महाराष्ट्र: ‘ऑपरेशन लोटस’ के साथ भाजपा कर रही बहुमत परीक्षण की तैयारी

भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ अभियान को उसके चार वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल, गणेश नाइक, बाबनराव पाचपुते और नारायण राणे चला रहे हैं. ये चारों नेता एनसीपी और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं.

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Mumbai: Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis with BJP Maharashtra President Chandrakant Patil arrives for the BJP MLA meeting at Vasant Sruti at Dadar in Mumbai, Sunday, Nov. 24, 2019. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI11_24_2019_000105B)

भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ अभियान को उसके चार वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल, गणेश नाइक, बाबनराव पाचपुते और नारायण राणे चला रहे हैं. ये चारों नेता एनसीपी और कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं.

Mumbai: Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis with  BJP Maharashtra President Chandrakant Patil arrives for the BJP MLA meeting at Vasant Sruti at Dadar in Mumbai, Sunday, Nov. 24, 2019. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI11_24_2019_000105B)
मुंबई में भाजपा विधायकों की मीटिंग के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देने वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की याचिका पर रविवार और सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र की भाजपा गठबंधन सरकार को तत्काल बहुमत परीक्षण का आदेश न दिए जाने के बीच भाजपा अधिक से अधिक विधायकों को अपने पक्ष में करने में लग गई है.

बता दें कि 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा और शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में क्रमशः 105 और 56 सीटें जीती हैं, जबकि एनसीपी और कांग्रेस को क्रमशः 54 और 44 सीटों पर जीत मिली हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी के धड़े के अपने पक्ष में होने पर विश्वास जताते हुए भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ की शुरुआत कर दी है.

भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ अभियान को उसके चार वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल, गणेश नाइक, बाबनराव पाचपुते और नारायण राणे चला रहे हैं. ये चारों नेता विपक्षी पार्टियों से भाजपा में शामिल हुए हैं.

विखे-पाटिल और राणे कांग्रेस से आए हैं जबकि नाइक और पाचपुते एनसीपी ने भाजपा में शामिल हुए हैं.

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि बहुमत परीक्षण के दौरान इन नेताओं का अपनी पूर्ववर्ती पार्टियों के सदस्यों और कुछ अन्य राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों के साथ अच्छे संबंध महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.

शनिवार को सरकार बनाने का दावा ठोकते हुए फड़णवीस ने भाजपा के 105 विधायकों और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की ओर से 54 एनसीपी विधायकों की सूची सौंपी थी. भाजपा ने भी 14 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया है.

भाजपा यह भी दावा कर रही है कि एनसीपी विधायक दल के प्रमुख के रूप में अजित पवार को हटाने की कोई कानूनी वैधता नहीं है. बता दें कि शनिवार को एनसीपी के 54 विधायकों में से 41 एक पार्टी की बैठक में शामिल हुए, जहां अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह एनसीपी नेता जयंत पाटिल को नियुक्त किया गया.

शनिवार को पूर्व मंत्री आशीष शेलार सहित अजित पवार और भाजपा नेताओं ने एनसीपी नेता को पद से हटाने पर कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ बैठक की.

शेलार ने कहा, ‘भाजपा का मानना है कि एनसीपी के विधायक दल के नेता के रूप में अजीत पवार की नियुक्ति वैध थी और उनकी जगह जयंत पाटिल की नियुक्ति अमान्य है.’

सूत्रों ने कहा कि भाजपा-अजित पवार सरकार द्वारा एनसीपी को पूरी इकाई के रूप में पेश करने और एनसीपी विधायक दल के नेता के रूप में अजीत पवार को दोषमुक्त कानून से बच सकते हैं.

संविधान की 10वीं अनुसूची में कहा गया है कि राजनीतिक दल से संबंधित सदन के सदस्य को अयोग्य घोषित किया जाएगा यदि वह अपने राजनीतिक दल या उस पार्टी द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा जारी किए गए किसी भी निर्देश के विपरीत बिना पार्टी या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के पूर्व अनुमति के वोट देता है या सदन में मतदान से परहेज करता है.

पार्टी सूत्रों ने संकेत दिया कि अंतिम समय में किसी कानूनी और संवैधानिक जटिलताओं से बचने के लिए भाजपा विश्वास मत के दिन अनुपस्थित रहने के लिए कुछ विधायकों को मनाने में भी जुटी है.

पार्टी की चर्चाओं की जानकारी रखने वाले एक भाजपा सूत्र ने कहा, ‘विधानसभा की क्षमता को 145 की संख्या से कम पर लाए जाने के बारे में भी विचार किया जा रहा है. साल 2014 में भाजपा ने 122 विधायकों के साथ विश्वासमत हासिल कर लिया था. इस दौरान एनसीपी के 41 विधायक अनुपस्थित हो गए थे. इसके परिणामस्वरूप सदन में बहुमत साबित करने के लिए केवल 128 विधायकों की आवश्यकता थी. हमें सात-आठ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल गया था.’