इजरायली स्पाइवेयर से भारतीयों की जासूसी किए जाने के वॉट्सऐप के खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ के पांच पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी फोन कॉल अवैध रूप से टैप करने की कोशिश की गई है. इसके साथ ही जानकारी मिली थी कि राज्य के कुछ व्यक्तियों के स्मार्टफोन अवैध रूप से टैप किए गए हैं.
रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में कुछ व्यक्तियों की स्मार्टफोन कॉल अवैध रूप से टैप किए जाने के मामले की जांच के लिए प्रमुख गृह सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्देश दिया है.
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने वॉट्सऐप जासूसी मामले को गंभीरता से लिया है और कॉल टैप किए जाने को नागरिकों की स्वतंत्रता के हनन से जुड़ा प्रश्न बताया है.
अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने शिकायतों की जांच के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्देश दिया है.
उन्होंने बताया कि समिति घटना की विस्तृत जांच कर एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी. पुलिस महानिदेशक समिति को जांच के लिए सभी आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे.
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार को समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों से जानकारी मिली थी कि राज्य के कुछ व्यक्तियों के स्मार्टफोन अवैध रूप से टैप किए गए हैं.
वहीं, छत्तीसगढ़ के पांच पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दावा किया था कि उनकी फोन कॉल अवैध रूप से टैप करने की कोशिश की गई है.
इस मामले की जांच के लिए समिति गठित होने की सूचना पर मानवाधिकार कार्यकर्ता आलोक शुक्ला ने इसे मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया महत्वपूर्ण कदम बताया है.
शुक्ला ने कहा कि यह पता लगाना जरूरी है कि इजराइली कंपनी एनएसओ ने पेगासस को किसके लिए विकसित किया था तथा किसके कहने पर लोगों को निशाना बनाया गया और किसने इसकी अनुमति दी थी. यह नागरिकों की निजता के हनन का मामला है.
उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री बघेल के इस कदम का स्वागत करते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मुख्यमंत्री बघेल द्वारा हस्ताक्षर किए गए आदेश में कहा गया है कि ऐसी शिकायतें मिली हैं कि दो से तीन साल पहले इजरायली कंपनी एनएसओ ने अपने सॉफ्टवेयर के संबंध में एक प्रजेंटेशन दिया था.
इससे पहले सूचना प्रौद्योगिकी और गृह मामलों की संसदीय समितियों ने अपनी बैठक में ‘वॉट्सऐप’ जासूसी मामले पर सुनवाई करने की बात कही थी.
पिछले महीने 31 अक्टूबर को फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी वॉट्सऐप ने कहा था कि अज्ञात संस्थाओं ने इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करते हुए भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की थी. इससे नागरिकों की निजता भंग हुई.
वॉट्सऐप ने कहा था कि उसने इजराइली निगरानी कम्पनी ‘एनएसओ ग्रुप’ के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है. इस ग्रुप का उस तकनीक विकसित करने में हाथ है जिसने बेनाम इकाइयों को 1,400 वॉट्सऐप उपयोगकर्ताओं के मोबाइल फोन हैक करने में मदद की.
इन उपयोगकर्ताओं में राजनयिक, सरकार विरोधी नेताओं, पत्रकार और सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.
हालांकि, कंपनी ने भारत में इस स्पाईवेयर हमले से प्रभावित लोगों की संख्या नहीं बताई है लेकिन उसके प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह हमने जिन लोगों से संपर्क किया है उनमें भारतीय प्रयोगकर्ता भी शामिल हैं.
इसके बाद द वायर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पेगासस स्पाइवेयर से जिन भारतीयों को निशाना बनाया गया उनमें अधिकतर ऐसा सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता, शिक्षाविद और वकील थे जो भीमा-कोरेगांव विवाद से जुड़े थे.
वहीं, कांग्रेस ने बीते रविवार को दावा किया कि पार्टी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी को वॉट्सऐप से एक संदेश प्राप्त हुआ था, जिसमें उन्हें बताया गया था कि उनके फोन के हैक होने की आशंका है. हालांकि, पार्टी ने यह नहीं बताया कि प्रियंका को यह संदेश कब प्राप्त हुआ था.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इन आरोपों पर वॉट्सऐप से एक रिपोर्ट मांगी है. सरकार के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए उसने मामले का पता चलने पर पहली बार मई में और फिर सितंबर में दूसरी बार सरकार को इसकी जानकारी दी थी.
वॉट्सऐप ने सितंबर में भारत सरकार को बताया था कि 121 भारतीय प्रयोगकर्ताओं को इजरायली स्पाइवेयर पेगासस ने निशाना बनाया है. वहीं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा था कि उसे वॉट्सऐप से जो सूचना मिली थी वह अपर्याप्त और अधूरी थी.
हालांकि, आईटी मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि उन्हें वॉट्सऐप से जवाब मिल गया है और अभी उसका अध्ययन किया जा रहा है. इस पर जल्द अंतिम राय तय की जाएगी.
वैश्विक स्तर पर वॉट्सऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या डेढ़ अरब है. भारत में करीब 40 करोड़ लोग वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)