मध्य प्रदेश के रतलाम ज़िले की घटना. सैफुद्दीन का कहना है कि उन्होंने गाय के सामने पेशाब नहीं किया था. फिर भी उनसे मारपीट कर जबरन इस बात को कुबूल कराया गया था. पुलिस ने सैफ़ुद्दीन को प्रताड़ित करने और घटना से जुड़ा वीडियो बनाने के आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज में स्वामी दयानंद सरस्वती गो-संवर्धन एवं अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है. कॉलेज की प्रिंसिपल ने कहा है कि हमारा कॉलेज डीएवी ट्रस्ट कॉलेज है, जिसका आधार आर्य समाज है. उसी परंपरा के अनुरूप हम हर महीने के पहले दिन हवन करते हैं. आग में चढ़ाने के लिए ज़रूरी चीज़ें जैसे- शुद्ध घी, बाज़ार से ख़रीदकर लाना पड़ता है. अब हम इस मामले में आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
अगस्त में पारित किए गए असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021 में हिंदू, जैन और सिख बहुसंख्यक मंदिर या वैष्णव मठों के पांच किलोमीटर के दायरे में मवेशियों के वध और गोमांस की बिक्री पर रोक लगाई गई थी. अब हुए संशोधन के तहत पुलिस आरोपी के घर में प्रवेश कर जांच कर सकती है और अवैध पशु कारोबार के ज़रिये अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने की कार्रवाई भी कर सकती है.
केरल ललितकला अकादमी के ख़िलाफ़ कथित तौर पर इस विवादास्पद कार्टून को लेकर याचिका दायर की गई है. इस कार्टून को केरल कार्टून अकादमी के सचिव अनूप राधाकृष्णन ने बनाया है. इसमें भारत को गाय के तौर पर दर्शाया गया है, जबकि इंग्लैंड, चीन और अमेरिका को इंसानों के रूप में दिखाया गया है. भाजपा ने कहा है कि ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपने ही देश को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं.
मामला जूनागढ़ के गिर जंगल का है, जहां आठ नवंबर को देवलिया रेंज के एक गांव में एक अवैध कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें गाय को शेर के सामने चारे के रूप में बांधा गया. घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें शेर को खंबे से बंधी गाय को मारकर खाते देखा जा सकता है.
गोहत्या के आरोपी की ज़मानत याचिका ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने कहा कि जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा. उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों का मानना था कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है, जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है.
20 जुलाई 2018 को अलवर ज़िले में गो-तस्करी के संदेह में कथित गोरक्षकों की भीड़ ने रकबर ख़ान की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के गोरक्षक सेल के नेता नवल किशोर शर्मा पर भीड़ की अगुवाई करने का आरोप था.
मामला सीतापुर ज़िले का है, जहां पुलिस ने चार लोगों को कथित तौर पर गोहत्या की बात करने को लेकर गोहत्या संरक्षण क़ानून के तहत हिरासत में लिया था. हाईकोर्ट ने एक आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्रवाई पर नाराज़गी जताई और पुलिस अधीक्षक से जवाब तलब किया है.
योगी सरकार का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत के अधिकांश राज्यों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी कोविड-19 संक्रमितों की बढ़ती संख्या और चिकित्सा आपूर्ति की कमी से पीड़ित है और राज्य की चिकित्सा सुविधा पर सवाल उठ रहे हैं.
मध्य प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेमसिंह पटेल ने विधानसभा में बताया कि सरकार ने दिसंबर 2018 से मार्च 2021 के बीच 1,000 गोशालाएं खोलने को मंज़ूरी दी है. इस दौरान प्रति गाय प्रतिदिन 20 रुपये की राशि इन गोशालाओं के लिए मंज़ूर की गई. फिलहाल 1,000 में से 905 गोशालाएं संचालित हो रही हैं.
केंद्र सरकार ने बीते पांच जनवरी को घोषणा की थी कि गाय की देसी नस्ल और इसके फायदे के बारे में रुचि पैदा करने की कोशिश के तहत 25 फरवरी को गौ-विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. इस परीक्षा की यह कहते हुए आलोचना की जा रही थी कि यह अंधविश्वास फैलाने और देश में शिक्षा क्षेत्र का भगवाकरण करने की कोशिश है.
राजस्थान के अलवर ज़िले की घटना. 20 जुलाई 2018 को रकबर ख़ान और उनके एक साथी पर गो-तस्करी के संदेह में गोरक्षकों की भीड़ ने हमला कर दिया था. बर्बर पिटाई के बाद रकबर की मौत हो गई थी, जबकि उनके साथी बचकर भाग निकलने में सफल रहे थे.
ग्राउंड रिपोर्ट: केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों में दावा किया गया है कि इससे किसानों को नया कृषि बाज़ार मिलेगा, वहां वे मनमुताबिक़ फसल बेच सकेंगे. हालांकि बुंदेलखंड के किसानों का कहना है कि क़ानून से क्या होगा, जब आवारा जानवरों के बर्बाद कर देने के कारण बेचने को फसल ही नहीं बचेगी.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग आम लोगों में देसी गायों के बारे में रुचि पैदा करने के लिए छात्रों और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन गौ विज्ञान परीक्षा आयोजित करेगा. इसके लिए जारी पाठ्यक्रम में आयोग ने देसी-विदेशी गायों में अंतर बताते हुए अजीब दावे किए हैं.
बनासकांठा के सरदारकृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय ने 82 पशुओं की नीलामी का एक विज्ञापन दिया था, जिसे बाद में साल 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया. किसानों का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिसके चलते उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद हुए.