कृषि कल्याण सेस ख़त्म करने के बाद भी सरकार ने वसूला 1300 करोड़ रुपये से ज़्यादा का टैक्स

द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 को कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह टैक्स वसूला जा रहा है.

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नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 को कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह टैक्स वसूला जा रहा है.

The Prime Minister, Shri Narendra Modi being presented a "Plough" as symbol of farming at the launching ceremony of DD Kisan Channel, in New Delhi on May 26, 2015. The Union Minister for Agriculture, Shri Radha Mohan Singh is also seen.
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने कृषि कल्याण सेस ख़त्म किए जाने के बाद भी इसके तहत जनता से 1300 करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स वसूला है. द वायर  द्वारा दायर किए गए सूचना का अधिकार आवेदन में इसका खुलासा हुआ है.

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा धीरे-धीरे कई सारे सेस ख़त्म कर दिए गए थे. कृषि कल्याण सेस को भी एक जुलाई, 2017 से ख़त्म कर दिया गया था.

हालांकि वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के ‘सिस्टम और डेटा प्रबंधन के निदेशालय जनरल’ ने आरटीआई आवेदन के तहत जानकारी दी है कि एक जुलाई, 2017 के बाद 1340.55 करोड़ रुपये का स्वच्छ भारत सेस वसूला गया है.

वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने 6 मार्च 2018 को राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि एक जुलाई, 2017 से स्वच्छ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया है.

इसके अलावा वित्त मंत्रालय द्वारा 7 जून 2017 को जारी एक प्रेस रिलीज में भी बताया गया है कि जीएसटी को लागू करने के लिए एक जुलाई, 2017 से कृषि कल्याण सेस समेत कई सारे सेस ख़त्म किए जा रहे हैं.

हालांकि, सिस्टम और डेटा प्रबंधन के निदेशालय जनरल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक एक जुलाई 2017 से लेकर जनवरी 2019 तक में 1340.55 करोड़ रुपये का कृषि कल्याण सेस वसूला गया है. कृषि कल्याण सेस ख़त्म किए जाने के बाद भी इसके तहत पैसा वसूलना सरकार पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.

Krishi Kalyan Cess

बता दें कि साल 2016 में कृषि कल्याण सेस लागू किया गया है. इसके तहत सभी सेवाओं पर 0.5 फीसदी का सेस लगता है.

सरकार का कहना है कि कृषि योजनाओं की फंडिंग और कृषि सुधार के लिए संबंधित पहल को बढ़ावा देने के लिए इस सेस को लागू किया गया था.

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 से लेकर अब तक में कुल 10,502.34 करोड़ रुपये का कृषि कल्याण सेस वसूला गया है.

इसमें से वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 7572.08 करोड़ रुपये, 2017-18 के दौरान 2779.79 करोड़ रुपये और 2018-19 के दौरान जनवरी 2019 तक में 150.48 करोड़ रुपये वसूला गया है.

कृषि कल्याण सेस की ही तरह स्वच्छ भारत सेस को भी बंद करने के बाद भी इसके तहत टैक्स वसूला जा रहा है. द वायर ने यह खुलासा किया था कि स्वच्छ भारत सेस बंद करने के बाद भी इसके तहत करीब 2,100 करोड़ रुपये वसूल लिए गए हैं.

खास बात ये है कि सरकार ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि जो पैसे स्वच्छ भारत सेस बंद करने के बाद भी वसूले गए हैं, उन्हें किन कामों में ख़र्च किया गया है.

कहां ख़र्च हुए कृषि कल्याण सेस के पैसे

कृषि मंत्रालय ने बताया कि साल 2016-17 और 2017-18 के दौरान कृषि कल्याण सेस के तहत जो पैसे प्राप्त हुए थे उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसानों को लोन पर सब्सिडी देने में ख़र्च किया गया है.

हालांकि मंत्रालय ने इस बात की कोई जानकारी नहीं दी कि आखिर जो पैसे कृषि कल्याण सेस को बंद किए जाने के बाद वसूला गया, उन्हें किन कामों में ख़र्च किया गया.

हैरानी की बात ये है कि कृषि मंत्रालय ने एक अन्य आरटीआई के जवाब में बताया कि उन्होंने 2016-17 और 2017-18 के बीच कृषि कल्याण कोष का 12,512.67 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ख़र्च कर दिया, जबकि कृषि कल्याण सेस के तहत अभी तक 10,502.34 करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए हैं.

इसके अलावा मंत्रालय इस बात की भी स्पष्ट जानकारी देने में असफल रहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किन कामों में कृषि कल्याण राशि को ख़र्च किया गया. मंत्रालय ने इस संबंध में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी.

द वायर ने कृषि कल्याण सेस पर सरकार द्वारा संसद में दिए गए जवाबों का विश्लेषण किया. इससे पता चला कि अधिकतर जवाबों में सरकार ने आधी अधूरी और अस्पष्ट जानकारी दी है.

वित्त मंत्रालय में राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने 28 जुलाई 2017 को एक सवाल के जवाब में बताया कि साल 2016-17 के दौरान 8273.53 करोड़ रुपये का कृषि कल्याण सेस वसूला गया था और 2017-18 के दौरान मई 2017 तक 861.51 करोड़ का कृषि कल्याण सेस वसूला गया था.

हालांकि, इस संबंध में द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए आंकड़े बिल्कुल अलग हैं. मंत्रालय ने आरटीआई के जवाब में बताया है कि 2016-17 के दौरान 7572.08 करोड़ रुपये, 2017-18 के दौरान मई 2017 तक 849.81 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे.

वित्त राज्य मंत्री ने भी ये स्पष्ट जानकारी नहीं दी कि कृषि कल्याण सेस की राशि को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किन कामों में ख़र्च किया जाएगा.

द वायर  द्वारा इस बारे में वित्त मंत्रालय और कृषि मंत्रालय को सवालों की सूची भेजी गई है. रिपोर्ट के प्रकाशन तक मंत्रालय से कोई जवाब नहीं आया है. जवाब प्राप्त होने पर उसे रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.

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