प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन के तहत पिछले साल की अपेक्षा आधे से भी कम रोज़गार पैदा हुए: सरकार

श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पिछले तीन वित्तीय वर्षों में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के तहत सृजित हुए रोज़गार के अवसरों की संख्या शून्य रही, जबकि 2016-17 में लक्षद्वीप में रोज़गार के 1398 अवसर सृजित हुए थे.

Jammu: Special Police Officers (SPO) applicants stand in a queue to submit their forms at Police line, in Jammu, Thursday, Sept 20, 2018. (PTI Photo)(PTI9_20_2018_000028B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में बताया कि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पिछले तीन वित्तीय वर्षों में प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के तहत सृजित हुए रोज़गार के अवसरों की संख्या शून्य रही, जबकि 2016-17 में लक्षद्वीप में रोज़गार के 1398 अवसर सृजित हुए थे.

Jammu: Special Police Officers (SPO) applicants stand in a queue to submit their forms at Police line, in Jammu, Thursday, Sept 20, 2018. (PTI Photo)(PTI9_20_2018_000028B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बेरोज़गारी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम’ (पीएमईजीपी) के तहत पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस साल आधे से भी कम रोज़गार के अवसर सृजित हो सके हैं, वहीं रोज़गार चाहने वालों की सर्वाधिक संख्या वाला राज्य पश्चिम बंगाल है.

श्रम एवं रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि पीएमईजीपी के तहत वित्तीय वर्ष 2018-19 में राष्ट्रीय स्तर पर 5.87 लाख रोज़गार के अवसर सृजित हुए थे जबकि 2019-20 में 31 अक्टूबर तक 2.11 लाख रोज़गार के अवसर ही सृजित हो सके.

उन्होंने बताया कि 2016-17 में सृजित हुए रोज़गार के अवसरों की संख्या 2017-18  में 4.07 लाख से घटकर 3.87 लाख रह गई थी.

केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में पिछले तीन वित्तीय वर्ष में पीएमईजीपी के तहत सृजित हुए रोज़गार के अवसरों की संख्या शून्य रही, जबकि 2016-17 में लक्षद्वीप में रोज़गार के 1398 अवसर सृजित हुए थे.

लक्षद्वीप के अलावा चंड़ीगढ़ में वित्तीय वर्ष 2019-20 में रोज़गार के सिर्फ 72 अवसर सृजित हो सके. इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में रोज़गार के अवसर 224, 2017-18 में 360 और 2016-17 में यह संख्या 360 थी.

अंडमान निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गोवा, पुडुचेरी और सिक्किम ऐसे राज्य रहे, जहां रोज़गार के अवसरों की संख्या वित्तीय वर्ष 2019-20 में एक हजार से भी कम रही. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रोज़गार के अवसरों की संख्या 216, सिक्किम में 256, पुडुचेरी में 264, गोवा में 312, दिल्ली में 368 और अरुणाचल प्रदेश में 896 में रही.

गुजरात में सर्वाधिक 19,032 रोज़गार के अवसर सृजित हुए. वहीं जम्मू कश्मीर में यह संख्या 17,488, तमिलनाडु में 17,192, महाराष्ट्र में 16,992, कर्नाटक में 13,000 और  उत्तर प्रदेश में 12,656 थी.

रोज़गार कार्यालयों में रोज़गार चाहने वालों के पंजीकरण के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने बताया कि 2017 तक पंजीकृत लोगों की संख्या 4.28 करोड़ हैं. इनमें सर्वाधिक 77.61 लाख पश्चिम बंगाल के और 76.88 लाख तमिलनाडु के हैं. वहीं महाराष्ट्र से 34.29 लाख लोगों ने रोज़गार चाहने वालों में पंजीकृत कराया है.

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) केंद्र सरकार की स्वरोज़गार योजना है. पीएमईजीपी के तहत उद्योग लगाने पर 25 लाख और सेवा क्षेत्र में निवेश करने पर 10 लाख रुपये कर्ज मिलता है.

अगर आप भी पीएमईजीपी के तहत लोन लेते हैं और आप सामान्य जाति के आवेदक हैं तो आपको लोन की रकम पर 15 प्रतिशत सब्सिडी और आरक्षित जाति के आवेदकों को 25 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है.

अगर आप ग्रामीण इलाके में उद्योग लगाते हैं तो सब्सिडी की यह रकम बढ़कर 25-35 फीसदी हो जाती है. पीएमईजीपी खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा 15 अगस्त 2008 को शुरू किया गया था.

बता दें कि जून महीने में सरकार द्वारा जारी बेरोज़गारी से जुड़े आंकड़ों में बताया गया था कि देश में 2017- 18 में बेरोज़गारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 प्रतिशत रही, जो 45 साल में सर्वाधिक है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्र में रोज़गार योग्य युवाओं में 7.8 प्रतिशत बेरोज़गार रहे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 5.3 प्रतिशत रहा.

राष्ट्रीय स्तर पर पर पुरुषों की बेरोज़गारी दर 6.2 प्रतिशत जबकि महिलाओं के मामले में 5.7 प्रतिशत रही. इन आंकड़ों में दिखाया गया था कि शहरों में पुरुषों की बेरोज़गारी दर ग्रामीण इलाके की 5.8 प्रतिशत की तुलना में 7.1 फीसदी थी. इसी प्रकार शहरों में महिलाओं की बेरोज़गारी दर 10.8 प्रतिशत पर थी, जो कि ग्रामीण इलाकों में 3.8 फीसदी रही थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)