आईसीआईसीआई की मैनेजिंग डायरेक्टर पर हितों के टकराव का आरोप

आईसीआईसीआई ने वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ का लोन दिया, जिसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाने का आरोप है. 2017 में आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.

आईसीआईसीआई ने वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ का लोन दिया, जिसके बदले में वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत द्वारा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को कारोबारी फ़ायदा पहुंचाने का आरोप है. 2017 में आईसीआईसीआई द्वारा वीडियोकॉन के खाते को एनपीए में डाल दिया गया.

Chanda Kochhar ICICI Reuters
आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर (फोटो: रॉयटर्स)

बैंकों द्वारा निजी कंपनियों को नियमों को ताक पर रखकर दिए जाने वाले कर्जों पर उठ रहे सवालों के बीच आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर के हितों के टकराव से जुड़ा नया मामला सामने आया है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा की गई एक रिपोर्ट में सामने आया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन कंपनी को ऋण दिया, जिसके प्रमुख वेणुगोपाल धूत के चंदा कोचर के पति दीपक कोचर से कारोबारी संबंध हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2008 में धूत ने दीपक कोचर और चंदा के दो अन्य रिश्तेदारों के साथ एक कंपनी खोली, उसके बाद इस कंपनी को अपनी एक कंपनी द्वारा 64 करोड़ रुपये का लोन दिया. इसके बाद उस कंपनी (जिसके द्वारा लोन दिया गया था) का स्वामित्व महज 9 लाख रुपयों में एक ट्रस्ट को सौंप दिया, जिसके प्रमुख दीपक कोचर हैं.

गौर करने वाली बात यह है कि इस कंपनी को दीपक कोचर की ट्रस्ट को ट्रांसफर किए जाने के 6 महीने पहले वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था. यहीं पर हितों के टकराव का सवाल खड़ा होता है क्योंकि वीडियोकॉन द्वारा इस लोन का 86 फीसदी हिस्सा चुकाया नहीं गया और साल 2017 में वीडियोकॉन के खाते को एनपीए यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट घोषित कर दिया गया.

हालांकि आईसीआईसीआई द्वारा चंदा पर लगे इन आरोपों का खंडन किया गया है. वहीं इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सूत्रों में इस बात की पुष्टि की है कि जांच एजेंसियों द्वारा धूत-कोचर और आईसीआईसीआई बैंक के बीच हुए लेन-देन की जांच की जा रही है.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आईसीआईसीआई बैंक को सवाल भेजे जाने के एक दिन बाद, बुधवार शाम को बैंक द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें कहा गया कि ‘जैसा कि अफवाह है, बैंक द्वारा किसी लाभ के एवज में कोई राशि नहीं ली गई/कोई परिवारवाद या हितों के टकराव का मामला’ नहीं है.

साथ ही यह भी कहा गया कि बोर्ड को चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है और इस तरह की ‘दुर्भावनापूर्ण और निराधार अफवाहें’ बैंक की छवि खराब करने के लिए फैलाई जा रही हैं.

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि बैंक के इस आधिकारिक बयान में धूत-कोचर और बैंक के बीच लेन-देन और हितों के टकराव को लेकर जो सवाल भेजे गए थे, उनका जवाब नहीं दिया गया.

घटनाक्रम

  • दिसंबर 2008 में दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत ने मिलकर एनयूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई. इस कंपनी में अपने परिजनों और सहयोगियों के साथ धूत की 50% हिस्सेदारी थी. बाकी 50% में दीपक कोचर, पैसीफिक कैपिटल (दीपक के पिता की कंपनी) और चंदा के भाई की पत्नी की हिस्सेदारी थी.
  • जनवरी 2009 में धूत ने इस कंपनी के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया और अपने 24,999 शेयर 2.5 लाख रुपये के एवज में दीपक को ट्रांसफर कर दिए.
  • मार्च 2010 एनयूपावर को सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी द्वारा (पूरी तरह कनवर्टिबल डिबेंचर के बतौर) 64 करोड़ रुपये का लोन दिया गया. सुप्रीम एनर्जी के 99.9 फीसदी स्वामित्व अधिकार धूत के पास हैं.
  • इसके बाद एनयूपावर के शेयर धूत से कोचर, कोचर से पैसीफिक कैपिटल और पैसीफिक कैपिटल से सुप्रीम एनर्जी के बीच ट्रांसफर होते रहे. मार्च 2010 के अंत तक सुप्रीम एनर्जी के पास एनयूपावर 94.99 फीसदी शेयर थे. उस समय बाकी का 4.99 फीसदी कोचर के पास था.
  • नवंबर 2010 में धूत ने सुप्रीम एनर्जी में अपने हिस्से के सभी शेयर अपने सहयोगी महेश चंद्र पुंगलिया को ट्रांसफर कर दिए.
  • इसके बाद 29 सितंबर 2012 से 29 अप्रैल 2013 के बीच पुंगलिया ने सुप्रीम एनर्जी की अपनी हिस्सेदारी पिनेकल एनर्जी नाम की ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दी. दिलचस्प पहलू यह है कि इस ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी दीपक कोचर थे. पुंगलिया के इस ट्रस्ट को किए गए पूरे शेयर ट्रांसफर की वैल्यू 9 लाख रुपये थी.

यानी सुप्रीम एनर्जी ने एनयूपावर को 64 करोड़ रुपये का लोन दिया और फिर तीन साल के भीतर ही वह खुद पिनेकल एनर्जी का हिस्सा हो गयी.

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फोटो साभार: इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस ट्रांसफर और शेयर के लेनदेन के बारे में पूछे गए सवालों का बैंक की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया.

वहीं बैंक द्वारा वीडियोकॉन को दिए गए लोन के बारे में कहा गया कि वह अकेले आईसीआईसीआई द्वारा नहीं दिया गया था, बल्कि 2012 में करीब 20 बैंकों और वित्तीय संस्थानों के एक कंसोर्टियम द्वारा दिया गया था. आईसीआईसीआई ने पूरे लोन का केवल 3,250 करोड़ रुपये दिए थे, जो कि पूरी ऋण राशि के 10% से भी कम था.

इस बारे में आगे यह भी बताया गया कि इस ऋण पर वीडियोकॉन कंपनी की बकाया राशि 2,810 करोड़ रुपये है, साथ ही पूरे वीडियोकॉन समूह का बैंक पर 2,849 करोड़ रुपये बकाया है. बैंक द्वारा 2017 में वीडियोकॉन के खाते को एनपीए घोषित कर दिया गया था.

इस अखबार द्वारा वेणुगोपाल धूत से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने 15 जनवरी 2009 को एनयूपावर रिन्यूएबल्स  और सुप्रीम एनर्जी के डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था और इन कंपनियों से जुड़े सभी अधिकार उन्हें सौंप दिए थे. मैं इसके बाद अपने अन्य बड़े कारोबारों में व्यस्त हो गया था.

एनयूपावर के जवाब में भी यही बात कही गयी थी. हितों के टकराव के सवाल पर एनयूपावर के प्रवक्ता ने जवाब दिया, ‘कोई हितों का टकराव नहीं है. और जिस लेनदेन के बारे में बात की जा रही है उसका आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दिए गए लोन से कोई लेना-देना नहीं है. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट और सुप्रीम एनर्जी का आईसीआईसीआई बैंक से कोई कारोबारी रिश्ता नहीं है.’