मुद्रा योजना के तहत बढ़ता एनपीए चिंता का विषय: रिज़र्व बैंक डिप्टी गवर्नर

रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे मुद्रा लोन देते समय दस्तावेज़ों की जांच-परख के स्तर पर क़र्ज़ किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करें और इस तरह के क़र्ज़ का उनकी पूरी अवधि तक निगरानी करें.

/

रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे मुद्रा लोन देते समय दस्तावेज़ों की जांच-परख के स्तर पर क़र्ज़ किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करें और इस तरह के क़र्ज़ का उनकी पूरी अवधि तक निगरानी करें.

Mudra loan the wire

मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने मंगलवार को छोटे कारोबारियों को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई मुद्रा ऋण योजना में कर्ज वसूली की बढ़ती समस्या को लेकर चिंता जताई.

उन्होंने बैंकों से कहा कि वह इस योजना के तहत दिए जाने वाले कर्ज पर करीबी नजर रखें. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की थी. यह योजना सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को जरूरी वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है.

जैन ने यहां भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) पर आयाजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘मुद्रा योजना पर हमारी नजर में है. इस योजना से जहां एक तरफ देश के कई लाभार्थियों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में बड़ी मदद की है, वहीं इसमें कई कर्जदारों के बीच गैर-निष्पादित राशि के बढ़ते स्तर को लेकर कुछ चिंता भी है.’

उन्होंने बैंकों को सुझाव दिया है कि वह इस तरह के कर्ज देते समय दस्तावेजों की जांच-परख के स्तर पर कर्ज किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करें और इस तरह के कर्ज का उनकी पूरी अवधि तक करीब से निगरानी करें.

ये भी पढ़ें: एक साल के भीतर मुद्रा लोन के एनपीए में दोगुनी से भी ज़्यादा की वृद्धि

मालूम हो कि द वायर ने इसी साल जून महीने में रिपोर्ट कर बताया था कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियां यानी बैंकों का फंसा हुआ क़र्ज़) बढ़कर एक साल के भीतर में दोगुना से भी ज्यादा हो गया है.

31 मार्च 2018 तक में मुद्रा योजना के तहत सार्वजनिक बैंकों का एनपीए 7,277.31 करोड़ रुपये था. हालांकि माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) से प्राप्त आंकड़े दर्शाते हैं कि 31 मार्च 2019 तक 16,481.45 करोड़ रुपये का मुद्रा लोन एनपीए हो गया.

इस हिसाब से 12 महीनों में मुद्रा योजना के तहत सार्वजनिक बैंकों के एनपीए में 9,204.14 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)