अनामिका की एक सामान्य-सी कविता के एक संदर्भ को लेकर चल रही बहस के भीतर चिंगारियां या अदावत का आह्लाद तलाश करने के बजाय यह देखना ज़रूरी है कि हम शब्दों के प्रति कितने सचेतन हैं कि कविता के शब्द कभी हमारी स्मृतियों के भीतर भी कभी नहीं गिरें. भले ही वे नारायण पंडित के हितोपदेश के किसी श्लोक के शब्द हों या फिर अनामिका की किसी स्मृति के बिंब से जुड़े.
भारत में जिस दल की केंद्रीय स्तर पर सरकार है और जो ‘स्वयंसेवी संगठन’ वर्चस्व की स्थिति में है उसका दबाव अकादमिक कार्यक्रमों और लोगों के सामान्य वैचारिक निर्माण पर स्पष्ट है. इस प्रक्रिया में किसी शब्द के अर्थ को इतना संकुचित कर दिया जा रहा है कि उसकी अर्थवत्ता ही संदिग्ध हो जा रही है.
आजकल सेकुलर (कुछ के लिए सिकुलर) शब्द आतंकवादी, देशद्रोही, पाकिस्तानी एजेंट, टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसे कई शब्दों का पर्याय बन गया है.
ग्राउंड रिपोर्ट: इस साल जुलाई में शिमला से 80 किमी दूर कोटखाई में एक स्कूली छात्रा की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी.
ग्राउंड रिपोर्ट: भाजपा जहां सत्ता विरोधी भावना को भुनाने के लिए तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रही है, वहीं कांग्रेस वीरभद्र सिंह को आगे कर परंपरागत तरीके से प्रचार करके ये चुनावी बाज़ी जीतने की कोशिश में है.
छठ के इस वीडियो को देखकर शहर में अकेले रह रहे उच्च और मध्यमवर्ग के लोग अपने जीवन में आ रही कमी को महसूस करते हैं. यह सुख-सुविधा की कमी नहीं है. यह रौनक और संस्कृति के तत्त्वों की कमी है.
संस्कृति मंत्रालय की पहल पर ढाई वर्षों से चल रहा था काम, प्रधानमंत्री कर सकते हैं औपचारिक उद्घाटन.
एक अलग भारत और उसके केंद्रीय मूल्यों को याद कराने के लिए फिल्म अमर अकबर एंथनी बुरा विचार नहीं है. यह आज के नौजवानों को यह बतलाएगा कि भारत हमेशा से वैसा नहीं था, जैसा कि आज है.