ग़ाज़ीपुर ज़िले के विशाल ग़ाज़ीपुरी और उनकी पत्नी सपना दलित व बहुजन विचारकों की शिक्षाओं को गीत के माध्यम से पेश करते हैं. बीते अक्टूबर में इन गीतों से नाराज़ क्षेत्र के कुछ दबंगों ने उनके स्टूडियो में आगज़नी की और जान से मारने की धमकी दी. पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बावजूद विशाल परिवार समेत छिपकर रहने को मजबूर हैं.
18 सालों तक सरकारी कागज़ों में ‘मृत’ दिखाए गए आज़मगढ़ के लाल बिहारी मृतक के जीवन पर बनी फिल्म ‘कागज़’ की रिलीज़ से पहले लाल बिहारी ने निर्देशक सतीश कौशिक पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाते हुए फिल्म का प्रदर्शन रोकने की मांग की है.
विधानसभा चुनाव में लोजपा को सिर्फ़ एक सीट पर जीत मिली है लेकिन उसने अपने ‘घोषित लक्ष्य’ के अनुसार जदयू को ख़ासा नुकसान पहुंचाया. नौ सीटों पर लोजपा उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे हैं और इन सीटों पर उन्होंने जदयू को चुनावी मुक़ाबले से बाहर भी किया.
बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 40 सीटों पर बेहद कड़ा मुक़ाबला रहा और इन पर हार जीत का अंतर 3,500 मतों से भी कम रहा. कम मतों से जीत में जदयू-भाजपा-वीआईपी-हम को ज्यादा फायदा हुआ और उन्होंने 21 सीटों पर सफलता प्राप्त की.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले कुछ गांवों के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से कोसी नदी की मार झेल रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि बांध के लिए एमपी-एमएलए आदि से गुज़ारिश की गई, लेकिन किसी ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया.
मुज़फ़्फ़रपुर और आसपास के क्षेत्रों में अमूमन अगस्त-सितंबर में चमकी बुखार का भीषण प्रकोप देखने को मिलता है, पर इस बार मामले भी कम आए और मौतें भी कम हुईं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बावजूद इसके बिहार को चमकी बुखार से निपटने के लिए अभी और तैयारी करनी होगी.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर स्थित मोतीपुर चीनी मिल 1932 स्थापित की गई थी. 1980 में राज्य सरकार ने इसका संचालन अपने हाथ में लिया और वर्ष 1997 में यह बंद हो गई. आज हालात ये हैं कि बिहार में 28 में से सिर्फ 11 चीनी मिलें ही चल रही हैं. ये सभी चीनी मिलें सिर्फ़ छह ज़िलों में स्थित हैं.
उत्तर प्रदेश की देवरिया विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को होने वाला उपचुनाव राज्य में ब्राह्मण राजनीति को टेस्ट करने का पैमाना बन गया है. जिस दल को जीत मिलेगी, वह अपने साथ ब्राह्मणों के होने का दावा करेगा.
ग्राउंड रिपोर्ट: सीवान के गहिलापुर दरौली विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के मौजूदा विधायक सत्यदेव राम चुनाव में खड़े हैं. बीते शनिवार को महागठबंधन के मुख्यमंत्री प्रत्याशी और राजद नेता तेजस्वी यादव उनके समर्थन में यहां रैली करने पहुंचे थे. इस चुनावी सभा का आंखों देखा हाल.
ग्राउंड रिपोर्ट: 80 के दशक में सीवान में शुरू हुई सूत मिल साल 2000 में मज़दूरों को उनका बकाया दिए बिना ही बंद हो गई. मज़दूरों को लगता था कि मिल दोबारा शुरू होगी, लेकिन चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार द्वारा यहां इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने के ऐलान के बाद उनकी रही-सही उम्मीदें भी ख़त्म हो गईं.
ग्राउंड रिपोर्ट: शुक्रवार को बिहार के सीवान के गांधी मैदान में हुई भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की चुनावी रैली का आंखों-देखा हाल.
ग्राउंड रिपोर्ट: तीन नदियों से घिरे मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के औराई विधानसभा क्षेत्र के कई गांव आज भी आवागमन के लिए ग्रामीणों द्वारा चंदा इकठ्ठा करके बनाए गए बांस-बल्ली के अस्थायी पुलों पर निर्भर हैं. ग्रामीण बताते हैं कि कई बार इस बारे में नेताओं से मिले, पर आज तक उनके आश्वासन का कोई नतीजा नहीं निकला.
ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार में लॉकडाउन में जैसे-तैसे अपने गांव-घर पहुंचे मज़दूर अब आजीविका कमाने वापस लौट चुके हैं, जो बचे भी हैं उनका कहना है कि उनके लिए सरकार ने कुछ नहीं किया. वे चाहते हैं कि अब बदलाव होना चाहिए और उन्हें उनके प्रदेश में ही काम-काज मिलना चाहिए.
ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी-बिहार सीमा पर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के गंडक नदी के किनारे बसे आखिरी धूमनगर गांव के कुछ टोले केवल नावों के सहारे जुड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुल बनाने की मांग उठने के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई सुनवाई नहीं है.
ग्राउंड रिपोर्ट: आज़ादी के बाद कोसी की बाढ़ से राहत दिलाने के नाम पर इसे दो पाटों में क़ैद किया गया था और अब लगातार बनते तटबंधों ने नदी को कई पाटों में बंद कर दिया है. इस बीच सुपौल, सहरसा, मधुबनी ज़िलों के नदी के कटान में आने वाले गांव तटबंध के लाभार्थी और तटबंध के पीड़ितों की श्रेणी में बंट चुके हैं.