पर भी सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं. अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है.

शर्मा ने कहा कि विरोधियों का दुष्प्रचार गलत है और तथ्यों से परे है जिन्होंने मीटर नहीं लगा रखे हैं, हम चाहते हैं कि वे मीटर लगाएं. प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन आलोक कुमार ने कहा, नई बिजली दरों में ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पहली सौ यूनिट तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा. इसी प्रकार ऐसे गरीब शहरी परिवार जो सौ यूनिट तक बिजली उपभोग करते हैं उनकी भी बिजली दर तीन रुपये प्रति यूनिट होगी.

उन्होंने बताया कि जो ग्रामीण उपभोक्ता हर महीने सौ यूनिट तक उपभोग करते हैं, उन्हें लागू दरों के तहत तीन रुपये 68 पैसे प्रति यूनिट देना होगा. इसमें बिजली शुल्क शामिल है यानी ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग तीन रुपये आठ पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी.

कुमार ने कहा कि नई बिजली दरों का मुख्य उद्देश्य मीटरिंग को बढ़ावा देना है ताकि छोटे उपभोक्ताओं पर अनावश्यक फिक्स्ड टैरिफ का बोझ न पडे़ और बिजली के उपभोग में किफायत भी आए. उदाहरण के लिए यदि एक ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता एक माह में तीस यूनिट का बिजली उपभोग करता है तो नई दरों के अनुसार उसका मासिक बिल मात्र 140 रुपये आएगा जबकि फिक्सड टैरिफ के अंतर्गत उस पर इससे लगभग ढाई गुना का बिल ज्यादा पड़ता.

कुमार ने बताया कि कृषि उपयोग के लिए प्रति यूनिट मात्र एक रुपये 10 पैसे ही टैरिफ लगेगा अर्थात किसानों को प्रति यूनिट पांच रुपये 65 पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी.

विपक्ष ने किया विरोध

वहीं, सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बढ़ोत्तरी को आम जनता के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा कि पहले ही लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं, अब बिजली के दाम बढ़ाकर भाजपा सरकार ने सबकी कमर तोड़ दी है.

कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि अगर जनता के बारे में सोचा होता तो ये बढ़ोत्तरी नहीं होती. अगर आपका कदम उचित था तो सप्ताह भर पहले दाम बढ़ा देते लेकिन नगर निकाय चुनावों के कारण ऐसा नहीं किया गया. यह एक तानाशाहीपूर्ण कदम है.

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दरें संशोधित नहीं कीं, इसलिए मौजूदा सरकार को ऐसा करना पड़ रहा है.

कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में कोल्हू उद्योग एक सीजनल उद्योग है. ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के लाभार्थ इन कोल्हू श्रेणी के उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए आॅफ सीजन में 75 प्रतिशत की छूट दी गई है. दस हार्सपावर के कोल्हू की एक इकाई यदि चार महीने उत्पादनरत रहती है तो वर्ष के शेष बचे हुए आठ महीनों में ऐसी इकाईयों को एक वर्ष में लगभग 11,500 रुपये की राहत मिलेगी.

कुमार ने कहा कि अन्य राज्यों में लागू विद्युत दरों के अध्ययन के उपरांत यह पाया गया है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं से विद्युत आपूर्ति लागत का मात्र 42 प्रतिशत लिया जाता है जबकि मध्य प्रदेश में 86 प्रतिशत, राजस्थान में 100 प्रतिशत, हरियाणा में 53 प्रतिशत तथा पंजाब में 80 प्रतिशत चार्ज किया जाता है. नई दरों के अनुसार भी उत्तर प्रदेश में ग्रामीण उपभोक्ताओं से विद्युत आपूर्ति लागत का मात्र 54 प्रतिशत चार्ज किया जाएगा.

औद्योगिक इकाईयों के लिए कोई वृद्धि नहीं

उन्होंने कहा कि प्रदेश की औद्योगिक इकाईयों का सदैव यह कहना रहा है कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक इकाईयों पर लागू विद्युत दरें अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक हैं जिसके कारण औद्योगिक माल बेचने में कठिनाइयां आती हैं और प्रदेश में नये उद्योग स्थापित होने में भी कठिनाई आती है.

इसी के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास और नये रोजगार सृजन बढ़ाने के उद्देश्य से नई दरों में औद्योगिक इकाईयों के लिए कोई वृद्धि नहीं की गई है.

कुमार ने बताया कि एक शिफ्ट में चलने वाले छोटे एवं मध्यम उद्योग के लिए नई दरों में ग्रीष्मकाल में सुबह पांच बजे से दोपहर 11 बजे तक 15 प्रतिशत की छूट दी गई है.

विद्युत वितरण निगमों द्वारा राजस्व की वसूली बढ़ाने और विद्युत क्रय लागत में वृद्धि की रोकथाम के लिए अनेकों उपाय किए गए हैं. चालू वित्तीय वर्ष में प्रथम छमाही में इन उपायों से लगभग 1364 करोड़ अधिक रुपये वसूल किए गए हैं.

कुमार ने बताया कि यदि लाइन हानियों को उदय योजना के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य के समतुल्य कम भी कर लिया जाए तो अभी तक लागू रही टैरिफ दरों के आधार पर प्रदेश के पावर सेक्टर का कैशगैप अत्यधिक रहेगा चूंकि प्रदेश में उपभोक्ताओं को की जा रही विद्युत आपूर्ति में वृद्धि हुई है.

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गतवर्ष की तुलना में पहले छह महीनों में इस वर्ष लगभग कुल 16.5 प्रतिशत अधिक विद्युत आपूर्ति की गई और ग्रामीण क्षेत्रों में गतवर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक विद्युत आपूर्ति की गई है.

उन्होंने कहा कि ऊर्जा विभाग इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि बिजली क्षेत्र को वित्तीय दृष्टि से व्यावहारिक बनाते हुए सभी उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति की आवश्यकताओं को दक्ष तरीके से सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता लेते हुए पूरा किया जाए ताकि ऊर्जा क्षेत्र प्रदेश के विकास का महत्वपूर्ण भागीदार बने और राज्य के सभी नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार आए.

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