बीएचयू के संस्कृत विभाग में मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति पर हंगामा, धरने पर बैठे छात्र

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ति का कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि जैन, बौद्ध और आर्य समाज से जुड़े लोगों को छोड़कर किसी भी गैर हिंदू को इस विभाग में नियुक्त नहीं किया जा सकता.

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बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी. (फोटो: पीटीआई)

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ति का कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि जैन, बौद्ध और आर्य समाज से जुड़े लोगों को छोड़कर किसी भी गैर हिंदू को इस विभाग में नियुक्त नहीं किया जा सकता.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (फोटो: पीटीआई)
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (फोटो: पीटीआई)

वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में कथित तौर पर एक मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के विरोध में छात्र धरने पर हैं. छात्रों की मांग है कि इस नियुक्ति को निरस्त किया जाए.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए गुरुवार देर रात बीएचयू ने कहा कि उन्होंने वाइस चांसलर की अध्यक्षता में एक पारदर्शी स्क्रीनिंग प्रक्रिया के जरिए सर्वाधिक योग्य उम्मीदवार को सर्वसम्मति से नियुक्त किया है.

विश्वविद्यालय ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना धर्म, जाति, संप्रदाय और लिंग के आधार पर बिना किसी भेदभाव के राष्ट्रनिर्माण के उद्देश्य से सभी को समान अवसर दिए जाने से की गई थी.

विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर फिरोज खान की नियुक्ति का कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं. इन छात्रों ने गुरुवार को वाइस चांसलर के आवास के बाहर होल्कर भवन पर धरना दिया. ये प्रदर्शनकारी छात्र प्रोफेसर खान की नियुक्ति को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं.

एक प्रदर्शनकारी छात्र पुनीत मिश्रा ने कहा कि बीएचयू के संस्थापक मदन मोहन मालवीय के मूल्यों की रक्षा करने के लिए धरना किया गया था.

उन्होंने कहा कि संस्कृत संकाय में लगे शिलापट्ट पर लिखा है कि जैन, बौद्ध और आर्य समाज से जुडे़ लोगों को छोड़कर कोई भी गैर हिंदू इस विभाग से नहीं जुड़ सकता.

मिश्रा ने कहा, ‘हम उनका (मुस्लिम प्रोफेसर) विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि बल्कि महामना (मालवीय) के मूल्यों का समर्थन कर रहे हैं. हम महामना के मूल्यों के लिए लड़ रहे हैं.’

इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे पीएचडी स्कॉलर शुभम तिवारी ने खान की नियुक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि रिश्वत लेने के बाद संस्कृत फैकल्टी में एक अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति की गई.

तिवारी ने कहा, ‘जब एक व्यक्ति को नियुक्त किया जाता है तो वह 65 की उम्र तक पढ़ाता है. इतने वर्षों में बहुत सारे बच्चे पढ़ने आएंगे. उन बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.’

विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति में चुनाव प्रक्रिया का पालन नहीं करने के छात्रों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘नियमों के मुताबिक चुनाव हुआ. प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा उत्पन्न की जा रही बाधा अनुचित है.’

बीएचयू ने कहा कि छात्रों ने स्क्रीनिंग समिति की बैठक को बाधित करने की कोशिश की. प्रशासन ने स्वीकार किया कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर मुस्लिम उम्मीदवार की नियुक्ति को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया.