नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में असम में प्रदर्शन, 10 दिसंबर को पूर्वोत्तर बंद का आह्वान

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने विधेयक के ख़िलाफ़ पूरे असम में 30 स्थानीय संगठनों के साथ प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतले फूंके.

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Guwahati: An activist of Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) raises slogans during a protest against the Citizenship Amendment Bill (CAB), in Guwahati, Thursday, Dec. 5, 2019. (PTI Photo)(PTI12_5_2019_000057B)

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने विधेयक के ख़िलाफ़ पूरे असम में 30 स्थानीय संगठनों के साथ प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतले फूंके.

Guwahati: An activist of Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) raises slogans during a protest against the Citizenship Amendment Bill (CAB), in Guwahati, Thursday, Dec. 5, 2019. (PTI Photo)(PTI12_5_2019_000057B)
असम के विभिन्न शहरों में नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में इन दिनों प्रदर्शन चल रहा है. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ छात्र-छात्राओं ने शहर की प्रतिष्ठित कॉटन स्टेट यूनिवर्सिटी में शुक्रवार को ‘रण हुंकार’ का आयोजन किया जिसमें बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने भी हिस्सा लिया.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने विधेयक के खिलाफ पूरे असम में 30 स्थानीय संगठनों के साथ प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के पुतले फूंके.

विधेयक सोमवार को संसद में पेश किया जा सकता है. विधेयक में प्रावधान है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और अगर छह दशक पुराने नागरिकता कानून में प्रस्तावित संशोधन प्रभावी होता है तो उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

मशहूर शिक्षाविद और बुद्धिजीवी हीरेन गोहेन, पत्रकार अजित कुमार भूइंया, मशहूर गायक और अभिनेता जुबिन गर्ग तथा गायक मानस रॉबिन उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने कॉटन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया. प्रदर्शन में विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने हिस्सा लिया.

सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि सीएबी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है और इसे वापस लिए जाने तक प्रदर्शन जारी रहेगा.

गोहेन ने कहा, ‘यह सुखद है कि राज्य के सभी छात्र संगठनों ने विधेयक का विरोध किया है और क्षेत्र के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान कॉटन स्टेट यूनिवर्सिटी ने सीएबी के खिलाफ रण हुंकार का आयोजन किया है. इससे स्थानीय निवासियों की पहचान को खतरा है.’

गर्ग ने कहा कि कोई भी असमी नागरिक सीएबी को स्वीकार नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘मैं छात्रों के साथ हूं जो विधेयक का विरोध कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘किसी भी छात्र संगठन ने विधेयक का समर्थन नहीं किया है और केंद्र तथा राज्य की भाजपा सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए तथा महज राजनीति के लिए इस पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए.’

बता दें कि असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ तथा कॉटन स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित सत्तारूढ़ भाजपा, आरएसएस के सदस्यों तथा विधेयक का समर्थन करने वालों को इन दोनों विश्वविद्यालयों के परिसर में प्रवेश पर अनिश्चितकालीन प्रतिबंध लगा रखा है.

मालूम हो कि तमाम विरोधों के बाद भी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते चार दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी. इससे पहले यह विधेयक इस साल जनवरी में लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था.

विधेयक लाए जाने के बाद से असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इस विधेयक का जोरदार विरोध हो रहा है. पूर्वोत्तर में कई संगठनों ने इस विधेयक का यह दावा करते हुए विरोध किया है कि वह क्षेत्र के मूलनिवासियों के अधिकारों को कमतर कर देगा.

हालांकि अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम के ‘इनर लाइन परमिट’ (आईएलपी) क्षेत्रों और पूर्वोत्तर की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों को नागरिकता संशोधन विधेयक से बाहर रखा गया है.

इसका मतलब यह है कि नागरिकता संशोधन विधेयक का लाभ उठाने वालों को भारत की नागरिकता मिल जाएगी लेकिन वे अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में बस नहीं पाएंगे. मौजूदा भारतीय नागरिकों पर भी यह प्रतिबंध लागू रहेगा.

कहा जा रहा है कि असम, मेघालय और त्रिपुरा का एक बड़ा हिस्सा छठी अनुसूची क्षेत्रों के तहत आने की वजह से इस विवादास्पद विधेयक के दायरे से बाहर रहेगा.

नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन ने 10 दिसंबर को पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को प्रभावशाली नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन (एनईएसयू) ने 10 दिसंबर को 11 घंटे के पूर्वोत्तर बंद का आह्वान किया.

एनईएसओ के सलाहकार समुज्जवल कुमार भट्टाचार्य ने बताया कि असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा के सभी छात्र संगठनों ने संयुक्त तौर पर बंद का आह्वान किया है.

हालांकि, एनईएसयू ने कोहिमा में चल रहे हॉर्नबिल उत्सव के कारण नगालैंड को बंद से छूट दी है और राज्य के छात्र वहां राजभवन के सामने प्रदर्शन करेंगे.

एनईएसओ का कहना है कि सीएबी क्षेत्र के मूल लोगों के हितों के खिलाफ है और इससे देश में बाहर से आए लोगों की स्थायी बसाहट का रास्ता तैयार होगा.

संयोग से 10 दिसंबर को जिस दिन बंद का आह्वान किया गया है, उस दिन असम में अवैध प्रवासियों के खिलाफ 1979-85 के असम आंदोलन के पहले ‘शहीद’ की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है. छात्र कार्यकर्ता खरगेश्वर तालुकदार 10 दिसंबर 1979 को पुलिसिया गोलीबारी में मारे गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)