बिहार के भोजपुर ज़िले से आने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह लंबे समय से सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे. उन्होंने 1969 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से गणित में पीएचडी की थी और कुछ समय के लिए नासा में भी काम किया था.
पटना: गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का लंबी बीमारी के बाद पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में गुरुवार को निधन हो गया.
बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव निवासी 74 वर्षीय सिंह लंबे समय से सिजोफ्रेनिया रोग से पीड़ित थे और पीएमसीएच में उनका इलाज चल रहा था.
सिंह ने बर्कले के कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय से वर्ष 1969 में गणित में पीएचडी की थी. उन्होंने ‘साइकिल वेक्टर स्पेस थ्योरी‘ पर शोध किया था.
बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आंइस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती दी थी. उनके बारे में यह भी मशहूर था कि नासा में काम करने के दौरान जब अपोलो लॉन्चिंग से पहले 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए, तो उन्होंने मैनुअल गणना की. कंप्यूटर ठीक होने पर उनकी गणना का मिलान कंप्यूटर से करने पर वे समान मिलीं.
वह वाशिंगटन में गणित के प्रोफेसर भी रहे, लेकिन वर्ष 1972 में भारत लौट आये थे. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कलकत्ता में अध्यापन का कार्य किया.
वे बिहार के मधेपुरा जिले के भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे थे.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की. शोक संदेश में उन्होंने कहा कि दिवंगत सिंह ने पूरे विश्व में भारत एवं बिहार का नाम रोशन किया है. सिंह का निधन बिहार एवं देश के लिए अपूरणीय क्षति है.
मुख्यमंत्री ने पटना के कुल्हड़िया कॉम्पलेक्स पहुंचकर सिंह की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने सिंह के भाई अयोध्या प्रसाद सिंह, भतीजे राकेश कुमार सिंह सहित अन्य परिजनों से मुलाकात भी की.
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘वशिष्ठ बाबू की मृत्यु हम सबलोगों के लिये दुखद है. वह कम उम्र में ही अस्वस्थ हो गये थे. आज वे नहीं रहे इससे पूरे प्रदेश के लोग दुखी हैं. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा है. हम लोग इस बारे में भी सोचेंगे कि उनका नाम सदैव लोग याद रख सकें.’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। वे एक प्रख्यात गणितज्ञ थे। उनके परिवार व सहयोगियों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 14, 2019
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जी के निधन के समाचार से अत्यंत दुख हुआ. उनके जाने से देश ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में अपनी एक विलक्षण प्रतिभा को खो दिया है. विनम्र श्रद्धांजलि!’
नहीं मिली एम्बुलेंस, देर तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा सिंह का पार्थिव शरीर
वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पटना स्थित उनके आवास ले जाने के लिए समय पर पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) प्रशासन द्वारा एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवाए जाने की वजह से देर तक स्ट्रेचर पर पड़ा रहा.
ये पीएमसीएच कैंपस में महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर है, जिनके परिजनों को एम्बुलेंस तक मुहैया कराने की औपचारिकता अस्पताल प्रशासन ने नहीं निभाई। शर्मनाक है ये! जिस आदमी की उपलब्धियों पर बिहार समेत देश गर्व करता है, अंत में भी उसके साथ ऐसा व्यवहार? @NitishKumar ??? pic.twitter.com/48yjQFZkHx
— Brajesh Kumar Singh (@brajeshksingh) November 14, 2019
सिंह के भाई अयोध्या प्रसाद सिंह का आरोप है कि उनके भाई के पार्थिव शरीर को पटना स्थित उनके आवास ले जाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं करवाई, जिसके कारण शव को काफी देर तक स्ट्रेचर पर रखना पड़ा.
न्यूज़18 के मुताबिक निधन के बाद बहुत देर तक उनके छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े रहे. वहीं सोशल मीडिया पर स्ट्रेचर की यह तस्वीर वायरल होने के बाद प्रशासन के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं.
जनसत्ता की खबर के मुताबिक अस्पताल से जवाब तलब किया गया है. इस बारे में पीएमसीएच के अधीक्षक राजीव रंजन प्रसाद ने दावा किया कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली तुरंत एंबुलेंस उपलब्ध करवाई गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)