जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों के वकीलों और परिजनों का कहना है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान इन मामलों को दैनिक कार्य सूची में इतना नीचे स्थान दिया जाता है कि ये सुनवाई के लिए जज तक पहुंच ही नहीं पाते हैं, जिससे क़ैद से लोगों का बाहर आना चुनौती बना हुआ है.
भारत का कश्मीर के साथ रिश्ता इंसानी रिश्ता नहीं है. वह ताक़तवर और कमज़ोर का संबंध है. कमज़ोर जब चीख नहीं सकता तो ख़ामोश रहकर अपना प्रतिरोध दर्ज करता है. ताक़तवर के पास उसे इसकी सज़ा देने की ताक़त है.
महबूबा मुफ़्ती लिखती हैं, 'जम्मू कश्मीर के लोगों ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के साझा मूल्यों पर जिस देश से जुड़ने का फैसला किया, उसने हमें निराश कर दिया है. अब, केवल न्यायपालिका ही है जो हमारे साथ हुई ग़लतियों और नाइंसाफ़ी को सुधार सकती है.'
अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और सूबे को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के मोदी सरकार के निर्णय के ख़िलाफ़ बीस से अधिक याचिकाएं अदालत में लंबित हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ इन्हें अगले हफ्ते सुनेगी.
जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में सेना के ट्रक पर हुआ आतंकी हमला. राष्ट्रीय राइफल्स के ये शहीद जवान आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए तैनात थे. 2019 के पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट के बाद से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों के चलते वाहन पर हुआ यह सबसे घातक हमला है.
जम्मू कश्मीर की समाचार वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के संपादक फ़हद शाह के ख़िलाफ़ जन सुरक्षा क़ानून के तहत कार्यवाही को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने इसके तहत उनके हिरासत के आधार को ‘केवल संदेह के आधार पर’ और ‘मामूली दावा’ क़रार दिया. फरवरी 2022 में फ़हद को आतंकवाद का महिमामंडन करने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने और जनता को भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.
श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में स्थित कश्मीर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद में 14 अप्रैल को रमज़ान के महीने के आख़िरी शुक्रवार की नमाज़ अदा की जानी थी, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सुबह-सुबह ही पहुंचकर मस्जिद ख़ाली करा दी और दरवाज़े पर ताले लगा दिए.
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिजा मुफ़्ती को इस सप्ताह की शुरुआत में अदालती हस्तक्षेप के बाद ‘सशर्त’ पासपोर्ट जारी किया गया था. हाईकोर्ट में दायर एक याचिका के जवाब में श्रीनगर के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सीआईडी उन्हें पासपोर्ट जारी करने के पक्ष में नहीं है.
गुजरात के किरण पटेल नामक ठग को जम्मू कश्मीर पुलिस ने बीते 3 मार्च को गिरफ़्तार किया है. किरण पटेल ख़ुद को पीएमओ अधिकारी बताकर कई बार कश्मीर का दौरा कर चुके हैं. इस दौरान उनके रहने के लिए पांच सितारा होटल की व्यवस्था करने के साथ ही ज़ेड प्लस सुरक्षा भी दी गई थी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को ‘अयोग्य’ क़रार दिया है.
जम्मू कश्मीर के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र के अधिकारियों और सुरक्षा बलों को बरगलाने वाले इस आरोपी की पहचान अहमदाबाद के रहने वाले किरण जगदीश भाई पटेल के रूप में हुई है. आरोपी ने कम से कम तीन मौकों पर कश्मीर का दौरा किया. इस दौरान प्रशासन ने उन्हें ज़ेड-प्लस सुरक्षा कवर प्रदान किया था.
एक ब्लैकलिस्ट कंपनी को जम्मू कश्मीर सेवा चयन बोर्ड के लिए भर्ती परीक्षा कराने का ठेका दिया गया है. इसका विरोध जताने के लिए तमाम युवा जम्मू समेत विभिन्न जगहों पर सड़क पर उतरे थे, जब पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर हिरासत में ले लिया था.
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के कुनन गांव के रहने वाले 35 वर्षीय अब्दुल राशिद डार को पिछले साल 15 दिसंबर की उनके घर से 41 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने पुलिस को सूचित किए हिरासत में लिया था. राशिद के परिवार ने हिरासत में उनकी हत्या का आरोप लगाया है, जबकि सेना ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया है.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 33 प्रतिशत करने के लिए राज्यों को कई सलाह जारी की गई हैं, लेकिन 1 जनवरी, 2022 तक उनकी संख्या 11.75% थी. लद्दाख पुलिस में सर्वाधिक 28.3% महिलाएं हैं, वहीं सबसे कम 3.3% महिलाएं जम्मू कश्मीर पुलिस में हैं.
घटना कठुआ ज़िले की है. पुलिस ने युवक को हेरोइन रखने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. मृतक के परिजनों का आरोप है कि मौत का कारण पुलिस हिरासत में दी गई प्रताड़ना है.
अगस्त 2019 में जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व नेता शेहला राशिद ने सिलसिलेवार ट्वीट कर भारतीय सेना पर जम्मू कश्मीर में लोगों को उठाने, छापेमारी करने और लोगों को प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे. अब इसके लिए दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनके ख़िलाफ़ सीआरपीसी की धारा 196 के तहत मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दी है.