द्रमुक के प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा कि यह कितनी अभद्र राजनीति है, इसकी तुलना नहीं की जा सकती. भाजपा ने राजनीतिक नियमों को रौंद दिया है, राज्यपाल को कठपुतली बना दिया, सत्ता में आने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय का भी इस्तेमाल किया. क्या यह छलकपट नहीं है?
नई दिल्ली/चेन्नई/जम्मू: माकपा ने महाराष्ट्र में भाजपा की नवगठित सरकार को घिनौने जोड़तोड़ का नतीजा बताते हुए कहा है कि यह राजनीतिक अनैतिकता की पराकाष्ठा है.
माकपा पोलित ब्यूरो ने शनिवार को एक बयान मे कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने शपथ ली है उससे साफ़ हो गया है कि भाजपा सत्ता के लिये किस हद तक जा सकती है.
उल्लेखनीय है कि नाटकीय घटनाक्रम के तहत देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार सुबह मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की.
शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार के गठन की क़वायद को झुठलाते हुए अचानक भाजपा की अजीत पवार के सहयोग से सरकार बनने पर माकपा ने कहा, ‘यह ठीक वैसे ही हुआ है जैसे भाजपा ने गोवा, कर्नाटक और पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार बनायी थी.’
इतना ही नहीं पार्टी ने सरकार के गठन में राष्ट्रपति और राज्य के राज्यपाल कार्यालय के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है. माकपा ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा की सरकार बनाने के मक़सद को पूरा करने में संवैधानिक निकाय के रूप में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल कार्यालय का भी दुरुपयोग किया गया.’
वही आम आदमी पार्टी ने महाराष्ट्र में इस तरह सरकार बनाने को अलोकतांत्रिक कहा है. महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर शनिवार को पार्टी कहा कि इस तरह सरकार बनाना पूरी तरह ‘अलोकतांत्रिक’ और राज्य लोगों के जनादेश का ‘निरादर’ है.
आप के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने सवाल किया कि बिना बहुमत प्राप्त किए महाराष्ट्र में सरकार कैसे बन सकती है.
महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम घृणित: द्रमुक
तमिलनाडु में विपक्षी द्रमुक ने शनिवार को महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को ‘घृणित’ करार दिया है. द्रमुक कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का एक प्रमुख घटक दल है.
पार्टी प्रमुख एमके स्टालिन ने यहां तक कि इसे लोकतंत्र की हत्या भी कह दिया जाए, तो भी यह कम होगा.
द्रमुक नेता ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘महाराष्ट्र में कोई इस राजनीति (घटनाक्रम) को घिनौना कह सकता है… यह कितनी अभद्र या घटिया राजनीति है, इसकी तुलना नहीं की जा सकती.’
उन्होंने पूछा, ‘क्या भाजपा ने राजनीतिक नियमों को रौंद दिया है, राज्यपाल को कठपुतली बना दिया और सत्ता में आने के लिए राष्ट्रपति कार्यालय का भी इस्तेमाल किया. क्या यह छलकपट नहीं है?’
राज्य के नेता प्रतिपक्ष स्टालिन ने यह भी कहा, ‘ऐसा लगता है कि इसे लोकतंत्र की हत्या भी करार दिया जाए, तो भी कम होगा, इससे मामले की गंभीरता कम होगी. भारतीय लोकतंत्र का चेहरा काला कर दिया गया है. यह बहुत शर्मनाक है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)