मध्य प्रदेश के इंदौर में 34 वर्षीय छात्र की मंगलवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई. व्यापमं घोटाले के एक ह्विसिलब्लोअर ने दावा किया कि मृतक मामले से जुड़ा हुआ था. हालांकि पुलिस ने छात्र के व्यापमं घोटाले से जुड़े होने की जानकारी से इनकार किया है.
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थानीय मेडिकल कॉलेज के 34 वर्षीय छात्र की मंगलवार को संदिग्ध हालत में मौत हो गई. इस मौत पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि एक ह्विसिलब्लोअर ने दावा किया कि मृतक राज्य के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले से जुड़ा हुआ था.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आजाद नगर क्षेत्र के एक स्कूल के पास भूरेलाल वास्केल (34) का शव मिला. वह शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम का छात्र था.
उन्होंने बताया कि वास्केल मूलत: खरगोन जिले के एक गांव का रहने वाला था. वह इंदौर के अजय बाग इलाके में किराये के मकान में रहकर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था.
अधिकारियों ने बताया कि वास्केल के शव का शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम किया गया. पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी कराई गई.
मेडिकल छात्र की हत्या के संदेह को पुलिस खारिज कर रही है. मामले की जांच से जुड़े सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) विक्रम सिंह ने कहा, ‘पोस्टमॉर्टम की शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक वास्केल की दिल का दौरा पड़ते से मौत हो गई.’
इस बीच व्यापमं घोटाले के ह्विसिलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में दावा किया कि वास्केल इस घोटाले से जुड़ा था. हालांकि पुलिस ने फिलहाल इस दावे की पुष्टि नहीं की है.
जांचकर्ता एएसआई ने कहा, ‘मुझे अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वास्केल व्यापमं घोटाले से जुड़ा था या नहीं.’
पुलिस के एक अन्य अधिकारी ने भी व्यापमं घोटाले से वास्केल के कथित जुड़ाव की जानकारी से इंकार किया. मामले की विस्तृत जांच जारी है.
बता दें कि, कई ह्विसिलब्लोअर ने जुलाई में व्यापमं घोटाले को लेकर मध्य प्रदेश सरकार के रवैये पर असंतोष जताते हुए कहा था कि घोटाले से जुड़े करीब 50 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के अधिकांश मामलों में सीबीआई की जांच से कोई खास बात सामने नहीं आई है.
इसी साल जनवरी में व्यापमं घोटाला मामले में सीबीआई ने मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा समेत 8 आरोपियों को क्लीन चिट दे दी. शर्मा के अलावा अन्य आरोपियों में उनके विशेष अधिकारी (ओएसडी) रहे ओमप्रकाश शुक्ला, आईजी स्टाम्प इंद्रजीत कुमार जैन, तरंग शर्मा, भरत मिश्रा, मोहन सिंह ठाकुर, सुरेंद्र कुमार पटेल, संतोष सिंह उर्फ राजा तोमर शामिल हैं. सीबीआई ने कहा इन आठ आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
सीबीआई ने 26 आरोपियों के खिलाफ 78 पेज का आरोप-पत्र पेश किया. इनमें दो आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है.
वर्ष 2013 में सामने आया व्यापमं घोटाला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में सैकड़ों उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है.
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल अथवा व्यापमं राज्य में कई प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए जिम्मेदार राज्य सरकार द्वारा गठित एक स्व-वित्तपोषित और स्वायत्त निकाय था. इसके द्वारा राज्य के शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश, सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती थीं.
आरोप है कि बिचौलियों, उच्च पदस्थ अधिकारियों एवं राजनेताओं की मिलीभगत से इन प्रवेश परीक्षाओं और नौकरियों में अपात्र परीक्षार्थियों और उम्मीदवारों से रिश्वत लेकर प्रवेश दिया गया या बड़े पैमाने पर अयोग्य लोगों की भर्तियां की गईं.
व्यापमं द्वारा आयोजित प्रवेश और भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आने के बाद तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने इसका आधिकारिक नाम बदलकर मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड (एमपीपीईबी) कर दिया था.
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)