एक सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले ने राज्यसभा को सूचित किया कि इन 308 लोगों में से सबसे अधिक 52 मौतें तमिलनाडु में हुईं. इसके बाद उत्तर प्रदेश में 46 और हरियाणा में 40 लोगों की मौत सीवर सफाई के दौरान दर्ज की गई हैं.
दो दिन पहले दिल्ली के रोहिणी क्षेत्र में एक व्यक्ति और उनके आठ वर्षीय बेटे के खुले सीवर में गिरने की ख़बर को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली सरकार और शहर के पुलिस प्रमुख को नोटिस भेजते हुए कहा है कि वह इस घटना के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहता है.
वीडियो: दिल्ली के नरेला में सीवर की सफ़ाई के दौरान बिजेंद्र की मौत हो जाती है. उस वक़्त बिजेंद्र डीडीए के सीवर की सफ़ाई कर रहे थे. बिजेंद्र के परिवार में अब बस उनकी तीन बेटियां ही रह गई हैं. अभी तक किसी प्रकार की सरकारी मदद उनकी बेटियों तक नहीं पहुंची है.
पुलिस ने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने सफाई की जिम्मेदारी एक निजी कांट्रैक्टर को सौंपा था. अपनी शिकायत में कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने जब सुरक्षा उपकरण मांगे तक कथित तौर पर कांट्रैक्टर ने मना कर दिया. दोनों सफाईकर्मियों के बेहोश होने के बाद पुलिस के आने से पहले कांट्रैक्टर वहां से भाग गया.
बच्चे को बचाने गए 50 वर्षीय मारिआन्ना की हालत बहुत गंभीर है और वो अस्पताल में भर्ती हैं. मामले में अभी एफआईआर दर्ज की जानी बाकी है.
मुंबई के गोरेगांव पूर्व स्थित एक मॉल में हुआ हादसा. पुलिस ने बताया कि दुर्घटनावश मौत का मुकदमा दर्ज किया गया है और उस ठेकेदार की तलाश कर रही है, जिसने उन दोनों मृतकों को काम पर रखा था.
बीते 23 नवंबर को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के शकूरपुर में सीवर की सफाई करने उतरे एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और तीन अन्य बेहोश हो गए थे. पुलिस ने इस मामले में एक ठेकेदार और एक निजी सुपरवाइज़र को गिरफ्तार कर लिया था.
दिल्ली के लोक निर्माण विभाग मंत्री सत्येंद्र जैन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और मृतक सफाईकर्मी के परिवार को दस लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में सफाईकर्मियों की आर्थिक स्थिति गंभीर है और यह जातिगत व्यवस्था से संबंधित रोजगार है. इसीलिए हाथ से मैला सफाई की प्रथा अब भी जारी है.
विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1993 से साल 2019 तक महाराष्ट्र में सीवर सफाई के दौरान हुई 25 लोगों की मौत के मामले में किसी भी पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा नहीं दिया गया. वहीं, गुजरात में सीवर में 156 लोगों की मौत के मामले में सिर्फ़ 53 और उत्तर प्रदेश में 78 मौत के मामलों में सिर्फ़ 23 में ही 10 लाख का मुआवज़ा दिया गया.
तीसरे व्यक्ति की हालत बहुत गंभीर है और उनका इलाज चल रहा है. अभी इस मामले में केस दर्ज किया जाना बाकी है.
इन सफाईकर्मियों को मास्क, सुरक्षा बेल्ट, दस्ताने और जूते मुहैया नहीं कराए गए थे. वहीं पुलिस ने इस मामले में 'मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम' के तहत मामला दर्ज करने से मना कर दिया है.
पीड़ित की पहचान बिहार में कटिहार के निवासी डूमन राय के रूप में हुई है. जहांगीरपुरी इलाके में हुई घटना के संबंध में सुपरवाइज़र गिरफ़्तार.
मैला ढोने की प्रथा खत्म करने के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था राष्ट्रीय ग्रामीण अभियान द्वारा 11 राज्यों में कराए गए सर्वेक्षण से ये जानकारी सामने आई है.
विशेष रिपोर्ट: राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के पास यह जानकारी भी नहीं है कि देश में कुल कितने सफाईकर्मी हैं. 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1993 से लेकर अब तक सीवर में दम घुटने की वजह हुई मौतों और मृतकों के परिवारों की पहचान कर उन्हें 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का आदेश दिया गया था.