शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री बने हैं. किसी सदन का सदस्य न रहते हुए भी मुख्यमंत्री बनने वाले वह आठवें व्यक्ति हैं. उद्धव के अलावा छह मंत्रियों ने शपथ ली. इसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो विधायक शामिल हैं.
मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मुंबई के शिवाजी पार्क में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
पहली बार ठाकरे परिवार का कोई सदस्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना है. 59 वर्षीय ठाकरे के शपथ लेने के बाद राज्य को 20 साल बाद शिवसेना से कोई मुख्यमंत्री मिला है. शिवसेना से अंतिम बार वर्ष 1999 में नारायण राणे मुख्यमंत्री बने थे. इससे पहले मनोहर जोशी मुख्यमंत्री थे, जो 1995 में शिवसेना की तरफ से बने पहले मुख्यमंत्री थे.
उद्धव ठाकरे के अलावा छह मंत्रियों ने शपथ ली. इसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के दो-दो विधायक शामिल हैं. शिवसेना से एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई, एनसीपी से जयंत पाटिल और छगन भुजबल तथा कांग्रेस से नितिन राउत और बाला साहब थोराट ने शपथ ली है.
उद्धव राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन ‘महा विकास अघाड़ी’ की सरकार का नेतृत्व करने जा रहे हैं. शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर ‘महा विकास अघाड़ी’ का गठन किया था ताकि राज्य में गैर भाजपा सरकार बनाई जा सके.
उद्धव ठाकरे के शपथ लेने के बाद महाराष्ट्र में पिछले कई दिन तक चले सियासी नाटक खत्म हो गया. 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के 36 दिन बाद महाराष्ट्र में सरकार का गठन हुआ है.
मालूम हो कि भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने बीते 23 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने उप-मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. यह शपथ ग्रहण समारोह ऐसे समय में हुआ जब शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस का नया गठबंधन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत हो गया था.
23 नवंबर को मुंबई में सुबह-सुबह आननफानन हुए एक समारोह में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फड़णवीस और अजीत पवार को शपथ दिलाई. इससे कुछ देर पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन हटा दिया किया था.
तब शिवसेना ने देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फड़णवीस को 27 नवंबर की शाम तक बहुमत साबित करने का आदेश दिया था, लेकिन 26 नवंबर को ही फड़णवीस और अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया और तीन दिन की ये सरकार गिर गई.
इसके साथ ही महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया और तीन दिन तक राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे अजित पवार शरद पवार नीत एनसीपी में लौट आए.
बुधवार को महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था, जहां कार्यवाहक अध्यक्ष कालिदास कोलाम्बकर ने 285 नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई थी.
बता दें कि चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उद्धव ठाकरे ने सहयोगी दल भाजपा को मुख्यमंत्री पद साझा करने के अपने वादे की याद दिलाई. लेकिन भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस ने इससे इनकार कर दिया कि ऐसा कोई वादा भी किया गया था.
इससे नाराज ठाकरे ने सरकार गठन को लेकर भाजपा के साथ वार्ता रोक दी और कहा कि वह झूठा कहा जाना बर्दाश्त नहीं कर सकते.
भगवा पार्टियों के बीच गठबंधन के टूटने के साथ एक नया गठजोड़ देखने को मिला, जिसमें दो विभिन्न विचारधारा वाली पार्टियां एक साथ आईं. इसमें एक ओर जहां हिंदुत्व के रास्ते पर चलने वाली शिवसेना है, तो वहीं दूसरी ओर इससे बिल्कुल अलग विचारधारा रखने वाली कांग्रेस और एनसीपी हैं.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार नये गठजोड़ के वास्तुकार के तौर पर देखे गए, जो खुद चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहते हुए भी मुख्यमंत्री बने उद्धव, ऐसे 8वें मुख्यमंत्री हैं
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे बृहस्पतिवार शाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही ऐसे आठवें मुख्यमंत्री बन गए, जो विधायक नहीं रहते हुए भी राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं.
कांग्रेस नेता एआर अंतुले, वसंतदादा पाटिल, शिवाजीराव निलांगेकर पाटिल, शंकरराव चह्वाण, सुशील कुमार शिंदे और पृथ्वीराज चह्वाण उन नेताओं में शामिल हैं, जो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त राज्य विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे.
तत्कालीन कांग्रेस नेता एवं मौजूदा राकांपा प्रमुख शरद पवार का नाम भी इन्हीं नेताओं में शुमार है.
संविधान के प्रावधानों के अनुसार कोई नेता यदि विधानसभा या विधान परिषद् का सदस्य नहीं है तो उसे पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना होता है.
जून 1980 में मुख्यमंत्री बनने वाले अंतुले राज्य में ऐसे पहले नेता थे. वसंतदादा पाटिल एक सांसद के तौर पर इस्तीफा देने के बाद फरवरी 1983 में मुख्यमंत्री बने थे.
निलांगेकर पाटिल जून 1985 में मुख्यमंत्री बने थे, जबकि शंकरराव चह्वाण जो उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे, मार्च 1986 में राज्य के शीर्ष पद पर आसीन हुए थे.
नरसिंह राव सरकार में पवार तब रक्षा मंत्री थे लेकिन मुंबई में दंगे के बाद सुधाकरराव नाइक के इस पद से हटने के बाद मार्च 1993 में पवार का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आया था.
इसी तरह, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में पृथ्वीराज चह्वाण मंत्री थे, लेकिन वह भी अशोक चह्वाण की जगह नवंबर 2010 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे.
अंतुले, निलांगेकर पाटिल और शिंदे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव लड़ा था और विजयी हुए थे.
अन्य चार नेताओं ने विधान परिषद् का सदस्य बनकर संवैधानिक प्रावधान को पूरा किया था.
सरकार किसानों का पूर्ण कर्ज माफ करेगी, स्थानीय लोगों के लिए 80 फीसदी नौकरियां
मुंबई: शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन ने गुरुवार को कहा कि राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार किसानों का कर्ज माफ करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि नौकरियों में 80 फीसदी आरक्षण युवाओं और स्थानीय निवासियों के लिए हो.
राकांपा नेता जयंत पाटिल और नवाब मलिक, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने मुंबई में एक मीडिया कार्यक्रम में न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) की घोषणा की.
उन्होंने कहा कि सीएमपी में राज्य में किसानों की पूर्ण कर्ज माफी के साथ ही पूरे राज्य में एक रुपये के क्लीनिक खोले जाएंगे जो शुरुआती स्वास्थ्य देखभाल के केंद्र बनेंगे.
विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान शिवसेना ने 10 रुपये में भरपेट खाने का वादा किया था जिसकी खूब चर्चा भी हुई थी. इसे भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम में जगह दी गई है.
सीएमपी के मुताबिक स्थानीय/मूल निवासी युवाओं को 80 फीसदी नौकरियों की पेशकश के लिये कानून बनाने का भी फैसला किया गया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)