लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े ने पिछले महीने सुरक्षाबलों के साथ एक मुठभेड़ में उनके भाई मिलिंद तेलतुम्बड़े की मौत के बाद अपनी 90 वर्षीय मां से मिलने के लिए ज़मानत दिए जाने का अनुरोध किया था.
सुधा भारद्वाज को निश्चित अवधि में उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर न करने के आधार पर ज़मानत दी गई है. जिन आठ सह-आरोपियों की अपील ख़ारिज हुई है, उनमें सुधीर धवले, वरवरा राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोन्साल्विस और अरुण फरेरा शामिल हैं.
एनआईए ने सोमवार को सूबे के प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को गिरफ़्तार किया है. इससे पहले टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में इस साल की शुरुआत में श्रीनगर में उनके घर और कार्यालय की तलाशी ली गई थी. वैश्विक मानवाधिकार संगठनों ने इस क़दम की आलोचना करते हुए हिरासत में यातना के जोख़िम को लेकर चिंता जताई है.
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ़्तारी से संरक्षण दिया है. सिंह ने महाराष्ट्र ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. सिंह का दावा है कि उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाया गया है.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, मिजोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी 83 वर्षीय कवि वरवरा राव को फरवरी में मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम ज़मानत के बाद पांच सितंबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा इस अवधि को बढ़ाया गया. राव के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस दौरान राव बीमार थे और उन्हें मुंबई के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
केरल के पलक्कड़ ज़िले में बीते 15 नवंबर को एक 27 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई थी. भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिनदहाड़े की गई इस हत्या के पीछे इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं का हाथ है और उन्हें राज्य की सरकार का समर्थन हासिल है.
जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने एक आदेश में कहा है कि सीआईडी के प्रमुख की अध्यक्षता में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी नाम से नई एजेंसी आतंकवाद से जुड़े मामलों और अपराधियों को कटघरे में लाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी.
एनआईए ने 27 अक्टूबर 2013 को बिहार की राजधानी पटना में नरेंद्र मोदी की एक चुनावी रैली के स्थान पर हुए इन विस्फोटों के सिलसिले में कुल 11 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किया था. किसी आतंकवादी संगठन ने इस घटना की ज़िम्मेदारी नहीं ली थी, लेकिन संदेह था कि इस घटना के पीछे प्रतिबंधित संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है.
जम्मू कश्मीर के फ्रीलांस फोटो पत्रकार मनन गुलज़ार डार को आतंकी साज़िश मामले में एनआईए ने गिरफ़्तार किया है. एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में मनन के भाई हनन गुलज़ार डार को गिरफ़्तार किया था. परिवार का कहना है कि एक पखवाड़े से अधिक समय बीत गया है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि वह ज़िंदा हैं या नहीं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कथित माओवादी संबंधों को लेकर केरल के दो छात्रों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस और एनआईए का कहना था कि ये दोनों छात्र प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से पूछा था कि ये 20 से 25 साल की उम्र के लड़के हैं. इनके पास से कुछ सामग्री मिली है. क्या किसी तरह के अनुमान के आधार पर उन्हें जेल में डाला जा सकता है?
एल्गार परिषद मामले में आरोपी 82 वर्षीय कवि वरवरा राव को फरवरी में मेडिकल आधार पर मिली अंतरिम ज़मानत के बाद पांच सितंबर को आत्मसमर्पण कर न्यायिक हिरासत में लौटना था, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा इस अवधि का विस्तार करते हुए उन्हें राहत दी गई है. कोर्ट ने राव से चिकित्सा ज़मानत पर बाहर रहने के दौरान अपने गृहनगर जाने की अनुमति के लिए अलग से याचिका दायर करने को भी कहा है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा की पार्टनर सहबा हुसैन ने बताया कि उन्हें बीते 12 अक्टूबर को नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल के अंडा सेल में शिफ्ट किया गया है और उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया है. एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार कार्यकर्ताओं, वकीलों और विद्वानों में नवलखा सबसे उम्रदराज़ हैं.
बॉम्बे हाईकोर्ट परमबीर सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे की एक शिकायत पर उनके ख़िलाफ़ एससी-एसटी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. राज्य सरकार ने सुनवाई में कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए अब वह अपने आश्वासन पर क़ायम नहीं रहना चाहती कि सिंह के ख़िलाफ़ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव विस्फोट मामले में स्वास्थ्य के आधार पर ज़मानत पर बाहर हैं और यह दावा करते हुए कई अदालती सुनवाई में पेश नहीं हुई हैं कि वह गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं. ठाकुर वर्तमान में मुंबई की एक अदालत में यूएपीए की कड़ी धाराओं के तहत मुक़दमे का सामना कर रही हैं.