मणिपुर हिंसा: चार मेडिकल कॉलेजों के विस्थापित छात्रों को कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने निर्णय लिया है कि मणिपुर के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के चार मेडिकल कॉलेजों के सभी विस्थापित छात्रों को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज में ऑनलाइन कक्षाएं या हाइब्रिड मोड में कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. एनएमसी ने कहा कि उपरोक्त अनुमति मणिपुर में असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी गई है.

लॉकडाउन में शहरी झुग्गियों की 67 फीसदी लड़कियां ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो पाईं: रिपोर्ट

गैर सरकारी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रन’ द्वारा पिछले साल फरवरी में दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार और तेलंगाना की शहरी झुग्गियों में किए गए सर्वेक्षण अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान 67 प्रतिशत लड़कियां ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हुईं. अध्ययन में यह भी पाया गया है कि 10 से 18 वर्ष के बीच की 68 प्रतिशत लड़कियों ने इन राज्यों में स्वास्थ्य और पोषण सुविधाएं पाने में चुनौतियों का सामना किया.

छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में महामारी के कारण ‘सीखने की क्षमता’ घटी: अध्ययन

छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2020 में महामारी फैलने के बाद स्कूल बंद होने से बच्चों सीखने की क्षमता को बहुत गंभीर नुकसान हुआ है, जहां शुरुआती कक्षाओं में वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ छात्रों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2021 में दोगुना हो गया है.

उत्तर प्रदेश: नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया की धज्जियां उड़ाता उन्नाव का ये स्कूल

वीडियो: नरेंद्र मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी, लेकिन कोरोना वायरस के दौरान उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के अजगैन गांव के एक स्कूल में ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा का लाभ बच्चे नहीं उठा सके. यह स्कूल राज्य की राजधानी लखनऊ से महज 47 किमी. दूर है, जहां किसी भी बच्चे के पास मोबाइल फोन और इंटरनेट नहीं है. इतना ही नहीं मिड-डे मील बनाने वाली महिला को पिछले साल जून से वेतन नहीं मिला है.

दिल्ली स्कूलों में सिर्फ़ 25 फ़ीसदी बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच थी: सर्वेक्षण

राष्ट्रीय स्तर पर ‘एक्सेस टू सर्विसेस डूरिंग कोविड-19 इन डिजिटल इंडिया’ नाम के इस सर्वेक्षण में मार्च और अगस्त 2020 के बीच कुल 7,000 घरों के नमूने इकट्ठा किए गए. दिल्ली की तुलना में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले घरों का प्रतिशत कम हैं, वहां लगभग 40 फ़ीसदी बच्चे शिक्षा तक पहुंच हासिल कर सके.

कोरोना महामारी ने स्कूली छात्रों और उनके अध्यापकों पर क्या असर डाला है

पश्चिम बंगाल के प्राथमिक स्कूलों के अध्यापकों के एक समूह 'शिक्षा आलोचना' द्वारा महामारी के दौरान पढ़ाई को लेकर जारी की गई रिपोर्ट बताती है कि स्कूल परिसर के बाहर अपना काम जारी रखना कितना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अध्यापकों ने उसे किया. यह रिपोर्ट पढ़ी जानी चाहिए, अध्यापकों की वकालत के लिए नहीं, यह समझने के लिए कि प्राथमिक शिक्षा कितना जटिल मसला है और उसके कितने पक्ष हैं.

सिर्फ़ आठ प्रतिशत ग्रामीण बच्चे नियमित ऑनलाइन क्लास ले पा रहे हैं: रिपोर्ट

देश के 15 राज्यों में लगभग 1400 बच्चों के बीच कराए गए एक सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों के 37 फ़ीसदी बच्चे बिल्कुल भी नहीं पढ़ पा रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि वे न केवल पढ़ने के अधिकार बल्कि स्कूल जाने से मिलने वाले दूसरे फ़ायदों जैसे कि सुरक्षित माहौल, बढ़िया पोषण और स्वस्थ सामाजिक जीवन से भी वंचित हो गए.

उत्तर प्रदेश: बिना वेतन और सरकारी मदद के कैसे गुज़ारा कर रहे हैं शिक्षक

वीडियो: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच ग्रामीण उत्तर प्रदेश में स्व-वित्तपोषित स्कूल जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कई छात्र कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि उनके परिवारों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आवश्यक उपकरण- स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं हैं. स्कूल प्रबंधन शिक्षकों को भुगतान करने में असमर्थ हैं.

आईआईएमसी: छात्रों की कॉलेज खोलने की मांग, ऑनलाइन क्लास का बहिष्कार किया

नई दिल्ली स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्रों का कहना है कि पहला सेमेस्टर ऑनलाइन कर लिया है पर दूसरे सेमेस्टर से कैंपस में बुलाया जाना चाहिए क्योंकि ऑनलाइन पढ़ने की कुछ सीमाएं हैं. प्रशासन द्वारा मांगों पर ध्यान न देने की बात कहते हुए छात्रों ने सोमवार से कैंपस में धरना शुरू कर दिया है.

शैक्षणिक संसाधनों में ग़ैर बराबरी: शिक्षा या शिक्षा का भ्रम

शिक्षा में साधनों की असमानता का एक पक्ष यह भी है कि जिन अकादमिक या बौद्धिक चिंताओं पर हम महानगरीय शिक्षा संस्थानों में बहस होते देखते हैं, वे राज्यों के शिक्षा संस्थानों की नहीं हैं. राज्यों के कॉलेजों के लिए अकादमिक स्वतंत्रता का प्रश्न ही बेमानी है क्योंकि अकादमिक शब्द ही उनके लिए अजनबी है.

10वीं और 12वीं कक्षा के लिए 18 जनवरी से स्कूलों को खोलने की अनुमति

शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि सरकारी, सहायता प्राप्त और ग़ैर सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रमुख सिर्फ़ 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को विद्यालय बुला सकते हैं. कक्षा 10वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा 1 अप्रैल से 15 अप्रैल, 2021 तक और कक्षा 12वीं की प्री-बोर्ड परीक्षा 3 मार्च से 15 अप्रैल, 2021 तक आयोजित की जाएगी.

बिहार हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा- शिक्षा के साथ बच्चों के लिए मिड-डे मील सुनिश्चित करें

बिहार हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मिड-डे मील और सर्व शिक्षा से जुड़ीं योजनाओं को जारी रखने के साथ सरकारी स्कूल के छात्रों को पाठ्य पुस्तकें और नोटबुक मुहैया कराने का आदेश दिया है.

फाइनल ईयर परीक्षाएं: विद्यार्थी की जान और यूजीसी की शान

अगर यूजीसी को अंतिम परीक्षा लेने का अपना निर्णय इतना उचित लग रहा है तो वह इसके तर्क विस्तार से क्यों नहीं बता रहा और उसमें जो विकल्प हो सकते हैं उन पर विचार क्यों नहीं कर रहा? हड़बड़ी में सिर्फ अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए छात्रों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना शिक्षा की गुणवत्ता पर ज़ोर देना अमानवीयता है.

केंद्रीय विद्यालय के 27 फीसदी बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास के लिए फोन या लैपटॉप की सुविधा नहीं

एनसीईआरटी द्वारा 18 हज़ार से अधिक स्कूलों पर किए गए सर्वे में कुल 35,000 छात्रों, शिक्षकों, प्रिंसिपलों और अभिभावकों को शामिल किया गया था. इसमें से लगभग 28 प्रतिशत ने बिजली बीच में कटने या इसकी कमी को एक बड़ी बाधा बताया, वहीं 33 फीसदी बच्चों ने कहा कि ऑनलाइन लर्निंग कठिन है.

ऑनलाइन शिक्षा: राज्य ने अपनी ज़िम्मेदारी जनता के कंधों पर डाल दी है

संरचनात्मक रूप से ऑनलाइन शिक्षण में विश्वविद्यालय की कोई भूमिका नहीं है, न तो किसी शिक्षक और न ही किसी विद्यार्थी को इसके लिए कोई संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. यानी शिक्षा, जो सार्वजनिक और सांस्थानिक ज़िम्मेदारी थी वह इस ऑनलाइन मॉडल के चलते व्यक्तिगत संसाधनों के भरोसे है.