गोरखपुर ऑक्सीजन कांडः निलंबित डॉ. कफ़ील ख़ान विभागीय जांच में आरोपमुक्त

यह मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल अस्पताल का है, जहां अगस्त 2017 में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से एक हफ्ते में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को दोषी ठहराया गया था.

Lucknow: Kafeel Khan, an accused in the BRD Medical Hospital case involving the death of children, speaks at a press conference in Lucknow on Sunday, June 17, 2018. (PTI Photo) (PTI6_17_2018_000100B)
डॉक्टर कफिल खान (फोटो: पीटीआई)

यह मामला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल अस्पताल का है, जहां अगस्त 2017 में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से एक हफ्ते में 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी. इस मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान को दोषी ठहराया गया था.

Lucknow: Kafeel Khan, an accused in the BRD Medical Hospital case involving the death of children, speaks at a press conference in Lucknow on Sunday, June 17, 2018. (PTI Photo) (PTI6_17_2018_000100B)
डॉ. कफ़ील अहमद ख़ान. (फोटो साभार: पीटीआई)

गोरखपुरः उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निलंबित डॉक्टर कफ़ील ख़ान विभागीय जांच में निर्दोष पाए गए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर कफ़ील को चिकित्सा लापरवाही, भ्रष्टाचार के आरोपों और हादसे के दिन अपना कर्तव्य नहीं निभाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था. अब विभागीय जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफ़ील को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया है.

मालूम हो कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कमी से कथित तौर पर 60 से अधिक बच्चों की मौत हो गई थी.

इससे पहले डॉक्टर कफ़ील ख़ान इन्हीं आरोपों में नौ महीने की जेल काट चुके हैं.

जमानत पर बाहर आने के बाद उनके निलंबन को वापस नहीं लिया गया था. इस मामले में डॉ. कफ़ील ख़ान ने सीबीआई जांच की मांग की थी.

जांचकर्ता अधिकारी हिमांशु कुमार ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव को 18 अप्रैल को यह रिपोर्ट सौंपी थी लेकिन डॉ कफ़ील को गुरुवार को दी गई.

कफ़ील ख़ान ने सरकार पर उन्हें पांच महीने तक अंधेरे में रखने का भी आरोप लगाया.

15 पेज की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डॉ. कफ़ील ख़ान लापरवाही बरतने के दोषी नहीं हैं. उन्होंने घटना के दिन स्थिति को नियंत्रित करने के सभी प्रयास किए. रिपोर्ट में कहा गया कि कफ़ील ख़ान ने अपने डॉक्टरों को ऑक्सीजन की कमी के बारे में बताया था और अपनी निजी क्षमता के अनुरूप ऑक्सीजन के सात सिलेंडर भी उपलब्ध कराए थे.

जांच रिपोर्ट के अनुरूप, कफ़ील ख़ान बीआरडी के इंसेफलाइटिस वार्ड में नोडल मेडिकल अधिकारी नहीं थे और उन्हें विभाग का प्रभारी बताने वाले दस्तावेज पर्याप्त और तर्कसंगत नहीं हैं. रिपोर्ट में हालांकि यह भी कहा गया है कि कफ़ील ख़ान अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस भी करते रहे.

एनडीटीवी के मुताबिक, आरोपमुक्त किए जाने के बाद डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा, ‘मैं काफ़ी खुश हूं कि मुझे सरकार से ही क्लीनचिट मिली है पर मेरे ढाई साल वापस नहीं आ सकते. अगस्त 2017 में गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत हुई थी. मैंने बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगाकर बच्चों की जान बचाई.’

उन्होंने कहा, ‘उस समय के बड़े अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को बचाने के लिए मुझे फंसाया गया. मुझे नौ महीनों के लिए जेल भेज दिया गया, जहां टॉयलेट में बंद कर दिया जाता था. जब मैं जेल से वापस आया तो मेरी छोटी बेटी ने मुझे पहचाना तक नहीं. मेरा परिवार 100-100 रुपये के लिए मोहताज हो गया था.’

कफ़ील ने आगे कहा, ‘मेरे भाई पर हमला कराया गया. अप्रैल 2019 को सरकार की जांच पूरी हो गई थी पर मुझे अब ये रिपोर्ट सौंपी गई है. मैं चाहता हूं कि जो 70 बच्चे मरे उनको इंसाफ मिले. मैं उम्मीद करता हूं कि योगी सरकार मेरा निलंबन वापस लेगी.’

मालूम हो कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त की रात कथित तौर पर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो गई थी जो 13 अगस्त की अल सुबह बहाल हो पायी. इस दौरान 10, 11 और 12 अगस्त को क्रमशः 23, 11 व 12 बच्चों की की मौत हुई. इसके बाद 60 से अधिक बच्चों की एक सप्ताह के भीतर मौत हो गई. इनमें से ज्यादातर नवजात थे.

उस समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. पीके सिंह ने बताया था कि सिर्फ अगस्त में 325 बच्चों की मौत हुई थी.

हालांकि प्रदेश की योगी सरकार ने शुरू से ही ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत होने से इनकार किया.

सरकार का कहना था कि लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई जरूर बाधित हुई थी लेकिन जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त व्यवस्था थी जिसके कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई. सरकार द्वारा गठित जांच समितियों ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में सरकार की ही बात तस्दीक की है.

इस मामले में डीएम द्वारा गठित जांच समिति और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की संस्तुतियों के आधार पर ऑक्सीजन कांड के लिए पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र, नोडल अधिकारी एनएचएम 100 बेड इंसेफेलाइटिस वॉर्ड डॉ. कफ़ील ख़ान, एचओडी एनस्थीसिया विभाग एवं ऑक्सीजन प्रभारी डॉ. सतीश कुमार, चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल, सहायक लेखा अनुभाग उदय प्रताप शर्मा, लेखा लिपिक लेखा अनुभाग संजय कुमार त्रिपाठी, सहायक लेखाकार सुधीर कुमार पांडेय, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनीष भंडारी और पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव मिश्र की पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को दोषी ठहराया गया था.

साल 2017 में 23 अगस्त को मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट आई जिसमें ऑक्सीजन संकट का ज़िक्र तक नहीं था.

इस पूरे मामले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत अस्पताल के अंदर चल रही राजनीति की वजह से हुई, न कि ऑक्सीजन की कमी से.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq