इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाली थी. सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी.
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को और 10 साल के लिए बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी. उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह जानकारी दी.
इन श्रेणियों के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2020 को समाप्त होने वाली थी. सूत्रों ने बताया कि सरकार आरक्षण की मियाद बढ़ाने के लिए इस सत्र में एक विधेयक लाएगी.
एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि विधायिका में एससी और एसटी के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों के जरिए किया जाता है जबकि इन श्रेणियों के लिए नौकरियों में इस तरह का आरक्षण देने का फैसला संबंधित राज्य सरकारें करती हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए भी आरक्षण बढ़ाया गया है, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि एक बार विधेयक पेश होने के बाद इसके विवरण का पता चल जाएगा.
मंत्री ने कहा कि संसद में अनुसूचित जाति से 84 और अनुसूचित जनजाति समुदाय से 47 सदस्य हैं. पूरे भारत में राज्य विधानसभाओं में 614 एससी सदस्य और 554 एसटी सदस्य हैं.
एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में नामांकित करने का प्रावधान है, लेकिन लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, उन्हें अभी तक नामांकित नहीं किया गया है. लोकसभा में चार दिसंबर तक अध्यक्ष सहित कुल 543 सदस्य हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)