नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन ने बंद का आह्वान किया है. गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय ने बुधवार को होने वाली सभी परीक्षाएं रद्द. बंद से असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड में जनजीवन प्रभावित. त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद. राजधानी नई दिल्ली में भी कई संगठनों ने किया प्रदर्शन.
गुवाहाटी/इम्फाल/ईटानगर/कोहिमा/अगरतला/शिलॉन्ग/नई दिल्ली: लोकसभा में बीते सोमवार को पास हुए विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) के खिलाफ पूर्वोत्तर में छात्र संगठनों की तरफ से संयुक्त रूप से बुलाया गया 11 घंटे का बंद मंगलवार सुबह पांच बजे शुरू हो गया.
नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन (एनईएसओ) ने इस विधेयक के खिलाफ बंद का आह्वान किया है. कई अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी इसे अपना समर्थन दिया है. इस बंद के आह्वान के मद्देनजर असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
नगालैंड में चल रहे हॉर्नबिल महोत्सव की वजह से राज्य को बंद के दायरे से बाहर रखा गया है.
पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों को डर है कि इन लोगों के प्रवेश से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ सकती है.
गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के दायरे में लाने की बात कहने के बाद राज्य में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे द मणिपुर पीपल अगेंस्ट कैब (मैनपैक) ने सोमवार के अपने बंद को स्थगित करने की घोषणा की.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के बाद इसके पक्ष में सोमवार को 311 और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे निचले सदन की मंजूरी मिल गई.
इस विधेयक के खिलाफ क्षेत्र के विभिन्न संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
कांग्रेस, एआईयूडीएफ, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, कृषक मुक्ति संग्राम समिति, ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन, खासी स्टूडेंट्स यूनियन और नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे संगठन बंद का समर्थन करने के लिए एनईएसओ के साथ हैं.
गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय ने बुधवार को होने वाली अपनी सभी परीक्षाएं टाल दी हैं.
यह विधेयक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में लागू नहीं होगा, जहां आईएलपी व्यवस्था है इसके साथ ही संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासित होने वाले असम, मेघालय और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र भी इसके दायरे से बाहर होंगे.
असम में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प
असम में नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ दो छात्र संगठनों के राज्यव्यापी बंद के आह्वान के बाद ब्रह्मपुत्र घाटी में जनजीवन ठप है. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनईएसओ) की ओर से बुलाए गए 11 घंटे के बंद का असर बंगाली बहुल बराक घाटी में कुछ खास नहीं रहा.
गुवाहाटी शहर के मालीगांव क्षेत्र में एक सरकारी बस पर पत्थरबाजी हुई और एक स्कूटर को आग के हवाले कर दिया गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दुकान, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान इस दौरान बंद रहे. इसके अलावा शैक्षणिक और वित्तीय संस्थान भी पूरे दिन के लिए बंद हैं.
गुवाहाटी के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े जुलूस निकाले गए. प्रदर्शनकारी नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 के खिलाफ नारे लगा रहे थे.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सचिवालय और विधानसभा की इमारतों के बाहर गुवाहाटी में प्रदर्शनकारियों से सुरक्षा बलों की झड़प भी हुई क्योंकि पुलिस प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक रही थी.
रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि पूरे असम में ट्रेन सेवा प्रभावित है क्योंकि रेलवे की पटरियों पर अवरोधक लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे मुख्यालय का प्रवेश द्वार भी यहां बंद करने की कोशिश की.
बंद को देखते हुए सभी पहले से तय परीक्षाओं की समय-सारिणी बदल दी गई है. डिब्रूगढ़ जिले में बंद समर्थकों की झड़प सीआईएसएफ कर्मियों के साथ हुई. इनमें से तीन घायल हो गए क्योंकि ये ऑल इंडिया लिमिटेड के कर्मचारियों को कार्यालय में जाने से रोक रहे थे.
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी और टायर जलाए.
असमी फिल्मों के कलाकारों और गायकों ने चांदमारी क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. कई कलाकारों ने उजान बजार में एक रैली में हिस्सा लिया. वहीं गुवाहाटी विश्वविद्यालय, कॉटन विश्वविद्यालय, असम कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी इस विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की.
त्रिपुरा में इंटरनेट सेवाएं 48 घंटों के लिए बंद, बाज़ार में आग लगाई गई
त्रिपुरा में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के मद्देनजर मंगलवार दोपहर दो बजे से 48 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. आधिकारिक अधिसूचना में यह बात कही गई है. यह कदम अफवाह फैलने से रोकने के लिए उठाया गया है.
इसके अलावा लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित किए जाने के विरोध में एनईएसओ द्वारा आहुत बंद में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को त्रिपुरा के धलाई जिले के एक बाजार में आग लगा दी. इस बाजार में ज्यादातर दुकानों के मालिक गैर-आदिवासी हैं.
Tripura: Protest being held in Agartala against #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/vi8yWzdceW
— ANI (@ANI) December 10, 2019
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना में कोई भी घायल नहीं हुआ है और मनुघाट बाजार में लगी आग बुझा दी गई है.
अधिकारी ने बताया, ‘बाजार में सुरक्षा-बल तैनात किए गए हैं, लेकिन इस घटना से गैर-आदिवासी लोगों के मन में भय है, जो ज्यादातर दुकानों के मालिक हैं.’
उन्होंने बताया कि बंद को त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में भारी समर्थन मिला है.
नगालैंड के छात्र संगठन ने राजभवन के बाहर धरना दिया
नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) के सदस्यों ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ राजधानी कोहिमा में राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया जबकि पूर्वोत्तर में बंद का आह्वान करने वाले एनईएसओ ने हॉर्नबिल उत्सव के मद्देनजर राज्य को अपने कार्यक्रम से बाहर रखा.
हॉर्नबिल नगालैंड का एक बड़ा वार्षिक कार्यक्रम है जहां राज्य की संस्कृति, कला, हस्तशिल्प और व्यंजन का प्रदर्शन किया जाता है. यह हर साल एक से दस दिसंबर के बीच होता है.
राजभवन के बाहर नागरिकता संशोधन विधेयक के विरूद्ध नारे लगाते हुए राज्य के शीर्ष विद्यार्थी संगठन एनएसएफ ने उसे तत्काल वापस लेने की मांग की.
विभिन्न कॉलेजों के स्वयंसेवियों ने पूर्व एनईएसओ महासचिव एनएसएन लोथा के साथ यहां करीब डेढ़ घंटे तक धरना दिया.
पूर्वोत्तर के छात्र संगठनों के शीर्ष संगठन नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (एनईएसओ) ने इस कानून के खिलाफ क्षेत्र में बंद का आह्वान किया है.
एनएसएफ अध्यक्ष निनोटो अवोमी ने कहा, ‘हमसे कहा गया कि नगालैंड को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर कर दिया गया है लेकिन आईएलपी और अन्य प्रावधानों के बावजूद राज्य अवैध प्रवासन नियंत्रित करने में असमर्थ रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं केंद्र सरकार से अवैध प्रवासियों को शरण देने के बजाय इस क्षेत्र की भावनाओं का सम्मान करने और उसके नागरिकों की रक्षा करने की अपील करता हूं.’
मणिपुर में छात्र संगठनों ने 15 घंटे बंद का आह्वान किया
विधेयक के विरोध में अखिल मणिपुर छात्र संघ (एएमएसयू) ने राज्य में सुबह तीन बजे से शाम छह बजे तक पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया है. नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन के घटक एएमएसयू ने कहा कि अगर विधेयक को तुरंत वापस नहीं लिया जाता है तो वह आंदोलन को तेज करेगा.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मणिपुर के कई हिस्से में मंगलवार को सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा, दुकानें एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक संस्थान भी दिन भर बंद रहे. वाहन सड़कों पर नजर नहीं आए.
आंदोलनकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा उनकी आशंकाओं को दूर करने के बार-बार के प्रयास के बावजूद विधेयक के कारण स्थानीय समुदायों की पहचान को खतरा पैदा होगा.
अखिल मणिपुर छात्र संघ (एएमएसयू) के अध्यक्ष लाइशराम अथाउबा मैतेई ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मांग माने जाने तक प्रदर्शन जारी रहेगा. बहरहाल, उन्होंने सीमावर्ती राज्य में इनर लाइन परमिट व्यवस्था शुरू करने के केंद्र के निर्णय की प्रशंसा की.
मेघालय में जनजीवन प्रभावित
नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन (एनईएसओ) में शामिल खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में किए गए बंद के आह्वान के चलते मेघालय में सामान्य जीवन प्रभावित रहा.
अधिकारियों ने बताया कि दुकानों, बाजार और कारोबारी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे, जबकि शैक्षणिक और वित्तीय संस्थान पूरे दिन बंद रहे.
उन्होंने बताया कि सरकारी कार्यालय खुले थे लेकिन वहां दस प्रतिशत से कम उपस्थिति रही.
बंद सुबह पांच बजे शुरू हुआ और शाम चार बजे तक चला.
पूर्वी खासी हिल्स के जिला उपायुक्त एम डब्ल्यू नोन्गबरी ने बताया कि राज्य की राजधानी में टायरों को जलाने और वाहनों में तोड़फोड़ की घटनाओं की जानकारी मिली है. मावलाई इलाके में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की एक गाड़ी को नुकसान पहुंचाया.
अधिकारियों ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस और सीआरपीएफ बलों को तैनात किया गया है.
अरुणाचल प्रदेश में बंद से जनजीवन प्रभावित
अरुणाचल प्रदेश में भी विधेयक के विरोध में एनईएसओ की ओर से पूर्वोत्तर में बुलाए गए 11 घंटे की बंद से जनजीवन प्रभावित है.
नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट यूनियन के सदस्य ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (आप्सू) द्वारा बंद बुलाए जाने के बाद शैक्षणिक संस्थान, बैक, कारोबारी प्रतिष्ठान, बाजार बंद रहे. इसके अलावा निजी और सरकारी वाहन सड़कों से नदारद रहे.
अधिकारियों ने बताया कि सरकारी कार्यालयों में बंद के दौरान उपस्थिति शून्य रही. यह बंद सुबह पांच बजे से था.
ईटानगर के पुलिस अधीक्षक तुमे अमो ने बताया कि बंद समर्थकों द्वारा कुछ स्थानों पर की गई पत्थरबाजी को छोड़कर बाकी सभी जगह बंद शांतिपूर्ण रहा.
बंद के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए विस्तृत सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. पूर्वोत्तर के मूल लोगों को लगता है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी.
विधेयक के विरोध में त्रिपुरा में भी प्रदर्शन किए गए.
राष्ट्रीय राजधानी में भी हुआ प्रदर्शन
राष्ट्रीय राजधानी में राजनीतिक पार्टियों, छात्र संगठनों और नागरिक संस्थाओं ने विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन किया. नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स यूनियन (एनईएसओ) ने विधेयक के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और संगठनों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
माकपा की दिल्ली समिति के सदस्य भी नई दिल्ली में विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इससे पूर्व माकपा के सांसदों ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया था.
वाम दल के सदस्य यहां हाथों में तख्तियां लिए दिखें, जिस पर लिखा था ‘सीएबी वापस लो’ और ‘धर्म आधारित कैब नहीं चलेगा’.
माकपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक सोमवार की रात लोकसभा में पारित हो गया. यह कानून संविधान के खिलाफ है. विरोध के बावजूद यह विधेयक संसद में पारित हो जाएगा. पहली बार धर्म नागरिकता के लिए आधार बना है.’
कई नागरिक संस्थाएं भी सोमवार शाम नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन करेंगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)