मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सावरकर महान क्रांतिकारियों में से एक हैं. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया. दुर्भाग्य से कांग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं सिखाया. विदेशी क्रांतिकारियों को महान कहा गया, लेकिन हमारे अपने देशभक्त को नहीं.
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पुस्तक समीक्षा: गांधी के विचारों से प्रतिक्रियावादी पीछा नहीं छुड़ा सकते इसलिए गांधी पर हमले जारी रहेंगे. ऐसे में 'उसने गांधी को क्यों मारा' की शक्ल में उनकी हत्या के इतिहास को उसके पूरे यथार्थ से बचाए रखना आने वाली पीढ़ियों की चेतना को कुंद किए जाने के ख़िलाफ़ एक मुनासिब कार्रवाई है.
'माफ़ीवीर' कहकर सावरकर की खिल्ली उड़ाने की जगह सावरकरवाद के आशय पर बात करना हमारे लिए आवश्यक है. अगर वह कामयाब हुआ तो हम सब चुनाव के ज़रिये राजा चुनते रहेंगे और आज्ञाकारी प्रजा की तरह उसका हर आदेश मानना होगा.
सावरकर ने अपनी किताब '6 गौरवशाली अध्याय' में बलात्कार को राजनीतिक हथियार के तौर पर जायज़ ठहराया था. आज़ाद होने के बाद एक अपराधी ने कहा भी कि उन्हें उनकी राजनीतिक विचारधारा के कारण दंडित किया गया. वे शायद यह कहना चाह रहे हों कि उन्होंने कोई जुर्म नहीं किया था, मात्र सावरकर की राजनीतिक विचारधारा लागू की थी.
गुजरात की बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के दोषी 11 लोगों की रिहाई को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को निशाने पर लिया है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उनके 'नारी शक्ति' बयान का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर पूरा देश देख रहा है.
वीडियो: हाल ही में राजकमल प्रकाशन से अशोक कुमार पांडेय की किताब ‘सावरकर: काला पानी और उसके बाद’ प्रकाशित होकर आई है. इस किताब में कई ऐसी सच्चाइयों को बयान किया गया है, जिसका उल्लेख कम ही किया जाता है. लेखक का कहना है कि किसी के बारे में जानने के लिए यह नहीं पढ़ना चाहिए कि दूसरों ने उन पर क्या लिखा है, बल्कि वह पढ़ा जाना चाहिए, जो उन्होंने ख़ुद लिखा है. इससे उनके मूल विचारों का पता
अगर जिन्ना, जो कम से कम 1937 तक देश के साझा स्वतंत्रता संघर्ष का हिस्सा थे, की प्रशंसा करना अपराध है तो हमारे निकटवर्ती अतीत में भाजपा के कई बड़े नेता ऐसे अपराध कर चुके हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र पत्रिका के पूर्व संपादक शेषाद्री चारी ने कहा कि दुर्भाग्य से हमारे नेताओं ने इस बारे में नहीं सोचा. अगर हमारे नेताओं ने तब इस बारे में सोचा होता और जिन्ना को प्रधानमंत्री पद की पेशकश की होती तो कम से कम विभाजन नहीं होता. हालांकि ये अलग मुद्दा है कि उनके बाद प्रधानमंत्री कौन बनता.
वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से बात करते हुए महात्मा गांधी के पौत्र और प्रोफेसर राजमोहन गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गांधी की सलाह पर वीडी सावरकर के माफ़ीनामे लिखने के दावे का खंडन किया और इसे हास्यास्पद बताया.
अगर राजनाथ सिंह को झूठ ही सही, सावरकर के माफ़ीनामे को स्वीकार्य बनाने के लिए गांधी की छतरी लेनी पड़ी तो यह एक और बार सावरकर पर गांधी की नैतिक विजय है. नैतिक पैमाना गांधी ही रहेंगे, उसी पर कसकर सबको देखा जाएगा. जब-जब भारत भटकता है, दुनिया के दूसरे देश और नेता हमें गांधी की याद दिलाते हैं.
वीडियो: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि एक ख़ास वर्ग विनायक दामोदर सावरकर की दया याचिका को ग़लत तरीके से प्रचारित कर रहा है. उन्होंने दावा किया कि सावरकर ने जेल में अपनी सज़ा काटते हुए महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रेज़ों के सामने दया याचिका दायर की थी.
इससे पहले बीते आठ अगस्त को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के तहत सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की नियुक्ति परीक्षा में पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा और तीन विवादास्पद कृषि क़ानूनों के विरोध में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर सवाल पूछे गए थे.
गुजरात यूनिवर्सिटी में 'द रिवाल्यूशनरीज: ए रिटेलिंग ऑफ इंडियाज हिस्ट्री' पर भाषण देते हुए भारत सरकार के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा कि अगर प्रथम विश्व युद्ध के लिए वे भारतीय सैनिकों को ब्रिटिश सेना में भेजने को तैयार थे तब उन्हें उसी तरह का काम करने को लेकर भगत सिंह से दिक्कत क्यों थी?
अंडमान सेल्युलर जेल के लाइट एंड साउंड शो में सावरकर द्वारा अंग्रेज़ों को लिखी गई दया याचिकाओं का कोई उल्लेख न होने को लेकर राज्यसभा में सवाल पूछा गया था.