क्यों हिमाचल और उत्तराखंड के लोगों को कृषि क़ानूनों और किसान आंदोलन के बारे में चेत जाना चाहिए

वर्तमान में एमएसपी जैसे तरीके पहाड़ों की आबादी के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं, हालांकि मुख्यधारा के मीडिया और इन जगहों के दूर होने के चलते यहां के लोगों को इस मुद्दे पर इकट्ठा होना मुमकिन नहीं हो रहा है.

किसानों के फसल बीमा दावों को ख़ारिज करने के मामलों में 900 फ़ीसदी की बढ़ोतरी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत साल 2017-18 में किसानों के 92,869 दावों को ख़ारिज किया था. इसके अगले ही साल 2018-19 में आंकड़ा दोगुनी से भी ज्यादा हो गया है और इस दौरान 2.04 लाख दावों को ख़ारिज किया गया.

प्रधानमंत्री जी, राजधानी की सड़कों पर दीवारें चिनवाने के बजाय पुल क्यों नहीं बनवाते

क्या सरकार आंदोलनकारी अन्नदाताओं के इरादों से सचमुच डर गई है और इसीलिए ऐसी सियासत पर उतर आई है, जो अन्नदाताओं के रास्ते में दीवारें उठाकर, कंटीले तार बिछाकर और गिरफ़्तार करके उनसे कह रही है कि आओ वार्ता-वार्ता खेलें?

लॉकडाउन के दौरान पीएम किसान योजना के 11.2 लाख से अधिक ट्रांजैक्शन विफल हुए

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ने बताया कि दिसंबर 2020 तक लगभग 44 फीसदी असफल ट्रांसफरों को दुरुस्त नहीं किया गया. पीएम किसान योजना के तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की धनराशि किश्तों में देशभर में योजना के पात्र किसान परिवारों को दी जाती है.

‘फूट डालो और राज करो’ को मानने वालों के लिए आदिवासी किसान नहीं हैं

एक ओर कॉरपोरेट्स सभी आर्थिक क्षेत्रों और राज्यों की सीमाओं में अपना काम फैलाने के लिए स्वतंत्र हैंं, वहीं देश भर के किसानों के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ साथ आ जाने पर भाजपा उनके आंदोलन में फूट डालने का प्रयास कर रही है.

किसान आंदोलन: पंजाब में तकरीबन दो महीने बाद ट्रेन सेवा आंशिक तौर पर बहाल

नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसान संगठन सितंबर महीने से रेलवे स्टेशनों और पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे थे, जिसके चलते ट्रेन सेवाएं स्थगित थीं. संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर उनके मुद्दों का हल नहीं निकाला गया तो वो दोबारा ट्रैक पर लौट आएंगे.

पंजाब में किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण 2,220 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान: रेलवे

पंजाब में किसानों ने नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ बीते एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन ‘रेल रोको’ आंदोलन शुरू किया था. रेलवे ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के कारण 3,850 मालगाड़ियों का संचालन प्रभावित हुआ है. अब तक 2,352 यात्री ट्रेनों को रद्द किया गया या उनके मार्ग में परिवर्तन किया गया है.

‘नेता पुल बनवा देंगे कहकर वोट ले जाते हैं और हम वहीं के वहीं रह जाते हैं’

ग्राउंड रिपोर्ट: यूपी-बिहार सीमा पर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र के गंडक नदी के किनारे बसे आखिरी धूमनगर गांव के कुछ टोले केवल नावों के सहारे जुड़े हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुल बनाने की मांग उठने के बावजूद प्रशासन की तरफ से कोई सुनवाई नहीं है.

बिहार: कोसी में बाढ़ से बचने को बनाए जा रहे तटबंध सभी रहवासियों के लिए ख़ुशी का सबब नहीं हैं

ग्राउंड रिपोर्ट: आज़ादी के बाद कोसी की बाढ़ से राहत दिलाने के नाम पर इसे दो पाटों में क़ैद किया गया था और अब लगातार बनते तटबंधों ने नदी को कई पाटों में बंद कर दिया है. इस बीच सुपौल, सहरसा, मधुबनी ज़िलों के नदी के कटान में आने वाले गांव तटबंध के लाभार्थी और तटबंध के पीड़ितों की श्रेणी में बंट चुके हैं.

‘घर बनवाने के लिए पैसे जुटाए थे लेकिन गांव का हाल देखकर नाव बनवा ली’

ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार के सुपौल ज़िले के निर्मली विधानसभा क्षेत्र में कोसी नदी के सिकरहट्टा-मंझारी तटबंध पर बसे पिपराही गांव से गुज़र रही धारा में कम पानी होता था, पर बीते कई सालों से बारह महीने इतना पानी रहता है कि बिना नाव के पार नहीं किया जा सकता है. इस साल मई से सितंबर के बीच यहां पांच बार बाढ़ आ चुकी है.

बिहार चुनाव: ‘हमरे दुख में केहू नाहीं आइल, वोट मांगे के मुंह केहू के ना बा’

ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम चंपारण ज़िले के लक्ष्मीपुर रमपुरवा गांव के सीमाई पांच टोले के पांच सौ से अधिक ग्रामीण गंडक नदी की बाढ़ और कटान से हुई व्यापक तबाही के बाद फिर से ज़िंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद में लगे हैं. अस्तित्व के संकट जूझ रहे इन टोलों में चुनावी कोलाहल की गूंज नहीं पहुंची है.

बिहार: इस साल राज्य में बाढ़ से बर्बाद हुआ 7.54 लाख हेक्टेयर फसली क्षेत्र

लोकसभा में सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि वर्ष 2019-20 में पूरे देश के 114.295 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई, जिसमें बिहार में बाढ़ से प्रभावित कुल फसल 2.61 लाख हेक्टेयर थी.

पंजाब: नए कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों का अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन जारी

विवादित कृषि विधेयकों को वापस लेने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लक्ष्य से 31 किसान संघों ने पंजाब में कई जगहों पर बीते एक अक्टूबर से ट्रेन की पटरियों को अनिश्चितकाल के लिए अवरुद्ध कर दिया है. किसान कई भाजपा नेताओं के घर के बाहर भी धरना दे रहे हैं.

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम और इसके संशोधन, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

केंद्र सरकार का दावा है कि इस क़ानून से कृषि क्षेत्र में निजी और प्रत्यक्ष निवेश में बढ़ोतरी होगी तथा कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे. वहीं विरोध कर रहे किसानों और विपक्ष का कहना है कि इससे सिर्फ़ जमाखोरों को लाभ होगा.

एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल ने कृषि विधेयकों के विरोध में गठबंधन छोड़ा

अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी सुनिश्चित करने से इनकार किया, साथ ही वह पंजाबी और सिखों से जुड़े मुद्दों पर लगातार असंवेदनशीलता दिखा रही है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस कदम को अकाली दल की राजनीतिक मजबूरी बताया है.

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