केंद्र सरकार ने बीते एक अक्टूबर को त्रिपुरा के उत्तरी ज़िलों में स्थित छह ब्रू राहत शिविरों में मुफ्त राशन और नकद सहायता रोक दी, क्योंकि शरणार्थियों ने मिज़ोरम वापस लौटने से इनकार कर दिया था. इसके बाद से शरणार्थी उत्तर त्रिपुरा ज़िले में आनंद बाजार से कंचनपुर के बीच सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
आइजोल: मुफ्त राशन देने की व्यवस्था बहाल करने की मांग को लेकर ब्रू शरणार्थियों का सड़क जाम बीते मंगलवार को लगातार छठे दिन जारी रहा. इस बीच त्रिपुरा सरकार ने उस इलाके में मंगलवार रात से सीआरपीसी की धारा 144 लगा दी है, जहां विस्थापितों ने सड़क जाम कर रखा है.
एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर त्रिपुरा जिले में डासडा होकर आनंद बाजार से कंचनपुर के बीच सड़क संपर्क कट गया है.
ब्रू शरणार्थियों के एक संगठन ने 29 अक्टूबर को आनंद बाजार में अनिश्चितकाल के लिए सड़क जाम करने की धमकी दी थी. आनंद बाजार इलाके का प्रमुख बाजार है, जहां दो राहत शिविर स्थित हैं.
मिजोरम ब्रू विस्थापित पीपुल्स फोरम (एमबीडीपीएफ) ने बीते सोमवार को दावा किया था कि केंद्र द्वारा अक्टूबर के लिए 35,000 से अधिक शरणार्थियों को राशन और नकदी की आपूर्ति बंद करने के बाद भुखमरी के कारण 29 अक्टूबर से शिशुओं सहित छह लोगों राहत शिविरों में की मौत हुई है.
सड़क जाम करने वालों की मांग है कि केंद्र 31 अक्टूबर से उन्हें मुफ्त राशन की आपूर्ति फिर से शुरू करे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते सोमवार को त्रिपुरा सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार मुफ्त राशन सेवा बहाल नहीं करेगी, लेकिन अगले तीन दिनों में अगर वे मिजोरम लौट जाती है तो वह हर शरणार्थी परिवार को 25 हजार रुपये देगी.
बयान में कहा गया है कि यह सहायता उन्हीं लोगों को दी जाएगी जो पांच, छह और सात नवंबर को वापस मिजोरम लौट जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते एक अक्टूबर को गृह मंत्रालय ने त्रिपुरा के उत्तरी जिलों में स्थित छह ब्रू राहत शिविरों में मुफ्त राशन और नकद सहायता रोक दी थी, क्योंकि ब्रू समुदाय के लोगों ने जान माल का ख़तरा बताते हुए मिजोरम लौटने से इनकार कर दिया था. पिछले दो दशकों से यहां रहने वाले 32 हजार शरणार्थियों के मिज़ोरम वापसी का नौवां चरण शुरू हुआ था.
1997 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान ब्रू समुदाय के तकरीबन 37 हजार लोग त्रिपुरा छोड़कर मिजोरम के मामित, कोलासिब और लुंगलेई जिलों में भाग आए थे. वे पिछले 22 सालों से उत्तर त्रिपुरा जिले के कंचनपुर और पानीसागर उप संभागों के छह शिविरों- नैयसंगपुरा, आशापारा, हजाचेर्रा, हमसापारा, कासकऊ और खाकचांग में रहे रहे थे.
ब्रू और बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय के लोगों की बीच हुई यह हिंसा इनके पलायन का कारण बना था. इस तनाव की नींव 1995 में तब पड़ी जब शक्तिशाली यंग मिज़ो एसोसिएशन और मिज़ो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्य की चुनावी भागीदारी में ब्रू समुदाय के लोगों की मौजूदगी का विरोध किया. इन संगठनों का कहना था कि ब्रू समुदाय के लोग राज्य के नहीं है.
इस तनाव ने ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट (बीएनएलएफ) और राजनीतिक संगठन ब्रू नेशनल यूनियन (बीएनयू) को जन्म दिया, जिसने राज्य के चकमा समुदाय की तरह एक स्वायत्त ज़िले की मांग की.
इसके बाद 21 अक्टूबर 1996 को बीएनएलफए ने एक मिज़ो अधिकारी की हत्या कर दी जिसके बाद से दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक दंगा भड़क गया.
दंगे के दौरान ब्रू समुदाय के लोगों पड़ोसी उत्तरी त्रिपुरा की ओर धकेलते हुए उनके बहुत सारे गांवों को जला दिया गया था. इसके बाद से ही इस समुदाय के लोग त्रिपुरा के कंचनपुर और पानीसागर उपसंभागों में बने राहत शिविरों में रह रहे हैं.
1997 में मिज़ोरम से त्रिपुरा आने के छह महीने बाद केंद्र सरकार ने इन शरणार्थियों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की थी. इसके तहत हर बालिग ब्रू व्यक्ति को 600 ग्राम और नाबालिग को 300 ग्राम चावल प्रतिदिन आवंटित किया जाता था.
पैकेज के तहत हर बालिग ब्रू व्यक्ति को पांच रुपये और नाबालिग को 2.5 रुपये प्रतिदिन का प्रावधान था. इसके अलावा इन्हें साल में एक बार साबुन और एक जोड़ी चप्पल तथा हर तीन साल पर एक मच्छरदानी दी जाती थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)