कहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ख़ुद को ही तो भारत नहीं मान लिया है?
लंदन में वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हाल में हुए दो घंटों से ज़्यादा के कार्यक्रम ‘भारत की बात, सबके साथ’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से लेकर अंत तक अपनी ही बात करते रह गए.
लंदन में वेस्टमिंस्टर के सेंट्रल हाल में हुए दो घंटों से ज़्यादा के कार्यक्रम ‘भारत की बात, सबके साथ’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से लेकर अंत तक अपनी ही बात करते रह गए.
मूर्तियों का गिराया जाना महज़ किसी पत्थर की निर्जीव प्रतिमा को ख़त्म किया जाना नहीं है. वह उस विचार, उस मूल्य को ज़मींदोज करने की कोशिश है, जिसका प्रतिनिधित्व वह प्रतिमा करती थी.
जून 2017 में झारखंड के रामगढ़ में हुई अलीमुद्दीन अंसारी की हत्या के जुर्म में भाजपा नेता समेत 11 दोषियों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है.
जन्मतिथि विशेष: उस्ताद ऐसे बनारसी थे जो गंगा में वज़ू करके नमाज़ पढ़ते थे और सरस्वती को याद कर शहनाई की तान छेड़ते थे. इस्लाम में संगीत के हराम होने के सवाल पर हंसकर कहते थे, ‘क्या हुआ इस्लाम में संगीत की मनाही है, क़ुरान की शुरुआत तो ‘बिस्मिल्लाह’ से ही होती है.’
अदालत का कहना है कि 29 जून 2017 को मृतक अलीमुद्दीन अंसारी पर हुआ हमला पूर्व नियोजित था. 20 मार्च को सुनाई जाएगी सज़ा.
2002 के गुजरात दंगों में अपनी ज़िंदगी बिखरते देख चुके प्रोफेसर जेएस बंदूकवाला मानते हैं कि भले ही देश भगवाकरण की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद अच्छे भविष्य की उम्मीद फीकी नहीं हुई है.
छात्रों ने थाने में शिक़ायत दर्ज करवाते हुए कहा कि नाटक में गोडसे का महिमामंडन और महात्मा गांधी का अपमान किया गया है.
ऐसा लगता है कि यह दावा बार-बार इसलिए किया जाता है ताकि यह सिद्ध किया जा सके कि अपने अंतिम दिनों में गांधीजी कांग्रेस और उसके नेताओं से दूर हो गए थे.
गोडसे को भगत सिंह का दर्जा देने की कोशिश चल रह रही है. गोडसे ने हिंदू राष्ट्र के विरोधी गांधी को मारा था. गोडसे जब भगत सिंह की तरह राष्ट्रीय हीरो हो जाएगा, तब तीस जनवरी का क्या होगा?
साल 1921 में गांधीजी ने फ़ैज़ाबाद में निकले जुलूस में देखा कि ख़िलाफ़त आंदोलन के अनुयायी हाथों में नंगी तलवारें लिए उनके स्वागत में खड़े हैं. जिसकी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी.
वीडियो: आज़ादी के बाद भारत में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने अपना आख़िरी उपवास 13 जनवरी 1948 को शुरू किया था. इस घटना पर इतिहासकार दिलीप सिमीओन से चर्चा कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद.
आज़ादी के बाद दिल्ली में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने 12 जनवरी 1948 को घोषणा की कि वह अगले दिन यानी 13 जनवरी से उपवास शुरू करेंगे.
जयंती विशेष: हिंदी के लोग अब आम तौर पर लेखक और पत्रकार पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी को न याद करते हैं, न ही उनकी पत्रिका ‘विशाल भारत’ को. यहां तक कि उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर भी उन्हें याद नहीं किया जाता.
एक आरटीआई आवेदन पर सूचना आयुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार की वेबसाइट पर महात्मा गांधी से जुड़े दस्तावेज़ आसानी से मिलने मुश्किल हैं.
मोदी अगर सरदार पटेल को अपना नेता मानते हैं तो फिर उन्हें पटेल की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता पर अमल करते हुए हिंदू राष्ट्र के लिए हथियार उठाने का आह्वान करने वाले सिरफिरे पर कार्रवाई करनी चाहिए.
विपक्षी नेताओं को उम्मीद, गुजरात चुनाव के नतीजे अनुकूल हुए तो विपक्षी एकता में नई जान फूंक सकेंगे राहुल गांधी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी सरकार का महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन किसी काम का नहीं है.
पच्चीस साल पहले आज ही के दिन स्वयं को रामभक्तों की सेना कहने वालों ने एक ऐसा जघन्य कृत्य किया था जिसके कारण पूरी दुनिया के सामने हिंदू धर्म का सिर हमेशा के लिए कुछ नीचे हो गया.
आरएसएस अगर आज़ादी की लड़ाई के बारे में बात करे तो वो क्या बताएगा? अगर वो सावरकर के बारे में बताएगा तो अंग्रेजों को लिखे गए सावरकर के माफ़ीनामे सामने आ जाते हैं.
‘नेता साबरमती के संत गीत की आलोचना कर बापू और अहिंसक आंदोलन के प्रति अपनी नफ़रत दिखा रहे हैं. अगर दिक्कत है तो इस गीत को प्रतिबंधित क्यों नहीं करा देते.’
महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने कहा, ‘युवा पीढ़ी ख़ुद तय करे कि एक हत्यारे को नायक बनाना है या सबको समानता और अधिकार देने वाले महापुरुषों को.’
1950-60 के दशक में दिल्ली ने अपने जैसा एक नेहरू बना लिया. यह 1920-30 के दशक के नेहरू से भिन्न था. समय के साथ वो नेहरू जनता की नज़र से ओझल होते गए जिसने अवध के किसान आंदोलन में संघर्ष किया था.
‘मित्रो मरजानी’ के बाद सोबती पर पाठक फ़िदा हो उठे थे. ये इसलिए नहीं हुआ कि वे साहित्य और देह के वर्जित प्रदेश की यात्रा पर निकल पड़ी थीं. ऐसा हुआ क्योंकि उनकी महिलाएं समाज में तो थीं, लेकिन उनका ज़िक्र करने से लोग डरते थे.
अभिनव भारत के न्यासी और शोधकर्ता पंकज फड़नीस की गांधी हत्या की फिर से जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रही है.
कोर्ट ने पूछा- हम फिर से जांच क्यों शुरू करें, याचिकाकर्ता ने कहा- हो सकता है गांधी की हत्या एक संगठित संस्था ने कराई हो, सच सामने आना चाहिए.
अब यह हम पर निर्भर है कि क्या हम ये होने देंगे या अपने दौर के लिए एक नया गांधी रचेंगे.
गांधी का कहना था, जब हमने ज़िद की तो गोकशी बढ़ी. गोरक्षा प्रचारिणी सभा का होना हमारे लिए बदनामी की बात है. जब गाय की रक्षा करना हम भूल गए तब ऐसी सभा की जरूरत पड़ी.
गांधी गाय को माता मानते हुए भी उसकी रक्षा के लिए इंसान को मारने से इंकार करते हैं. उनके ही देश में गोरक्षकों ने पीट-पीट कर मारने का आंदोलन चला रखा है.
स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी की भूमिका के बारे में काफी लिखा गया है, मगर उत्तर-पूर्व को आज़ाद भारत से जोड़ने में उन्होंने जो नेतृत्व किया, इस बारे में कम ही लिखा गया है.
अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.
भाजपा गुजरात में जातिगत समीकरण साधने के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग और ओबीसी पर ध्यान केंद्रित करेगी.
पुण्यतिथि विशेष: इतिहासकार बिपन चंद्र का कहना था कि राजनीतिक सत्ता पर काबिज होते ही सांप्रदायिक दल लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों का गला घोंटने का प्रयास करेंगे.
स्मृति के रूप में जीवित विभाजन एक मौखिक संसार है, जो चुप्पियों में दबा हुआ है, नाउम्मीदी की भाषा में फंसा हुआ है. 70 सालों के बाद भी जिसके जख़्म भरने का नाम नहीं लेते.
हमारी हालत अब भी उस पक्षी जैसी है, जो लंबी कैद के बाद पिंजरे में से आज़ाद तो हो गया हो, पर उसे नहीं पता कि इस आज़ादी का करना क्या है.
11 अगस्त को झारखंड के अधिकतर हिंदी अख़बारों में छपे एक सरकारी विज्ञापन में गांधी के नाम से धर्मांतरण के संबंध में वो बातें लिखी गईं, जो उन्होंने कभी कही ही नहीं थीं.
लगता है वह एक ही प्रधानमंत्री है जो अपने चोले और शक्ल बदल कर हर बरस घंटे भर कुछ बोलता है. उसे इस बार भी बोलना है. जब मैं यह लिख रहा हूं उसके बोले जाने वाले शब्द लिखे जा चुके होंगे. उनके बोलने में लोकतंत्र हर बार मजबूत होता है. उन्हें सुनकर इंसान हर बार मजबूर होता है.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर और मेघालय के प्रमुख समाचार.
झारखंड सरकार के विज्ञापन को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने झूठा बताते हुए की निंदा.
भारत हिंदू राष्ट्र है, विवेकानंद ने शिकागो धर्म सभा में हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व किया था जैसी बातें उस बुकलेट में हैं, जो भाजपा यूपी में होने वाली एक प्रतियोगिता के लिए स्कूलों में बांटेगी.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी और पंडित जवाहर लाल नेहरू का अपमान किया है.