भाजपा में शामिल हुईं पूर्व आईपीएस की उगाही समेत कई मामलों में गिरफ़्तारी से रोक

पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष इसी महीने भाजपा में शामिल हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि भारती घोष के ख़िलाफ़ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

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New Delhi: Bharati Ghosh, former IPS officer of West Bengal joins BJP in presence of senior party leader Kailash Vijayvargiya in New Delhi, Monday, Feb 4, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI2_4_2019_000186B)
New Delhi: Bharati Ghosh, former IPS officer of West Bengal joins BJP in presence of senior party leader Kailash Vijayvargiya in New Delhi, Monday, Feb 4, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI2_4_2019_000186B)

पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष इसी महीने भाजपा में शामिल हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि भारती घोष के ख़िलाफ़ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.

New Delhi: Bharati Ghosh, former IPS officer of West Bengal joins BJP in presence of senior party leader Kailash Vijayvargiya in New Delhi, Monday, Feb 4, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI2_4_2019_000186B)
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में पूर्व आईपीएस भारती घोष इस महीने की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुई थीं. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में पश्चिम बंगाल भाजपा में शामिल होने वाली पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष को उनके ख़िलाफ़ दर्ज सभी मामलों में गिरफ़्तारी से मंगलवार को संरक्षण प्रदान कर दिया.

जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भारती घोष के ख़िलाफ़ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. न्यायालय ने इसके साथ ही मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिये स्थगित कर दी.

एक समय तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी की नज़दीकी समझी जाने वाली भारती घोष ने गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उसके खिलाफ अब तक 10 प्राथमिकी दर्ज की हैं.

उन्होंने याचिका में कहा कि शीर्ष अदालत पहले ही उन्हें सात मामलों में गिरफ़्तारी से संरक्षण प्रदान कर चुकी है परंतु राज्य सरकार ने अब उसके ख़िलाफ़ 30 नए मामले दर्ज किये हैं.

पश्चिम बंगाल सरकार ने भारती घोष की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उसके ख़िलाफ़ स्पष्ट साक्ष्य हैं. राज्य सरकार ने इस संबंध में घोष और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी के बीच हुई बातचीत का विवरण भी पेश किया.

शीर्ष अदालत एक अक्टूबर, 2018 को भारती घोष को कथित रूप से प्रतिबंधित मुद्रा के बदले ग़ैरकानूनी तरीके से सोना प्राप्त करने और उगाही के मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था.

इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान घोष के वकील ने कहा था कि उनके ख़िलाफ़ 2016 के एक मामले के संबंध में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

उनका कहना था कि पुलिस उनके मुवक्किल के ख़िलाफ़ अलग अलग स्थानों पर कार्रवाई कर रही है. इसलिए उसे कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोका जाए.

हालांकि, राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि वह रिट याचिका के आधार पर गिरफ़्तारी पर रोक चाहती हैं जो नहीं किया जा सकता.

सिब्बल का कहना था कि घोष को पिछले साल अक्टूबर में पहले ही गिरफ्तारी से संरक्षण मिला हुआ है.

पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष चार फरवरी को केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद और वरिष्ठ नेता विजयवर्गीय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गयी थीं और उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल में ‘डेमोक्रेसी’ का स्थान ‘ठगोक्रेसी’ ने ले लिया है.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, घोष जबरन वसूली और आपराधिक षड्यंत्र के मामले को लेकर आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की जांच के दायरे में हैं, जबकि उनके पति राजू हिरासत में हैं.

द क्विंट की ख़बर के अनुसार, पिछले साल सीआईडी ने घोष के घर छापा मारकर 2.5 करोड़ नकद बरामद किया था. जांच में सहयोग न करने पर जांच एजेंसी ने घोष को ‘मोस्ट वांटेड’ तक करार दिया था.

सीआईडी ने कोर्ट के आदेश पर अवैध वसूली के एक मामले में भारती घोष के खिलाफ जांच शुरू की थी. इस जांच के दौरान ही सीआईडी को भारती घोष के घर से 300 करोड़ रुपये की ज़मीन खरीदने के दस्तावेज़ मिले थे. इसी सिलसिले में सीआईडी भारती घोष से पूछताछ करना चाहती थी, लेकिन जब उनका कोई पता नहीं लगा तो सीआईडी ने उन्हें मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सीआईडी ने पहले घोष के खिलाफ पश्चिम मिदनापुर की एक अदालत में आठ अन्य लोगों के साथ एक फ़रार के रूप में चिह्नित करते हुए आरोप-पत्र दायर किया था. घोष के अलावा, उनके पूर्व अंगरक्षक सुजीत मंडल को भी चार्जशीट में एक फ़रार के रूप में दिखाया गया था.

क्विंट की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मुकुल रॉय के बीजेपी में जाने के बाद ममता बनर्जी और भारती घोष के संबंधों में खटास आ गई थी. इसके बाद पश्चिम बंगाल में मेदिनीपुर ज़िले की साबंग सीट पर उपचुनाव हुए. इस चुनाव में बीजेपी के जनाधार में बढ़त देखने को मिली थी. वह भी तब जब इस इलाके में बीजेपी का कोई बड़ा चेहरा नहीं था.

इसका ठीकरा तृणमूल नेताओं ने भारती घोष के ऊपर फोड़ दिया और चुनाव के बाद घोष का ट्रांसफर एक नीची पोस्ट पर कर दिया गया, जिसके बाद भारती घोष ने 29 दिसंबर 2017 को इस्तीफा दे दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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