छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में महामारी के कारण ‘सीखने की क्षमता’ घटी: अध्ययन

छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2020 में महामारी फैलने के बाद स्कूल बंद होने से बच्चों सीखने की क्षमता को बहुत गंभीर नुकसान हुआ है, जहां शुरुआती कक्षाओं में वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ छात्रों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2021 में दोगुना हो गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: ILO in Asia and the Pacific, CC BY-NC-ND 2.0)

छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2020 में महामारी फैलने के बाद स्कूल बंद होने से बच्चों सीखने की क्षमता को बहुत गंभीर नुकसान हुआ है, जहां शुरुआती कक्षाओं में वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ छात्रों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2021 में दोगुना हो गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो, साभार: ILO in Asia and the Pacific, CC BY-NC-ND 2.0)

रायपुर: अन्य क्षेत्रों की तरह कोविड-19 महामारी और उसके बाद के प्रतिबंधों ने छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों की सीखने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है, जहां शुरुआती स्तर की कक्षाओं में वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ छात्रों का प्रतिशत 2018 की तुलना में 2021 में दोगुना हो गया है. एक अध्ययन रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (असर) 2021 के अनुसार कोविड -19 से पहले की अवधि (2014-2018) में राज्य में बुनियादी सीखने के परिणामों में सुधार हुआ था, लेकिन देश में मार्च 2020 में महामारी फैलने के बाद स्कूल बंद होने से सीखने की क्षमता को बहुत गंभीर नुकसान हुआ है.

इसमें कहा गया है कि 2018 और 2021 के बीच खासकर प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की बुनियादी पढ़ाई और अंकगणित जानने के स्तर में काफी गिरावट आई है.

यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के 28 जिलों के 33,432 घरों में 3-16 आयु वर्ग के 45,992 बच्चों के सर्वेक्षण पर आधारित है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार के विशेष अनुरोध पर महामारी प्रभावित वर्ष में आयोजित सर्वेक्षण में 1,647 स्कूलों को शामिल किया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के प्रकोप से पहले की अवधि के स्तरों की तुलना में 2021 में सभी कक्षाओं में बच्चों की बुनियादी पढ़ाई की क्षमता में तेज गिरावट नजर आई.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘कक्षा दूसरी, तीसरी और चौथी में शुरुआती स्तर (हिंदी और अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों को भी पहचानने में असमर्थ) के बच्चों का अनुपात 2018 के बाद से 2021 में लगभग दोगुना हो गया है. यह दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए 19.5 प्रतिशत से बढ़कर 37.6 प्रतिशत, तीसरी कक्षा में 10.4 प्रतिशत से 22.5 प्रतिशत और चौथी कक्षा में 2.5 प्रतिशत से 4.8 प्रतिशत तक हो गया है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बच्चे एक अंक की भी संख्या को पहचानने में असमर्थ थे, उनका अनुपात 2018 में कक्षा 2 के 11.4 प्रतिशत से बढ़कर 24.3 प्रतिशत और कक्षा 5 के 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गया है.

कक्षा 5 में केवल 4.3 प्रतिशत छात्र ही सामान्य गुणा-भाग कर सकते हैं, जो 2018 के 11.3 प्रतिशत से कम है, जब राज्य में आखिरी बार एक फील्ड सर्वेक्षण किया गया था.

यह गिरावट कक्षा 6 के छात्रों के बीच 29.8 प्रतिशत से 18.2 प्रतिशत तक थी. कक्षा 3 के नौ प्रतिशत छात्र कोई संख्या घटा सकते थे, जबकि 2018 में यह 19.3 प्रतिशत था.

रिपोर्ट बताती है कि पढ़ने और गिनती, दोनों ही मामले में बच्चों ने एक दशक में सबसे निचले स्तर को छुआ है.

2014 में सरकारी स्कूलों की दूसरी कक्षा में 70.7 प्रतिशत बच्चे अक्षर पढ़ सकते थे. यह 2016 में सुधरकर 77.1 प्रतिशत हो गया था और 2018 में मामूली रूप से गिरकर 76.3 प्रतिशत हो गया था. 2021 में यह 57 प्रतिशत तक गिर गया.

अंकगणित के मामले में कक्षा 3 के 14.2 प्रतिशत बच्चे (सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में संयुक्त रूप से) 2014 में कोई संख्या घटा  सकते थे; यह 2016 में बढ़कर 20 प्रतिशत हो गया और 2016 में थोड़ा गिरकर 19.3 प्रतिशत हो गया था. 2021 में यह संख्या केवल 9 प्रतिशत रही.

2018 में कक्षा 5 के विद्यार्थियों में 18 प्रतिशत भाग दे सकते थे, यह 2016 में बढ़कर 23.1 प्रतिशत और 2018 में 26.9 प्रतिशत हुआ और फिर 2021 में गिरकर 13 प्रतिशत हो गया.

हालांकि, महामारी के बावजूद 2021 में दाखिला दर 2018 की तुलना में सभी आयु समूहों के लिए अधिक थी.

सर्वेक्षण में 6-14 वर्ष के आयु वर्ग में सरकारी स्कूलों में दाखिले 2018 में 76.4 प्रतिशत थे, जो 2021 में 82.9 प्रतिशत हो गए.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि महामारी के दौरान दाखिले की दर में गिरावट नहीं आई. सर्वे के निष्कर्ष लड़कों की तुलना में लड़कियों के लिए अधिक सही थे.

रिपोर्ट में कहा, ‘2021 में लड़कों की तुलना में हर आयुवर्ग में अधिक लड़कियों को स्कूल में दाखिल किया गया है.’

रिपोर्ट में कोरोना वायरस प्रकोप और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण प्रत्यक्ष कक्षाओं के स्थगित रहने के मद्देनजर अप्रैल 2020 में राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल ‘पढ़ाई तुंहर दुआर’ (पढ़ाई आपके द्वार पर) का भी उल्लेख किया गया है.

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने ‘असर’ को राज्य में स्कूली बच्चों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण करने को कहा था ताकि इससे निपटने के लिए आवश्यक कार्यक्रम शुरू किए जा सकें.

प्रधान सचिव (शिक्षा) आलोक शुक्ला ने बताया, ‘असर हर साल देश भर में सर्वेक्षण करता है. महामारी के कारण यह (2021 में) नहीं हो सका. हमने विशेष रूप से सर्वेक्षण के लिए संगठन से अनुरोध किया क्योंकि हम राज्य की स्थिति जानना चाहते थे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)