सरकार में आने पर चुनावी बॉन्ड योजना को फिर वापस लाएंगे: वित्त मंत्री सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक साक्षात्कार में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज की गई चुनावी बॉन्ड योजना चुनावी चंदे में पारदर्शिता लेकर आई थी, इसमें कुछ सुधार की ज़रूरत है, सभी हितधारकों से परामर्श के बाद इसे किसी और रूप में वापस लाया जा सकता है.

केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना के संचालन पर करदाताओं के 14 करोड़ रुपये ख़र्च किए: आरटीआई

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी बताती है कि कुल 30 चरणों में हुई चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर कमीशन के रूप में 12,04,59,043 रुपये का ख़र्च आया और बॉन्ड की छपाई की लागत 1,93,73,604 रुपये रही.

सीजेआई को पूर्व जजों का पत्र न्यायपालिका को धमकाने के पीएम के अभियान का हिस्सा: कांग्रेस

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे एक पत्र में कुछ गुटों द्वारा सोचे-समझे दबाव, ग़लत सूचना के ज़रिये न्यायपालिका को कमज़ोर करने के बढ़ते प्रयासों की बात की है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता को सबसे बड़ा ख़तरा भाजपा से है. 

एसबीआई ने चुनाव आयोग को सौंपा चुनावी बॉन्ड का डेटा आरटीआई के तहत देने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते माह भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा था, लेकिन अब वही डेटा जब सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया तो बैंक ने इसे आरटीआई अधिनियम के तहत छूट प्राप्ट जानकारी बताकर देने से इनकार कर दिया.

अगर भ्रष्टाचार की यूनिवर्सिटी बने, तो पीएम मोदी चांसलर बनने के लिए सही व्यक्ति: एमके स्टालिन

तमिलनाडु में वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार पर प्रधानमंत्री के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार की कोई यूनिवर्सिटी बने, तो मोदी इसके चांसलर बनने के लिए सही व्यक्ति होंगे, क्योंकि चुनावी बॉन्ड से लेकर पीएम केयर्स फंड और दागी नेताओं के भगवाकरण की भाजपा की 'वॉशिंग मशीन' तक, भाजपा भ्रष्ट है.

नरेंद्र मोदी का यह दावा ग़लत है कि चुनावी बॉन्ड से उन्होंने राजनीतिक फंडिंग के स्रोत उजागर किए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में दावा किया है कि उनके द्वारा लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना के कारण ही राजनीतिक चंदे के स्रोतों के नाम सामने आए हैं. हालांकि, हक़ीक़त यह है कि मोदी सरकार ने चंदादाताओं के नाम छिपाने के लिए हरसंभव कोशिश की थी.

कोर्ट के चुनावी बॉन्ड योजना रद्द करने से 3 दिन पहले सरकार ने 10,000 करोड़ के बॉन्ड छापने की मंज़ूरी दी

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगाए जाने के एक पखवाड़े बाद 28 फरवरी को वित्त मंत्रालय ने भारतीय स्टेट बैंक को बॉन्ड छपाई पर 'तुरंत रोक लगाने' के लिए कहा था.

ड्रग टेस्ट में फेल हुई दवा कंपनियों का चुनावी बॉन्ड खरीदारों की सूची में होना क्या बताता है?

चुनावी बॉन्ड के ज़रिये राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की लिस्ट में कई फार्मा कंपनियों के नाम भी शामिल थे. इनमें से कई कंपनियों की दवाइयां ड्रग टेस्ट में कइयों बार फेल हुई थीं.

चुनावी बॉन्ड: सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद 1,577 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड बिके

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना मामले में बीते वर्ष 2 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसके दो दिन बाद ही बॉन्ड बिक्री के अगले चरण की घोषणा कर दी गई. सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इसके बाद हुई 29वें और 30वें चरण की बिक्री में क्रमश: 99% और 94% बॉन्ड 1 करोड़ रुपये मूल्यवर्ग वाले बेचे गए.

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