महाराष्ट्र: शरद पवार ने अजीत का व्यक्तिगत फैसला बताया तो संजय राउत बोले- ईडी से डर गए अजीत

कांग्रेस ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को जनादेश के साथ विश्वासघात और लोकतंत्र की सुपारी देना करार दिया है.

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Nagpur: NCP chief Sharad Pawar during a campaign in support of Congress-NCP candidate Vijay Ghormade (unseen) ahead of Maharashtra Assembly polls at Butibori near Nagpur of Maharashtra, Thursday, Oct. 10, 2019. (PTI Photo)(PTI10_10_2019_000272B)

कांग्रेस ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को जनादेश के साथ विश्वासघात और लोकतंत्र की सुपारी देना करार दिया है.

Nagpur: NCP chief Sharad Pawar during a campaign in support of Congress-NCP candidate Vijay Ghormade (unseen) ahead of Maharashtra Assembly polls at Butibori near Nagpur of Maharashtra, Thursday, Oct. 10, 2019. (PTI Photo)(PTI10_10_2019_000272B)
एनसीपी प्रमुख शरद पवार. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को कहा कि उनके भतीजे और पार्टी के नेता अजीत पवार द्वारा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला व्यक्तिगत है. उन्होंने कहा कि एनसीपी उनके फैसले का न तो समर्थन करती है और न ही मानती है.

पवार ने ट्वीट कर कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजीत पवार का निर्णय उनका व्यक्तिगत निर्णय है न कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का. हम रिकॉर्ड पर कहते हैं कि हम उनके इस फैसले का समर्थन नहीं करते हैं.’

बता दें कि, महाराष्ट्र की राजनीतिक में शनिवार की सुबह हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता देवेंद्र फड़नवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली. वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजीत पवार ने उनके साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

एनसीपी नेता शरद पवार ने शुक्रवार शाम घोषणा की थी कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच एक समझौता हुआ है कि उद्धव ठाकरे अगले पांच साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे, जो गठबंधन के सर्वसम्मत उम्मीदवार थे. तीनों पार्टियों ने नयी सरकार के गठन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा भी तैयार कर लिया था.

वहीं, शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अजीत पवार ने अपने चाचा और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को धोखा दिया है और महाराष्ट्र के लोगों की पीठ में छुरा घोंप दिया है.

एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, राउत ने दावा किया कि अजीत ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया क्योंकि वह उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच से डर गए थे.

बता दें कि, ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है.

राउत ने कहा कि राजभवन द्वारा रात के अंधेरे में अपराध किया गया है. उन्होंने कहा, हमें उनके इरादे का एहसास तब हुआ जब उन्होंने चुनाव से पहले विधायक पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने महाराष्ट्र के लोगों की पीठ में छुका घोंपा है और शरद पवार को धोखा दिया है.

राउत ने कहा, ‘वह (अजीत पवार) कल हमारे साथ थे. उनकी बॉडी लैंग्वेज संदिग्ध थी. बाहर निकलने के बाद उनका फोन बंद हो गया. हमें बताया गया कि वह अपने वकील के साथ थे.’

कांग्रेस ने कहा, लोकतंत्र की सुपारी दी गई

कांग्रेस ने महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाए जाने को जनादेश के साथ विश्वासघात और लोकतंत्र की सुपारी देना करार दिया है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘मुझे मत देखो यूं उजाले में लाकर, सियासत हूं मैं, कपड़े नहीं पहनती. इसे कहते हैं: जनादेश से विश्वासघात, लोकतंत्र की सुपारी.’

इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना और राकांपा को तीन दिनों के भीतर बातचीत पूरी कर लेनी चाहिए थी.

सिंघवी ने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र के बारे में पढ़कर हैरान हूं. पहले लगा कि यह फर्जी खबर है. निजी तौर पर बोल रहा हूं कि तीनों पार्टियों की बातचीत तीन दिन से ज्यादा नहीं चलनी चाहिए थी. यह बहुत लंबी चली. मौका दिया गया तो फायदा उठाने वालों ने इसे तुरंत लपक लिया.’

उन्होंने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार पर तंज कसते हुए कहा, ‘पवार जी तुस्सी ग्रेट है. अगर यही सही है तो आश्चर्यजनक है. अभी यकीन नहीं है.’

बता दें कि, गठबंधन में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना ने 288 सदस्यीय सदन में क्रमश: 105 और 56 सीटें जीती थीं लेकिन शिवसेना ने भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद साझा करने से इनकार करने के बाद उसके साथ अपने तीन दशक पुराने संबंध खत्म कर लिए.

दूसरी ओर, चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)