दान में मिली पांच एकड़ ज़मीन की ज़रूरत नहीं, मस्जिद को लेकर समझौता नहीं होगा: ओवैसी

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तथ्यों पर विश्वास की जीत क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है, लेकिन उससे भी गलती हो सकती है.

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असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो: पीटीआई)

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ज़मीन विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने तथ्यों पर विश्वास की जीत क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च है, लेकिन उससे भी गलती हो सकती है.

असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो: पीटीआई)
असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो: पीटीआई)

हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायलय के फैसले को तथ्यों पर विश्वास की जीत करार दिया है.

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं.

पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस वर्मा के एक बयान का हवाला देते हुए ओवैसी ने संवाददाताओं से हैदराबाद में बातचीत में कहा कि उच्चतम न्यायालय वस्तुत: सर्वोच्च है, लेकिन उससे भी गलती हो सकती है.

उन्होंने कहा कि हालांकि उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम है, लेकिन हम लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं.

उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद गिराई है, उन लोगों को न्यास का गठन करने और राम मंदिर बनाने का काम शुरू कराने के लिए कहा गया है.

ओवैसी ने कहा, ‘मैं इस फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पक्ष का समर्थन करता हूं. हम न्याय और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे, हमें दान में मिली पांच एकड़ जमीन की जरूरत नहीं. मस्जिद को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘देश में कई अन्य मस्जिदें हैं, जिस पर संघ के लोग दावा करते हैं. मुझे सोचता हूं कि क्या वे उन मामलों में भी इस फैसले का हवाला देंगे.’

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए विवादित स्थल पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज. राम जन्मभूमि न्यास को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़ दिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादित ज़मीन हिंदू पक्ष को देने के फैसले के बाद मामले के मुस्लिम पक्षकार सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन वे इसका सम्मान करते हैं.

जिलानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य भी हैं.

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन दे. यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाएगी.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)