प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर मुहर लगाते हुए राष्ट्रपति ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूरी दे दी है. सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन पत्र जमा करने के लिए तीन दिन का अतिरिक्त समय दिए जाने की मांग का अनुरोध राज्यपाल द्वारा ठुकराए जाने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में पिछले 19 दिनों से जारी सियासी घमासान के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्रीय कैबिनेट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी. इसके बाद प्रदेश विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी.
President's Rule imposed in the state of #Maharashtra, after the approval of President Ram Nath Kovind. pic.twitter.com/tR3qW4xYbR
— ANI (@ANI) November 12, 2019
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने का कदम राज्यपाल ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिए जाने के एक दिन बाद उठाया था.
कोश्यारी के कार्यालय द्वारा ट्वीट किये गये एक बयान के अनुसार, ‘वह संतुष्ट हैं कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, (और इसलिए) संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार आज एक रिपोर्ट सौंपी गई है.’ अनुच्छेद 356 को आमतौर पर राष्ट्रपति शासन के रूप में जाना जाता है और यह ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ से संबंधित है.
इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी मंगलवार को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी. सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई और प्रदेश में केंद्रीय शासन लगाने का राष्ट्रपति से अनुरोध करने का निर्णय किया गया.
कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील रवाना हो गए.
Ministry of Home Affairs (MHA) Spokesperson: #Maharashtra Governor was of the view that it has been 15 days since the conclusion of electoral process and none of the political parties are in the position to form a govt in the state; President's Rule is a better option. pic.twitter.com/dkgySHo3oE
— ANI (@ANI) November 12, 2019
केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘राज्यपाल का यह मत था कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने के 15 दिन बाद भी राज्य में कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. राष्ट्रपति शासन एक बेहतर विकल्प है.’
कांग्रेस ने मंगलवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के लिए उनकी आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने ‘न्याय का हनन’ किया है और संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक बनाया है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर एनसीपी, शिवसेना और भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत साबित करने के लिए ‘मनमाने ढंग से’ समय देने का आरोप भी लगाया.
एनसीपी को सरकार बनाने दावा पेश करने के लिए मंगलवार को रात 8:30 बजे तक का समय दिया गया था. हालांकि, एनसीपी ने राज्यपाल से कहा था कि उन्हें सरकार बनाने के लिए अधिक समय चाहिए.
इस बीच, सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन पत्र जमा करने के लिए तीन दिन का अतिरिक्त समय दिए जाने की मांग का अनुरोध राज्यपाल द्वारा ठुकराए जाने के बाद शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
पार्टी नेता अनिल परब ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘शिवसेना ने अतिरिक्त समय न देने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है. हमने राज्यपाल से आवश्यक समर्थन पत्र सौंपने के लिए तीन दिन का समय देने का आग्रह किया था. हम बाद में शक्ति परीक्षण में अपना बहुमत साबित कर सकते थे.’
Nishant Katneshwar, Maharashtra govt's lawyer: I will have to receive a copy of the petition, then I will have to see the prayers, contents, grounds and thereafter appropriate steps will be taken. https://t.co/bbo8FbGJz3
— ANI (@ANI) November 12, 2019
शिवसेना की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार के वकील निशांत कटनेश्वर ने कहा, ‘आज मुझे पता चला कि शिवसेना ने एक याचिका दाखिल कर राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनके सरकार बनाने के दावे को खारिज कर दिया था. याचिका की कॉपी मिलने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा.’
शिवसेना को मिला सोमवार शाम 7:30 बजे तक का समय समाप्त होते ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार रात को ही एनसीपी को न्योता दिया था और पूछा था कि क्या वह ‘सरकार बनाने की इच्छा और क्षमता’ प्रदर्शित करना चाहती है.
Mumbai: Congress leaders Mallikarjun Kharge, Ahmed Patel and KC Venugopal arrive at YB Chavan centre for a meeting with NCP chief Sharad Pawar. President's Rule has been imposed in the state of #Maharashtra. pic.twitter.com/OAjkhuxsX6
— ANI (@ANI) November 12, 2019
इस घटनाक्रम के बीच एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के शीर्ष नेता सरकार गठन को लेकर गतिरोध दूर करने और संख्या जुटाने के लिये विचार विमर्श जारी रखे हुए हैं.
इससे पहले मंगलवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बात की थी और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर पार्टी के तीन नेताओं को अधिकृत किया था. इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने के लिए तीनों नेता उनके आवास पहुंचे.
बहरहाल, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्य में सरकार गठन के लिए शिवसेना को समर्थन देने के फैसले पर कांग्रेस की तरफ से की गई देरी को लेकर हो रही आलोचनाओं को मंगलवार को खारिज कर दिया.
सरकार बनाने के लिए क्या कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर सहमत हुई थी, यह पूछे जाने पर चव्हाण ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो उनकी पार्टी ने सोमवार को दिल्ली में इतनी लंबी चर्चाए नहीं की होतीं.
राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के संबंध में मंगलवार को लगाई जा रही अटकलों के बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि अगर राष्ट्रपति शासन लागू भी होता है तो जब दलों के पास संख्या बल हो और वे सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हों तो उसे हटाया भी जा सकता है.
बता दें कि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आने वाली भाजपा तब सरकार बनाने से इनकार कर दिया था जब शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी खींचतान के बीच भाजपा का समर्थन करने से इनकार कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 105, शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली है. विपक्षी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को क्रमश: 44 और 54 सीटों पर जीत मिली है और राज्य में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों के समर्थन की जरूरत है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)