राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना को नकारते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि तीनों दल मिलकर एक स्थायी सरकार बनाना चाहते हैं, जो विकासोन्मुख होगी. शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि शिवसेना पांच नहीं, अगले पच्चीस सालों तक सरकार का नेतृत्व करेगी.
नागपुर/मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की संभावना को खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनेगी और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है.
उन्होंने कहा कि तीन दल एक स्थायी सरकार बनाना चाहते हैं जो विकासोन्मुख होगी. पवार ने यहां पत्रकारों से कहा कि मध्यावधि चुनाव की कोई संभावना नहीं है. यह सरकार बनेगी और पूरे पांच साल चलेगी. हम सभी यही आश्वस्त करना चाहेंगे कि यह सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा राज्य में सरकार गठन के लिए एनसीपी के साथ चर्चा कर रही थी, इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ शिवसेना, कांग्रेस और गठबंधन सहयोगियों के साथ बात कर रही है, इसके अलावा किसी से नहीं.
उन्होंने कहा कि तीनों दल फिलहाल साझा न्यूनतम कार्यक्रम (सीएमपी) पर काम कर रहे हैं, जो राज्य में सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में मार्गदर्शन करेगा. तीनों दलों के प्रतिनिधियों ने बृहस्पतिवार को मुंबई में मुलाकात की और सीएमपी का मसौदा तैयार किया.
पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उस टिप्पणी पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार छह महीने से अधिक समय तक नहीं चल पायेगी. पवार ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं कुछ साल से देवेंद्र जी को जानता हूं, लेकिन मैं यह नहीं जानता था कि वह ज्योतिष भी हैं.
पवार ने फडणवीस की ‘मैं फिर आऊंगा’ के नारे पर भी निशाना साधा. पवार ने कहा, ‘यह ठीक है उन्होंने (फडणवीस ने) यह कहा. लेकिन मैं तो कुछ और सोच रहा था. वह कहते थे – मैं फिर आऊंगा, मैं फिर आऊंगा. अब आप (पत्रकार) कुछ और जानकारी दे रहे हैं.’
अगले 25 साल तक सरकार का नेतृत्व करेगी शिवसेना: संजय राउत
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अगली सरकार का नेतृत्व करेगी और इसके गठन से पहले कांग्रेस और एनसीपी के बीच जिस न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम किया जा रहा है वह ‘राज्य के हित’ में होगा.
राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना केवल पांच साल नहीं बल्कि ‘आगामी 25 साल’ तक महाराष्ट्र में सरकार का नेतृत्व करेगा.
राउत से यह पूछा गया था कि क्या उनका दल तीन दलीय संभावित सरकार में अपने सहयोगियों एनसीपी और कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री पद साझा करेगा या नहीं, जिसके जवाब में उन्होंने यह टिप्पणी की.
राउत ने कहा, ‘ऐसा न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ बातचीत की जा रही है जो राज्य और उसके लोगों के हित में हो. भले ही किसी एक दल की सरकार हो या गठबंधन हो, सरकार का कोई एजेंडा होना आवश्यक है. सूखा एवं बेमौसम बारिश (जैसी समस्याओं से निपटना है) और बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाओं को आगे ले जाया जाना है.’
राउत ने कहा, ‘जो हमारे साथ जुड़ रहे हैं, वे अनुभवी प्रशासक हैं. हमें उनके अनुभव से लाभ होगा.’
अभी तक शिवसेना की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रही कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में राउत ने कहा कि देश के सबसे पुराने दल के नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ महाराष्ट्र के विकास में योगदान दिया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या अगली व्यवस्था में शिवसेना बारी-बारी से मुख्यमंत्री पद साझा करेगी, राउत ने कहा, ‘हम अगले 25 साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहते हैं. शिवसेना राज्य का नेतृत्व करती रहेगी, भले ही कोई भी इसे रोकने की कोशिश करे.’’
शिवसेना के नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के साथ उनकी पार्टी का संबंध अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी है. उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी पिछले 50 साल से राज्य की राजनीति में सक्रिय है.’ गौरतलब है कि बाल ठाकरे ने 1966 में शिवसेना का गठन किया था.
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद शिवसेना हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की अपनी मांग से पीछे हट जाएगी, राउत ने सीधा उत्तर नहीं देते हुए कहा, ‘हमें पता है कि इस प्रकार की अटकलों का स्रोत क्या है.’
राउत से जब पूछा गया कि (मीडिया अटकलों के अनुसार) क्या एनसीपी और शिवसेना को 14-14 और कांग्रेस को 12 पोर्टफोलियो देने का फॉर्मूला तैयार किया गया है, तो उन्होंने तीनों दलों के बीच प्रस्तावित गठबंधन व्यवस्था की जानकारी देने से इनकार कर दिया.
उन्होंने कहा, ‘आप सत्ता के बंटवारे की चिंता नहीं करें. (शिवसेना प्रमुख) उद्धव जी निर्णय लेने में सक्षम हैं.’
राउत ने जब पूछा गया कि हिंदुत्व राजनीति के लिए और ‘कांग्रेस विरोधी’ के तौर पर जाना जाने वाला उनका दल कांग्रेस जैसे अलग विचारधारा वाले साझीदार के साथ कैसे तालमेल बैठा पाएगा, उन्होंने कहा, ‘विचारधारा क्या है? हम राज्य के कल्याण के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आए दलों के गठबंधन का नेतृत्व किया. महाराष्ट्र में शरद पवार ने (1978-80 में) प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार का नेतृत्व किया जिसमें भाजपा का पूर्ववर्ती अवतार जनसंघ भी शामिल था.’
शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन के प्रयासों को उचित ठहराते हुए कहा, ‘इससे पहले भी ऐसे उदाहरण रहे हैं जब अलग-अलग विचारधाराओं के दल एक साथ आए.’
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उनके तमाम प्रयासों के बावजूद मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में राज्य में स्थिर सरकार का गठन असंभव है. इसके बाद 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.
कांग्रेस के एक नेता ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन से पहले तैयार किया गया न्यूनतम साझा कार्यक्रम किसानों और बेरोजगारी से निपटने के उपायों पर केंद्रित है.
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए संभावित गठबंधन पर फैसला करने से पहले तीनों दलों के प्रतिनिधियों ने सीएमपी का मसौदा तैयार किया है. अब इसे तीनों दलों के शीर्ष नेता मंजूरी और अंतिम रूप देंगे.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार 17 नवंबर को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने वाले हैं. तब सरकार गठन पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है.
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा कि सीएमपी के मसौदे पर अंतिम फैसला गांधी लेंगी जिसके बाद आगे के कदम के बारे में विचार किया जाएगा.
बता दें कि राज्य में 21 अक्टूबर को 288 सीटों के लिए हुआ विधानसभा चुनाव भाजपा-शिवसेना ने मिलकर लड़ा था और दोनों को क्रमश: 105 और 56 सीटें हासिल हुई थीं. दोनों दलों को मिली सीटें बहुमत के लिए जरूरी 145 के आंकड़े से ज्यादा थी.
इसके बावजूद मुख्यमंत्री पद साझा करने की मांग पर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पाई जिसके कारण राज्य में गतिरोध बरकरार रहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)