रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने कहा कि पहले के मुक़ाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है. एक अन्य एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी हाल ही में चेतावनी दी थी कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र में जोख़िम बढ़ रहे हैं.
नई दिल्ली: मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य बदलते हुए इसे ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है.
एजेंसी ने भारत के लिए बीएए2 विदेशी-मुद्रा एवं स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि की है, जो कि दूसरा सबसे कम स्कोर है.
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, ‘परिदृश्य को नकारात्मक करने का मूडीज़ का फैसला आर्थिक वृद्धि के पहले के मुकाबले काफी कम रहने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है. मूडीज़ के पूर्व अनुमान के मुकाबले वर्तमान की रेटिंग लंबे समय से चली आ रही आर्थिक एवं संस्थागत कमजोरी से निपटने में सरकार एवं नीति के प्रभाव को कम होते हुए दिखाती है. जिस कारण पहले ही उच्च स्तर पर पहुंचा कर्ज का बोझ धीरे-धीरे और बढ़ सकता है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए सरकारी उपायों से भारत की आर्थिक सुस्ती की गहराई और उसकी समयसीमा को कम करने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण घरों में लंबे समय तक वित्तीय तनाव, कमजोर रोजगार सृजन, और हाल ही में, गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों (एनबीएफआई) के बीच एक क्रेडिट संकट की वजह से और अधिक सुस्ती की संभावना में वृद्धि हुई है.’
रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा, ‘इसके अलावा, उच्च स्तर पर व्यावसायिक निवेश और विकास को बढ़ावा देने एवं टैक्स बेस को व्यापक रूप से बढ़ाने वाली सुधारों की संभावनाएं कम हो गईं हैं.’
एक रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी ने कहा कि निवेशक आगे आने वाली सुस्ती के संकेतों के लिए भारत की जीडीपी के आंकड़ों पर नजर बनाए हुए होंगे. मूडीज़ ने कहा कि इससे एक और नकारात्मक बदलाव हो सकता है.
फिच रेटिंग और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग जैसी अन्य एजेंसियां अभी भी भारत की अर्थव्यवस्था को ‘स्थिर’ श्रेणी में रखती हैं. हालांकि, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र में जोखिम बढ़ रहे हैं.
हालांकि केंद्र सरकार ने मूडीज़ इन्वेस्टर्स सर्विस के भारत की रेटिंग का परिदृश्य स्थिर से घटाकर नकारात्मक करने पर शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया जताई. वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत बने रहेंगे और सरकार की ओर से किए गए उपायों से निवेश में तेजी आएगी.
वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत की आपेक्षिक स्थिति स्थिर बनी हुई है.
वित्त मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया विश्व आर्थिक परिदृश्य का हवाला देते हुए कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है और यह 2020 में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच सकती है.
इसमें कहा गया है कि भारत की संभावित वृद्धि दर स्थिर बनी हुई है. आईएमएफ और अन्य बहुपक्षीय संगठनों का भारत को लेकर दृष्टिकोण लगातार सकारात्मक बना हुआ है.
मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने पूरी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए वित्तीय क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में कई उपाय किए हैं.
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘वैश्विक सुस्ती से निपटने के लिए सरकार ने खुद आगे बढ़कर नीतिगत फैसले लिए हैं. इन उपायों से भारत को लेकर सकारात्मक रुख बढ़ेगा. साथ ही पूंजी प्रवाह को आकर्षित करने में मदद मिलेगी तथा निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा.’
बयान में कहा गया, ‘मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहने और बॉन्ड प्रतिफल कम रहने से अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत बने रहेंगे. भारत अल्प और मध्यम अवधि में वृद्धि की मजबूत संभावनाओं की पेशकश लगातार कर रहा है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)